Acidity (अम्लपित्त ) Quick relief !!!!

अम्लपित्त(acidity) परिचय-

Acidity
Acidity

अम्लपित्त (Acidity) एक सामान्य लेकिन कष्टदायक पाचन समस्या है जो अम्ल (एसिड) के अधिक उत्पादन के कारण होती है। यह पेट में जलन, खट्टा डकार, एसिड रिफ्लक्स और अन्य असुविधाओं का कारण बनता है। यह समस्या गलत खानपान, तनाव और जीवनशैली में असंतुलन के कारण उत्पन्न होती है।

अम्लपित्त (acidity meaning in hindi ) एक आम समस्या है, लेकिन इसे सही खानपान, नियमित दिनचर्या और कुछ घरेलू उपायों से नियंत्रित किया जा सकता है। अगर समस्या गंभीर हो जाती है, तो डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक होता है। आयुर्वेद, घरेलू उपचार और चिकित्सकीय उपायों को अपनाकर इस समस्या से बचा जा सकता है।

आज के भागदौड़ वाली जिंदगी में लगभग हर व्यक्ति हाइपर एसिडिटी यानि अम्लपित्त से परेशान है। खाली पेट ज्यादा देर तक रहने से या अधिक तला भुना खाना खाने के बाद खट्टी डकार व पेट में गैस आदि बनने लगती है। एसिडिटी होने पर पेट में जलन, खट्टी डकारें आना, मुंह में पानी भर आना, पेट में दर्द, गैस की शिकायत, जी मिचलाना आदि लक्षण महसूस होते हैं।

अम्लपित्त के कारण (acidity causes)-

अम्लपित्त (Acidity)होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:-

  • अधिक चटपटा मिर्च मसालेदार खाना जैसे अचार, चटनी, इमली, लाल और हरी मिर्च, प्याज, लहसुन
  • गोल गप्पे, आलू चाट या टिक्की, बर्गर, चाऊमीन आदि जंक फूड अधिक खाना,बहोत ज्यादा मैदे कि चीझे खाना
  • देर रात तक जागना
  • दर्द निवारक गोली का खाली पेट सेवन
  • अधिक समय तक खाली पेट रहना
  • खाना खाकर बिस्तर पर लेट जाना
  • डिजिटल युग और एसिडिटी: मोबाइल और लैपटॉप का अत्यधिक उपयोग, खासकर देर रात तक, नींद के पैटर्न को प्रभावित करता है और एसिडिटी को बढ़ावा देता है।
  • फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड का प्रभाव: आजकल अधिक लोग जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं, जिससे अम्लता की समस्या अधिक होती है।
  • बैठे रहने की जीवनशैली (Sedentary Lifestyle): शारीरिक गतिविधियों की कमी से पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, जिससे एसिडिटी (Acidity) की समस्या बढ़ती है।
  • माइंडफुल ईटिंग की कमी: लोग अब टीवी देखते हुए या मोबाइल स्क्रॉल करते हुए खाते हैं, जिससे पाचन प्रक्रिया बाधित होती है और एसिडिटी (Acidity) बढ़ती है।
  • तनाव और मानसिक स्वास्थ्य: आधुनिक जीवनशैली में तनाव बढ़ने से कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे पेट में अम्ल अधिक बनता है।
  • अत्यधिक कैफीन और एनर्जी ड्रिंक्स: चाय, कॉफी और एनर्जी ड्रिंक्स का अत्यधिक सेवन पेट की अम्लता को बढ़ाने का मुख्य कारण बनता है।
  • गलत खानपान समय: अनियमित समय पर भोजन करने से शरीर की जैविक घड़ी (Biological Clock) प्रभावित होती है, जिससे अम्लपित्त (Acidity) की समस्या उत्पन्न होती है।
  • मॉडर्न मेडिसिन और एंटासिड्स का प्रभाव: अम्लपित्त के लिए अत्यधिक एंटासिड्स का उपयोग लक्षणों को तुरंत राहत देता है लेकिन यह दीर्घकालिक समाधान नहीं है और शरीर में असंतुलन पैदा कर सकता है।
  • गलत खानपान: अधिक तैलीय, मसालेदार और जंक फूड का सेवन करने से पेट में अम्ल का स्राव अधिक होता है।
  • अनियमित भोजन: समय पर भोजन न करना, लंबे समय तक भूखे रहना या अत्यधिक भोजन करना भी अम्लपित्त (Acidity) को बढ़ावा देता है।
  • तनाव और चिंता: मानसिक तनाव से पाचन क्रिया प्रभावित होती है, जिससे अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है।
  • अत्यधिक चाय और कॉफी: अधिक कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन करने से पेट में एसिड का स्तर बढ़ सकता है।
  • शराब और धूम्रपान: इनका अत्यधिक सेवन करने से पाचन क्रिया प्रभावित होती है और अम्लपित्त की समस्या उत्पन्न होती है। धूम्रपान, तम्बाकू, शराब आदि के सेवन से ।
  • कम पानी पीना: पानी की कमी से शरीर में अम्ल का संतुलन बिगड़ सकता है।
  • अनियमित जीवनशैली: देर रात तक जागना, व्यायाम न करना, और शरीर को पर्याप्त आराम न देना भी अम्लपित्त (Acidity) का कारण बन सकता है।

अम्लपित्त के लक्षण (acidity symptoms)-

अम्लपित्त के कई लक्षण होते हैं, जो इसके स्तर और गंभीरता के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं,पेट में अम्लता और पित्त की वृद्धि से यह रोग होता है। इसके ये लक्षण बताये गए है – क्या है अम्लपित्त (Acidity) के मुख्य लक्षण-.

Acidity
Acidity
  • खट्टी डकारें आना
  • पेट और गले में जलन होना
  • खाना खाने की इच्छा नहीं होना
  • खाना खाने के बाद उल्टी या मिचली आना
  • कभी कब्जियत होना, कभी दस्त होना
  • सीने में जलन: पेट में बनने वाला अतिरिक्त अम्ल सीने में जलन पैदा करता है।
  • खट्टे डकार आना: भोजन के बाद खट्टे या कड़वे डकार आना अम्लपित्त का संकेत हो सकता है।
  • गले और मुँह में जलन: अम्ल के अधिक स्राव से गले और मुँह में जलन हो सकती है।
  • भूख न लगना: अम्लपित्त के कारण पाचन शक्ति कमजोर हो सकती है, जिससे भूख कम लगती है।
  • मतली और उल्टी: कुछ मामलों में अत्यधिक अम्लता के कारण मतली और उल्टी हो सकती है।
  • सिरदर्द और चक्कर आना: पाचन तंत्र की गड़बड़ी के कारण सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
  • मुँह में खट्टा या कड़वा स्वाद आना: यह समस्या तब होती है जब अम्ल पेट से ऊपर की ओर आता है।

अम्लपित्त (Acidity) का उपचार-

अम्लपित्त का उपचार आयुर्वेदिक, घरेलू उपायों और चिकित्सकीय पद्धतियों से किया जा सकता है।

आयुर्वेदिक उपचार (acidity ayurvedic tretment ):

आयुर्वेद से कैसे करे इलाज़-

आयुर्वेद में इसका इलाज संशमन और संशोधन दो प्रकार से किया जाता है। संशमन चिकित्सा में औषधियों का प्रयोग किया जाता है और संशोधन में पंचकर्म द्वारा इसका इलाज किया जाता है। इन सभी औषधियों का प्रयोग बिना चिकित्सक के परामर्श के बिल्कुल नही करना चाहिए।

  • अविपत्तिकर चूर्ण
  • सुतशेखर रस
  • कामदुधा रस
  • मौक्तिक कामदुधा
  • अमलपित्तान्तक रस
  • अग्नितुण्डि वटी
  • फलत्रिकादी क्वाथ पंचकर्म चिकित्सा में इसका इलाज़ वमन चिकित्सा द्वारा किया जाता है जिससे इस रोग से पूर्ण रूप से मुक्ति मिल जाती है।
  • आंवला: आंवला पेट के अम्ल को संतुलित करने में सहायक होता है।
  • मुलेठी: मुलेठी चूर्ण का सेवन अम्लता को कम करता है।
  • गिलोय: यह एक उत्कृष्ट पाचन सुधारक औषधि है।
  • शतावरी: यह पेट को ठंडक पहुँचाने और अम्लता को कम करने में मदद करती है।
  • त्रिफला चूर्ण: यह पाचन को बेहतर बनाकर अम्लता को नियंत्रित करता है।

चिकित्सकीय उपचार:-

  1. एंटासिड्स (Antacids): ये पेट में एसिड को न्यूट्रल करने में मदद करते हैं, जैसे रेनिटिडीन, फेमोटिडीन आदि।
    • Gelusil (जेलुसिल)मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड + एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड + साइमेथिकोन
    • Digene (डाइजीन)मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड + एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड + साइमेथिकोन
    • Eno (ईनो)सोडियम बाइकार्बोनेट + साइट्रिक एसिड + सोडियम कार्बोनेट
    • Milk of Magnesia (मिल्क ऑफ मैग्नीशिया)मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड
  2. प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स (PPIs): ओमेप्राजोल, एसोमेप्राजोल, लैंसोप्राजोल आदि एसिड के उत्पादन को कम करने में सहायक होते हैं।
    • Pantocid / Pantop (पैंटोसिड / पैंटोप)पैंटोप्राज़ोल (Pantoprazole)
    • Omez / Omez D (ओमेज / ओमेज डी)ओमेप्राज़ोल (Omeprazole)
    • Nexpro / Nexium (नेक्सप्रो / नेक्सियम)एसोमेप्राज़ोल (Esomeprazole)
    • Rabicip / Razo (रैबिसिप / रैजो)रेबेप्राज़ोल (Rabeprazole)
    • Lanzol (लैंज़ोल)लैंसोप्राज़ोल (Lansoprazole)
  3. एच2-ब्लॉकर्स (H2 Blockers): ये एसिड उत्पादन को कम करने में मदद करते हैं, जैसे रेनिटिडीन और फेमोटिडीन।
    • Rantac (रैनटैक)रैनिटिडीन (Ranitidine)
    • Zinetac (ज़ाइनटैक)रैनिटिडीन (Ranitidine)
    • Famocid (फैमोसिड)फेमोटिडीन (Famotidine)
    • Pepcid (पेप्सिड)फेमोटिडीन (Famotidine)
  4. प्रोकिनेटिक्स (Prokinetics): डोमपेरिडोन और इटोप्राइड जैसी दवाएँ पेट की गति को बढ़ाने और अम्ल को वापस जाने से रोकने में सहायक होती हैं।
    • Domstal / Domperidone (डोमस्टल / डोमपेरिडोन)डोमपेरिडोन (Domperidone)
    • Perinorm (पेरिनॉर्म)मेटोक्लोप्रामाइड (Metoclopramide)
    • Ganaton (गैनाटोन)इतोप्राइड (Itopride)
  5. एंटी-गैस दवाएं (Anti-Gas Medications): साइमेथिकोन गैस और सूजन को कम करने में मदद करता है।
    • ये दवाएं पेट में गैस को तोड़ने में मदद करती हैं और सूजन से राहत देती हैं।
    • Gas-X (गैस-एक्स)साइमेथिकोन (Simethicone)
    • Flatuna (फ्लैटुना)साइमेथिकोन + एक्टिवेटेड चारकोल
    • Colicarmin (कोलीकार्मिन)साइमेथिकोन + डिल ऑयल + फेन्ल ऑयल
    • Mucaine Gel (म्युकैन जेल)साइमेथिकोन + एंटीएसिड्स
  6. लाइफस्टाइल मैनेजमेंट: डॉक्टर आमतौर पर खानपान और जीवनशैली में सुधार की सलाह देते हैं, जैसे सही आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन।
  7. सर्जरी (गंभीर मामलों में): जब दवाओं से राहत नहीं मिलती, तो फंडोप्लिकेशन नामक सर्जरी की जाती है, जिससे एसिड रिफ्लक्स रोका जा सकता है।
  8. पाचन एंजाइम्स: यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं।
    • Aristozyme (अरिस्टोजाइम)अमाइलाज + प्रोटीऐज + पेप्सिन
    • Unienzyme (यूनिएंजाइम)एक्टिवेटेड चारकोल + डायाजेस्टिव एंजाइम्स
    • Festal (फेस्टल)पैंक्रिएटिन + बाइल एक्सट्रैक्ट + हेमिसेलुलोज
    • Pancreoflat (पैंक्रियोफ्लैट)पैंक्रिएटिन + साइमेथिकोन
  9. प्रोबायोटिक्स – पेट के अच्छे बैक्टीरिया बढ़ाने वाली दवाएं
    • ये दवाएं आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाकर गैस और अपच की समस्या को कम करती हैं
    • Econorm (ईकोनॉर्म)Saccharomyces Boulardii
    • Sporlac (स्पॉरलैक)Lactic Acid Bacillus
    • VSL#3 (वीएसएल#3)मल्टी-स्पेक्ट्रम प्रोबायोटिक्स

55 घरेलू नुस्खे -घरेलू उपचार( acidity home remedies) :-

  1. गुनगुना पानी पिएं: सुबह खाली पेट हल्का गुनगुना पानी पीने से पेट की सफाई होती है और अम्लपित्त (Acidity) में राहत मिलती है।
  2. तुलसी के पत्ते चबाएँ: तुलसी में प्राकृतिक एंटी-अम्लीय गुण होते हैं जो पेट की जलन को कम करते हैं।
  3. शहद और दूध का सेवन करें: ठंडा दूध और शहद मिलाकर पीने से अम्लता कम होती है।
  4. एलोवेरा जूस पिएं: एलोवेरा जूस अम्लता को नियंत्रित करता है और पेट को ठंडक देता है।
  5. नारियल पानी लें: नारियल पानी अम्लता को संतुलित करने में मदद करता है।
  6. सौंफ का पानी पिएं: सौंफ को पानी में भिगोकर पीने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।
  7. जीरा पानी का सेवन करें: जीरा पानी गैस और अम्लता को कम करता है।
  8. अदरक की चाय पिएं: अदरक में पाचन सुधारने वाले गुण होते हैं जो अम्लपित्त (Acidity) से राहत देते हैं।
  9. सेब का सिरका पिएं: सेब का सिरका पानी में मिलाकर पीने से पेट की एसिडिटी कम होती है।
  10. केला खाएं: केला प्राकृतिक एंटासिड का काम करता है।
  11. पपीता खाएं: पपीता पाचन को बेहतर बनाता है।
  12. ठंडा दूध पिएं: ठंडा दूध एसिड को संतुलित करता है।
  13. ग्रीन टी पिएं: ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो पाचन में सहायक होते हैं।
  14. कच्चा धनिया चबाएँ: यह पेट की जलन कम करता है।
  15. अजवाइन का सेवन करें: अजवाइन गैस और अम्लपित्त के लिए लाभकारी है।
  16. दही खाएं: दही पेट के बैक्टीरिया को संतुलित करता है।
  17. छाछ पिएं: छाछ पाचन के लिए बहुत अच्छी होती है।
  18. अनार का रस लें: अनार का रस पेट की अम्लता को कम करता है।
  19. लौंग चबाएँ: लौंग अम्लता को कम करने में सहायक होती है।
  20. काली मिर्च का सेवन करें: काली मिर्च पाचन क्रिया को तेज करती है।
  21. मेथी के दाने पानी में भिगोकर पिएं: यह एसिडिटी (Acidity) को कम करता है।
  22. पुदीना पत्ते का रस पिएं: पुदीना पेट को ठंडक देता है।
  23. भीगे हुए किशमिश खाएं: यह अम्लता को कम करता है।
  24. मिश्री और इलायची का सेवन करें: यह पेट की जलन शांत करता है।
  25. हल्दी दूध पिएं: हल्दी पाचन को सुधारती है।
  26. तिल के बीज चबाएँ: तिल पेट को राहत देता है।
  27. नारियल तेल लें: नारियल तेल पाचन को बेहतर बनाता है।
  28. बादाम खाएं: बादाम अम्लता को कम करता है।
  29. गुड़ खाएं: गुड़ पाचन को दुरुस्त करता है।
  30. सोने से पहले पानी पिएं: यह अम्लता को नियंत्रित करता है।
  31. भुना हुआ धनिया पाउडर पानी में मिलाकर पिएं: यह पेट की जलन को शांत करता है।
  32. गुलकंद का सेवन करें: गुलकंद शरीर को ठंडक पहुँचाता है और अम्लता को कम करता है।
  33. छाछ में काला नमक और अजवाइन मिलाकर पिएं: यह अम्लता को नियंत्रित करता है।
  34. गुड़ और सौंफ का मिश्रण खाएं: यह पाचन को सुधारता है।
  35. अश्वगंधा पाउडर दूध के साथ लें: यह पेट की जलन और अम्लता को कम करता है।
  36. खीरा और तरबूज का सेवन करें: यह शरीर को हाइड्रेट करता है और अम्लता को कम करता है।
  37. भीगे हुए बादाम खाएं: यह पाचन को मजबूत बनाता है।
  38. लौकी का रस पिएं: यह पेट की गर्मी को शांत करता है।
  39. सौंठ और गुड़ का काढ़ा पिएं: यह अम्लता को दूर करता है।
  40. कच्चा नारियल खाएं: यह अम्लपित्त के लिए बहुत लाभदायक होता है।
  41. मुनक्का (किशमिश) रातभर भिगोकर खाएं: यह अम्लता को कम करता है।
  42. तरबूज का जूस पिएं: यह शरीर को ठंडा रखता है और अम्लपित्त (Acidity) को कम करता है।
  43. पालक का रस पिएं: यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
  44. चावल का पानी (मांड) पिएं: यह अम्लता को कम करता है।
  45. गुनगुने पानी में हल्का नमक मिलाकर पिएं: यह पेट की गैस को कम करता है।
  46. नींबू पानी में शहद मिलाकर पिएं: यह अम्लता को संतुलित करता है।
  47. कच्चे प्याज का रस लें: यह एसिडिटी से राहत दिलाने में मदद करता है।
  48. ताजा नारियल पानी पीने की आदत डालें: यह अम्लता को नियंत्रित करता है।
  49. साबुत धनिया पाउडर पानी में मिलाकर पिएं: यह पेट को ठंडक देता है।
  50. बेल का शरबत पिएं: यह पेट की जलन को शांत करता है और पाचन में सुधार करता है।
  51. गुनगुना पानी पिएं: दिन में कम से कम 7-8 गिलास गुनगुना पानी पिएं।
  52. तुलसी के पत्ते चबाएँ: यह अम्लपित्त में राहत देता है।
  53. शहद और दूध: रात में शहद के साथ दूध पीने से अम्लता कम होती है।
  54. एलोवेरा जूस: यह पेट की जलन को कम करने में सहायक होता है।
  55. नारियल पानी: यह पेट के अम्ल को नियंत्रित करता है।

अम्लपित्त (Acidity) से बचाव के उपाय-

Acidity
Acidity
  • आयुर्वेद के सिध्दात के अनुसार तिक्त रस प्रधान आहार, गेहूं के बने पदार्थ, सत्तू तथा मधु एवं शर्करा का सेवन अधिक करना चाहिए।
  • परवल की सब्जी के सेवन से लाभ मिलता है।
  • कच्चा नारियल और उसका पानी, खीरे आदि सेवन करें।
  • भोजन में हलके आहार जैसे दलिया, खिचड़ी खाएं।
  • गाय का दूध, अनार का रस, अंगूर, मौसमी, सौंफ, मुनक्का, आवला, अंजीर, पुराना चावल आदि खाद्य पदार्थ का अधिकता से सेवन करना चाहिए।
  • मिश्री, आंवला, गुलकंद, मुनक्का आदि मधुर द्रव्यों का प्रयोग करना चाहिए।
  • चाय, कॉफी, शराब, तंबाकू , कोल्ड ड्रिंक्स जैसी चीजों का सेवन न करें।
  • अधिक समय तक खाली पेट न रहें।
  • दूध का प्रयोग नियमित रूप से करें।
  • सुबह खाली पेट एक-दो गिलास पानी पिएं।
  • संतुलित आहार लें: हरी सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज और फाइबर युक्त आहार लें।
  • भोजन के बाद टहलें: भोजन के तुरंत बाद लेटने से बचें और हल्की सैर करें।
  • अधिक मसालेदार भोजन से बचें: तैलीय और मसालेदार भोजन से दूरी बनाए रखें।
  • धूम्रपान और शराब से बचें: यह अम्लपित्त को बढ़ावा देते हैं।
  • योग और प्राणायाम करें: योगासन जैसे वज्रासन, भुजंगासन, और प्राणायाम अम्लपित्त को कम करने में मदद करते हैं।
  • खूब पानी पिएं: शरीर में जल संतुलन बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन करें।
  • तनाव कम करें: ध्यान और मेडिटेशन से मानसिक तनाव कम किया जा सकता है।
  • खाने के बाद तुरंत न सोएं: रात के खाने के बाद कम से कम 2-3 घंटे तक न सोएं।

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