एनल फिस्टुला (fistula kya hota hai / भगंदर): परिचय
एनल फिस्टुला क्या होता है (fistula kya hota hai ) , जिसे आयुर्वेद में “भगंदर” और आम बोलचाल में “गुदा नाली” भी कहा जाता है, गुदा (Anus) और उसके आसपास की त्वचा के बीच एक असामान्य सुरंग (Tunnel) का बन जाना है। यह स्थिति आमतौर पर गुदा क्षेत्र में संक्रमण (Abscess) या सूजन के बाद विकसित होती है, जिसके कारण मवाद (Pus), खून या मल का रिसाव हो सकता है। फिस्टुला न केवल दर्दनाक होता है, बल्कि यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है।
फिस्टुला कैसे बनता है?
जब गुदा के पास ग्रंथियों (Anal Glands) में संक्रमण होता है, तो मवाद इकट्ठा होकर फोड़ा (Abscess) बना सकता है। यदि इस फोड़े को ठीक से ड्रेन नहीं किया जाता या संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं होता, तो यह गुदा के अंदरूनी हिस्से और बाहरी त्वचा के बीच एक पथ (Fistula Tract) बना लेता है। इस नली के माध्यम से मवाद या मल का रिसाव हो सकता है, जिससे बार-बार संक्रमण, दर्द और असुविधा होती है।

फिस्टुला कितना गंभीर है?
- यह एक क्रोनिक (दीर्घकालिक) समस्या है, जो अपने आप ठीक नहीं होती।
- यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो संक्रमण फैलकर सेप्सिस (खून में संक्रमण) या कैंसर जैसी गंभीर स्थितियों का कारण बन सकता है।
- कुछ मामलों में, फिस्टुला मल असंयम (Fecal Incontinence) का कारण भी बन सकता है।
एनल फिस्टुला का इलाज सर्जरी (Fistulotomy) या अन्य उन्नत तकनीकों से किया जाता है। सही समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है, ताकि जटिलताओं से बचा जा सके।
एनल फिस्टुला (fistula kya hota hai) के कारण (Causes of Anal Fistula in Detail)
एनल फिस्टुला (भगंदर) के निर्माण के पीछे कई कारण और जोखिम कारक हो सकते हैं। आइए इन्हें विस्तार से समझें:
1. गुदा फोड़ा (Anal Abscess) – प्रमुख कारण
- लगभग 90% मामलों में एनल फिस्टुला गुदा फोड़े के बाद विकसित होता है
- जब गुदा के आसपास की ग्रंथियों (anal glands) में बैक्टीरिया प्रवेश कर जाते हैं, तो संक्रमण होता है
- यह संक्रमण मवाद (pus) भरकर फोड़े का रूप ले लेता है
- यदि फोड़ा ठीक से फटे नहीं या पूरी तरह साफ न हो, तो एक नाली (tract) बन जाती है
2. क्रोहन रोग (Crohn’s Disease)
- यह एक प्रकार का इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) है
- पाचन तंत्र में लगातार सूजन रहती है
- लगभग 25-30% क्रोहन रोग के मरीजों को फिस्टुला विकसित होता है
- यह फिस्टुला अक्सर जटिल प्रकार का होता है
3. टीबी (Tuberculosis)
- आंतों या गुदा क्षेत्र की टीबी से फिस्टुला बन सकता है
- इसे ट्यूबरकुलस फिस्टुला कहते हैं
- भारत जैसे देशों में यह एक महत्वपूर्ण कारण है
4. डायवर्टीकुलाइटिस (Diverticulitis)
- आंत में छोटे-छोटे पाउच (diverticula) बन जाते हैं
- इनके संक्रमित होने पर फिस्टुला बन सकता है
5. यौन संचारित संक्रमण (STIs)
- HIV/AIDS
- सिफलिस (Syphilis)
- क्लैमाइडिया (Chlamydia)
- हर्पीज (Herpes)
6. सर्जरी या चिकित्सा प्रक्रियाओं के बाद
- गुदा/मलाशय की सर्जरी के बाद
- प्रोस्टेट सर्जरी के बाद
- हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय निकालने) के बाद
- लंबे समय तक कैथीटर यूज करने पर
7. कैंसर और रेडिएशन थेरेपी
- गुदा या मलाशय का कैंसर
- रेडिएशन थेरेपी (विशेषकर प्रोस्टेट/गर्भाशय कैंसर में)
- रेडिएशन से ऊतक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं
8. अन्य कारण
- मधुमेह (Diabetes) – घाव भरने में देरी
- प्रतिरक्षा प्रणाली के रोग (Immunosuppression)
- लंबे समय तक कब्ज या दस्त
- गुदा मैथुन (Anal intercourse) से चोट
- धूम्रपान (Smoking) – रक्त प्रवाह कम करता है
9. दुर्लभ कारण
- एक्टिनोमायकोसिस (Actinomycosis) – जीवाणु संक्रमण
- हाइड्राडेनाइटिस सप्यूरेटिवा (Hidradenitis suppurativa)
- सारकॉइडोसिस (Sarcoidosis)
जोखिम कारक (Risk Factors)
- पुरुषों में अधिक आम (महिलाओं की तुलना में)
- 20-40 आयु वर्ग
- मोटापा
- गतिहीन जीवनशैली
- खराब स्वच्छता
फिस्टुला के इलाज के लिए सही कारण का पता लगाना जरूरी है, क्योंकि अलग-अलग कारणों के इलाज भी भिन्न होते हैं। यदि आपको गुदा क्षेत्र में दर्द, सूजन या मवाद निकलने जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत सर्जन (प्रॉक्टोलॉजिस्ट) से संपर्क करें।
एनल फिस्टुला (गुदा भगन्दर) के लक्षण, कारण और उपचार
एनल फिस्टुला (Anal Fistula) या गुदा भगन्दर एक गंभीर समस्या है जिसमें गुदा (Anus) के अंदरूनी हिस्से और त्वचा के बीच एक छोटी सुरंग (नलिका) बन जाती है। यह आमतौर पर गुदा के पास फोड़े (Abscess) के बाद विकसित होता है और इलाज न कराने पर पुराना (Chronic) हो सकता है।
एनल फिस्टुला के प्रमुख लक्षण (Symptoms of Anal Fistula in Hindi)

1. गुदा के आसपास दर्द (Anal Pain)
- फिस्टुला वाले स्थान पर लगातार दर्द रहता है।
- मलत्याग (Stool Pass) करते समय दर्द बढ़ जाता है।
- बैठने या चलने में तकलीफ होती है।
2. सूजन और लालिमा (Swelling & Redness)
- गुदा के पास एक उभार या गांठ महसूस हो सकती है।
- त्वचा लाल और संवेदनशील हो जाती है।
3. मवाद या खून आना (Pus or Blood Discharge)
- फिस्टुला से पीले या हरे रंग का मवाद (Pus) निकलता है।
- कभी-कभी खून भी आ सकता है, खासकर मल त्याग के बाद।
- इस वजह से अंडरगारमेंट पर दाग लग सकते हैं।
4. बदबूदार स्राव (Foul Smelling Discharge)
- मवाद से दुर्गंध आती है, जिससे सफाई में परेशानी होती है।
5. बुखार और थकान (Fever & Fatigue)
- संक्रमण (Infection) होने पर बुखार आ सकता है।
- शरीर में कमजोरी और थकान महसूस होती है।
6. खुजली और जलन (Itching & Irritation)
- मवाद के कारण गुदा के आसपास खुजली होती है।
- त्वचा में जलन और चुभन महसूस हो सकती है।

एनल फिस्टुला (गुदा भगंदर) के लिए 20 बेस्ट घरेलू उपाय
एनल फिस्टुला (गुदा भगंदर) एक पीड़ादायक समस्या है, जिसमें गुदा के पास एक छोटी नली बन जाती है जिससे मवाद और खून निकलता है। अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर हो सकता है। सर्जरी इसका मुख्य इलाज है, लेकिन कुछ घरेलू उपाय (Home Remedies) दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
1. गर्म पानी से सिकाई (सिट्ज़ बाथ – Sitz Bath)
✅ कैसे करें?
- एक बर्तन में गुनगुना पानी लें और उसमें नमक (सेंधा नमक या एप्सम सॉल्ट) मिलाएं।
- 15-20 मिनट तक इसमें बैठें।
- दिन में 2-3 बार करने से दर्द और सूजन कम होगी।
2. नारियल तेल (Coconut Oil)
✅ कैसे इस्तेमाल करें?
- नारियल तेल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।
- रोजाना गुदा के आसपास लगाएं, इससे घाव जल्दी भरेगा।
3. एलोवेरा जेल (Aloe Vera Gel)
✅ कैसे लगाएं?
- ताजा एलोवेरा जेल निकालकर प्रभावित जगह पर लगाएं।
- यह सूजन और जलन को कम करता है।
4. हल्दी और दूध (Turmeric Milk)
✅ कैसे पिएं?
- एक गिलास गर्म दूध में 1 चम्मच हल्दी मिलाकर रोज रात को पिएं।
- हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ते हैं।
5. लहसुन (Garlic)
✅ कैसे खाएं?
- 2-3 कच्ची लहसुन की कलियाँ सुबह खाली पेट चबाएं।
- इसमें प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण होते हैं।
6. नीम (Neem)
✅ कैसे उपयोग करें?
- नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर प्रभावित जगह पर लगाएं।
- नीम का काढ़ा पीने से भी फायदा होता है।
7. अंजीर (Figs – Anjeer)
✅ कैसे खाएं?
- 2-3 अंजीर रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाएं।
- यह कब्ज दूर करके मल त्याग को आसान बनाता है।
8. त्रिफला चूर्ण (Triphala Powder)
✅ कैसे लें?
- 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण गर्म पानी के साथ रात को लें।
- यह पाचन ठीक करता है और फिस्टुला में आराम देता है।
9. सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar – ACV)
✅ कैसे इस्तेमाल करें?
- 1 चम्मच ACV को पानी में मिलाकर पिएं।
- इसे पानी में मिलाकर प्रभावित जगह पर भी लगा सकते हैं।
10. जैतून का तेल (Olive Oil)
✅ कैसे लगाएं?
- जैतून के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
- इसे गुदा के आसपास लगाने से घाव जल्दी भरता है।
11. मेथी के बीज (Fenugreek Seeds – Methi Dana)
✅ कैसे उपयोग करें?
- मेथी के बीज का पेस्ट बनाकर प्रभावित जगह पर लगाएं।
- मेथी का पानी पीने से भी लाभ होता है।
12. पपीता (Papaya)
✅ कैसे खाएं?
- पपीता पाचन को दुरुस्त करता है और कब्ज से बचाता है।
- रोजाना पपीता खाएं या इसका जूस पिएं।
13. अरंडी का तेल (Castor Oil)
✅ कैसे लगाएं?
- अरंडी का तेल लगाने से सूजन कम होती है।
- इसे पीने से भी कब्ज दूर होता है।
14. शहद और दालचीनी (Honey & Cinnamon)
✅ कैसे लें?
- 1 चम्मच शहद में दालचीनी पाउडर मिलाकर खाएं।
- यह संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
15. गेहूं का ज्वार (Wheatgrass Juice)
✅ कैसे पिएं?
- गेहूं के ज्वार का जूस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
16. आंवला (Amla)
✅ कैसे खाएं?
- आंवला विटामिन-C से भरपूर होता है, जो घाव भरने में मदद करता है।
- आंवला जूस या चूर्ण का सेवन करें।
17. अदरक की चाय (Ginger Tea)
✅ कैसे बनाएं?
- अदरक की चाय पीने से पाचन ठीक रहता है और दर्द कम होता है।
18. दही (Curd/Yogurt)
✅ कैसे खाएं?
- दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो पेट के लिए अच्छे होते हैं।
- रोजाना दही खाएं।
19. पानी ज्यादा पिएं (Drink More Water)
✅ क्यों जरूरी है?
- दिन में 8-10 गिलास पानी पीने से कब्ज नहीं होता और मल नरम रहता है।
20. फाइबर युक्त आहार (High Fiber Diet)
✅ क्या खाएं?
- हरी सब्जियाँ, दालें, ओट्स, चोकर युक्त आटा खाएं।
- इससे मल त्याग आसान होगा और फिस्टुला में आराम मिलेगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
ये घरेलू उपाय दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन अगर समस्या गंभीर है, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। फिस्टुला का पूरी तरह इलाज सर्जरी से ही संभव है।
एनल फिस्टुला (भगंदर) का आयुर्वेदिक इलाज
एनल फिस्टुला (गुदा भगंदर) को आयुर्वेद में “भगंदर” कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह समस्या वात, पित्त और कफ दोष के असंतुलन के कारण होती है, जिससे गुदा के आसपास घाव, मवाद और दर्द होता है। आयुर्वेद में इसका इलाज दवाओं, पंचकर्म और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से किया जाता है।
1. आयुर्वेदिक दवाएं (Ayurvedic Medicines for Fistula)
क) क्षार सूत्र चिकित्सा (Kshar Sutra Therapy)
- यह आयुर्वेद की सबसे प्रभावी चिकित्सा है, जिसमें एक विशेष धागे (Kshar Sutra) को फिस्टुला ट्रैक्ट में डाला जाता है।
- यह धागा हर्बल एंटीसेप्टिक (अपामार्ग क्षार, हल्दी, नीम) से बना होता है, जो धीरे-धीरे फिस्टुला को काटता है और संक्रमण को खत्म करता है।
- यह सर्जरी से बेहतर विकल्प माना जाता है क्योंकि इसमें रिकवरी तेज होती है और दोबारा फिस्टुला होने की संभावना कम रहती है।
ख) आयुर्वेदिक औषधियाँ (Herbal Medicines)
- त्रिफला चूर्ण – रात को गर्म पानी के साथ लें (कब्ज दूर करता है)।
- हरिद्रा खंड (हल्दी) – सूजन और संक्रमण कम करता है।
- गंधक रसायन – रक्त शोधक (ब्लड प्यूरीफायर) के रूप में काम करता है।
- कंचनार गुग्गुल – गांठ और फोड़े-फुंसियों में उपयोगी।
- अभयारिष्ट – पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
2. पंचकर्म थेरेपी (Panchakarma for Fistula)
आयुर्वेद में पंचकर्म शरीर के विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) को बाहर निकालने का तरीका है। फिस्टुला में निम्न उपचार किए जाते हैं:
क) बस्ती (मेडिकेटेड एनिमा)
- यापन बस्ती (औषधीय एनिमा) दिया जाता है, जिसमें दशमूल क्वाथ, तिल तेल और हर्बल द्रव्य शामिल होते हैं।
- यह मल त्याग को आसान बनाता है और फिस्टुला के दर्द को कम करता है।
ख) विरेचन (प्यूरीफाइंग थेरेपी)
- हर्बल लैक्सेटिव देकर पेट साफ किया जाता है, जिससे कब्ज दूर होती है।
3. आयुर्वेदिक घरेलू उपचार (Ayurvedic Home Remedies)
क) नीम और हल्दी का लेप
- नीम की पत्तियों और हल्दी को पीसकर प्रभावित जगह पर लगाएं (संक्रमण दूर करता है)।
ख) गाय का घी और शहद
- गुनगुने गाय के घी में शहद मिलाकर फिस्टुला पर लगाएं (घाव भरने में मदद करता है)।
ग) अरंडी का तेल (Castor Oil Pack)
- अरंडी के तेल से गुदा की मालिश करें (सूजन कम करता है)।
4. आहार और जीवनशैली (Diet & Lifestyle Changes)
क्या खाएं? (Recommended Diet)
✔️ हल्का और गर्म भोजन (मूंग दाल, खिचड़ी)।
✔️ फाइबर युक्त आहार (पालक, गाजर, अंजीर)।
✔️ हर्बल टी (त्रिफला, अदरक, सौंफ)।
क्या न खाएं? (Avoid These Foods)
❌ मिर्च-मसालेदार भोजन (तेज मिर्च, अचार)।
❌ अधिक तला-भुना और जंक फूड।
❌ शराब और धूम्रपान।
जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle Tips)
- रोजाना व्यायाम (योगासन – पवनमुक्तासन, वज्रासन)।
- भोजन के बाद वज्रासन में बैठें (पाचन ठीक रखता है)।
- कब्ज से बचें (पानी ज्यादा पिएं)।
निष्कर्ष (Conclusion)
आयुर्वेद में फिस्टुला का इलाज क्षार सूत्र, पंचकर्म और हर्बल दवाओं से किया जाता है। यह प्राकृतिक, सुरक्षित और दीर्घकालिक समाधान प्रदान करता है। हालांकि, गंभीर मामलों में एक आयुर्वेदिक चिकित्सक (Ayurvedic Vaidya) से परामर्श जरूर लें।
क्या आपको किसी विशेष आयुर्वेदिक उपचार के बारे में अधिक जानकारी चाहिए? 😊
एनल फिस्टुला (भगंदर) के लिए आहार योजना
✔️ खाने योग्य (Eat These)
- फाइबर युक्त आहार: पालक, गाजर, चुकंदर, ओट्स, दलिया
- फल: पपीता, अंजीर, केला, सेब (छिलके सहित)
- दालें: मूंग दाल, मसूर दाल (हल्की और आसानी से पचने वाली)
- तरल पदार्थ: नारियल पानी, छाछ, हर्बल टी (अदरक, सौंफ)
- घी/तेल: गाय का घी, जैतून का तेल (कम मात्रा में)
❌ परहेज (Avoid These)
- मसालेदार भोजन: मिर्च, अचार, तेज मसाले
- तला-भुना: समोसे, पकौड़े, फास्ट फूड
- अधिक नमक/चीनी: प्रोसेस्ड फूड, डिब्बाबंद सामग्री
- कैफीन/शराब: चाय, कॉफी, अल्कोहल (कब्ज बढ़ाते हैं)
📝 दिनचर्या (Sample Diet Plan)
- सुबह: गुनगुना पानी + भीगे हुए अंजीर (2-3)
- नाश्ता: मूंग दाल चीला/ओट्स खिचड़ी + छाछ
- दोपहर: ब्राउन राइस + मूंग दाल + हरी सब्जी (पालक/लौकी)
- शाम: नारियल पानी + भुने चने
- रात: जौ/गेहूं की रोटी + मूंग दाल सूप
💡 अतिरिक्त सुझाव:
- दिनभर में 8-10 गिलास पानी पिएं
- भोजन के बाद 10 मिनट वज्रासन में बैठें (पाचन में सहायक)
आहार में बदलाव करने से कब्ज कम होगी और फिस्टुला में आराम मिलेगा। 😊