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कब्ज रोग परिचय-

आँतों से मल न निकले व कम निकले या मुश्किल से निकले अथवा बँधा हुआ न निकले, यही कब्ज/मलावरोध (Constipation meaning in Hindi) है। अर्थात् खान-पान, आहार-विहार की अनेक गड़बड़ियों के फलस्वरूप मल का आँतों में रुक जाना ही कब्ज है। इसे कब्जियत अथवा कोष्ठवद्धता एवं मलबंध आदि नामों से जाना जाता है।

कब्ज के लिए मलाप्रवृत्ति, वद्धविटकता, विग्रह, विडविबद्धता, आदि अनेक शब्दों का शास्त्र में प्रचलन है। सुश्रुत ने ‘अनाह’ शब्द का प्रयोग विबंध अर्थ में किया है, पर कोष्टबद्धता के अर्थ में अनाह शब्द का प्रचलन अधिक नहीं है। साधारण भाषा में शुष्क मल के रुकने का रोग ही कब्ज (Constipation meaning in Hindi)है।
कब्ज वह अवस्था है, जिसमें भुक्त आहार का अवशेष (Residue) 48 घण्टों के समय में भी बाहर नहीं निकल पाता है।

Constipation meaning in Hindi
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कब्ज (Constipation meaning in Hindi) के कारण –

  • हर समय कुछ न कुछ खाते रहना, गरिष्ट एवं मसालेदार चीजों का अत्यधिक सेवन ।
  • वासी या सूखा भोजन करने से प्रायः कब्ज हो जाती है।
  • मादक पदार्थों के सेवन से उदर में शुष्कता उत्पन्न होकर मल शुष्क हो जाता है।
  • विद्युत चक्की का चिकना महीन आटा, बिना छिलके की दाल, पालिश किए हुए चावल, चोकर रहित आटा, चिकना मैदा, छिलका रहित बनाई गई सब्जियाँ, रेसारहित आहार का अत्यधिक सेवन ।
  • पानी कम पीने की आदत ।
  • परिश्रम रहित अकर्मण्य जीवन ।
  • मलत्याग के लिए चाय या बीड़ी/सिगरेट के उपयोग की आदत ।
  • शर्म, संकोच या अधिक व्यस्तता के कारण मलोत्सर्जन की हाजत को रोके रखने की आदत ।
  • चिंता, भय, क्रोध, आघात आदि मानसिक विकार ।
  • अत्यधिक परिश्रम एवं अपर्याप्त आहार ।
  • मलत्याग के लिए चाय या बीड़ी/सिगरेट के उपयोग की आदत |
  • शर्म, संकोच या अधिक व्यस्तता के कारण मलोत्सर्जन की हाजत को रोके रखने की आदत ।
    चिंता, भय, क्रोध, आघात आदि मानसिक विकार ।
  • अत्यधिक परिश्रम एवं अपर्याप्त आहार ।
  • अर्श-बवासीर, भगंदर आदि मलमार्ग के रोगों के कारण मलत्याग के समय होने वाली पीड़ा
    के डर से मलत्याग को रोके रखने की प्रवृत्ति ।
    यह सब कुछ कारण है कब्ज (Constipation meaning in Hindi) के
Constipation meaning in Hindi
Constipation meaning in Hindi
  • कुछ अन्य कारण भी कब्ज (Constipation meaning in Hindi) रोग पैदा करने में सहायक हैं-
  • लम्बी बीमारी के कारण शारीरिक दोषों का अत्यधिक प्रकोप और शरीर के सभी अवयवों का अपना-अपना काम ठीक से न करना ।
  • भोजन की अल्प मात्रा, भोजन में शाक-सब्जियों तथा शोषित होने वाले पदार्थों का अभाव, विटामिनों का अभाव, भोजन सही ढंग से चबाकर न खाना ।
  • उदर की पेशियों की दुर्बलता, वृहदांत्र की दुर्बलता, वृद्धावस्था, खून की कमी (अनीमिया), आंत्र की गति कम करने वाले पदार्थ ।
  • थायरायड एवं पिट्यूटरी ग्रांथियों के स्रावों की कमी।
  • मस्तिष्क के कुछ रोग तथा संग्राही औषधियाँ का सेवन ।पित्त तथा आंत्र के स्रावों की कमी होने के कारण यकृत के रोग या सही कार्य न करना, अत्यधिक पसीना या पेशाब जाने वाले पदार्थों का सेवन ।
  • आँतों की विकृति तथा लिवर की दुर्बलता आदि भी इसके (Constipation meaning in Hindi)कारणों में से एक है।
  • फसल के उपजाने में और अन्न की सुरक्षा में नाना प्रकार के उर्वरकों (Manuries) एवं कीटनाशकों का व्यवहार चल रहा है। फास्ट फूड का क्रम भी सीमा से बाहर चल रहा है। दिन में 5-6 बार चाय पीना लोगों की एक आदत बन गई है। आजकल तो चाय पीना और पिलाना एक सभ्यता-सी बन गई है।
  • परन्तु अध्ययनों से पता चला है कि आजकल अधिकतर लोग आहार-विहार-जन्य कब्ज के ही शिकार हैं। क्योंकि आजकल खाद्य वस्तुओं में मिलावट रहती है।
  • नोट- • कब्ज कोई स्वतंत्र रोग नहीं हैं, लेकिन किसी भी कारण से कब्ज होने पर अनेक दूसरे रोग। विकारों की उत्पत्ति होने लगती है।
  • यह एक ऐसी अवस्था है जो मिथ्या आहार-विहार के कारण पेदा होती है और फिर स्थायी रूप धारण कर लेती है। आज अधिकांश मनुष्य इसी से पीड़ित दिखाई देते हैं।
Constipation meaning in Hindi
Constipation meaning in Hindi

पुरानी कब्ज (Chronic constipation)— मुख्य रूपसे इन कारणों से हो सकती है-

1)मलत्याग संबंधी बुरी आदतें, खान-पान संबंधी बुरी आदतें,

2)संक्षोभक वृहदंत्र (Irritable large intestion),

3)उद्वेष्टन मुक्त वृहद्र-आंत्र शोथ (Spastic colitis)

4)भावनात्मक विकार (Emotional disturbances) ।

5) मलमार्ग में चोट के कारण या अंग का बनावट के कारण रुकावट का पाया जाना; जैसे-किसी वस्तु का जमाव, आँतों में ट्यूमर, गुदा या मलाशय की गलत बनावट अथवा मलमार्ग में कहीं सूजन का पाया जाना कुछ कारण हैं, जिनसे अंग संबंधी कब्ज (Constipation meaning in Hindi)उत्पन्न होती है।

6) जुलाबों से कब्ज( Constipation meaning in Hindi) हो सकती है-दस्तावर दवाई या जुलाब नियमित लेना कब्ज का एक प्रमुख कारण का परी तरह खाली कर देता है और उसके बाद आँतों में इतना कुछ नहीं बच जाता कि अगले दिन शौच हो या शौच के लिए दबाव बने।

आँतों में फिर से शौच के लायक मल के इकट्ठा होने में कुछ समय लगता है और उसके बाद ही आदमी को शौच के लिए दबाव महसूस होता है। किन्तु लोग इतने समय तक इंतजार नहीं कर पाते और फिर जुलाब ले लेते हैं। एक बार फिर जुलाब लेने वाले व्यक्ति को 2-3 दस्त होते हैं और आँतें खाली हो जाती हैं। यह क्रम चलता रहता है और आदमी जुलाब लेने का आदी हो जाता है।


कब्ज होने पर खाना नहीं छोड़ना चाहिए-अनेक लोग कब्ज हो जाने पर खाना छोड़ देते हैं। वे सोचते हैं कि पहले से ही पेट में इतना कुछ भरा हुआ है, इसलिए जब तक वह मल बाहर नहीं आ जाता तब तक वे और अधिक कैसे खा सकते हैं। मगर यह पूरी तरह से गलत है, इसलिए कब्ज होने पर भी भोजन नहीं छोड़ना चाहिए।

कब्ज (Constipation meaning in Hindi) के लक्षण –

Constipation meaning in Hindi
Constipation meaning in Hindi
  • कब्ज होने पर शौच कठिनता से आती है। मल शुष्क हो जाने से बहुत पीड़ा होती है।
  • रोगी को हफ्ते मे 3 से 4 दिन ही शौच होता है ।
  • शौच से आने के बाद रोगी को पेट पूरा साफ होने का अहेसास नहीं होता ।
  • कब्ज(Constipation meaning in Hindi) के रोगी का पेट हर समय भारी बना रहता है। रोगी की भूख धीरे-धीरे कम होने लगती है। पर लोग ऐसे भी हैं, जिनकी भूख बढ़ जाती है।
  • अक्सर पेट में हल्का-हल्का, मीठा-मीठा दर्द बना रहता हे। ऐसा दर्द कुछ रोगियों में नहीं भी होता है तथा कुछ को कभी-कभी उठता है।
  • जीभ पर मैल की तथा एक सफेद रंग की एक परत हर समय जमी रहती है।
  • अधिकांश कब्ज के रोगियों के मुख से दुर्गंध आती रहती है तथा दूषित दुर्गंधयुक्त वायु गुदा से निकलती रहती है।
  • आँतों में पत्थर की भाँति सड़नयुक्त अन्न की सड़ान से सिरदर्द, शरीर दर्द, सिर चकराना, मितली, किसी काम में मन न लगना, मानसिक तनाव एवं शिथिलता जैसे लक्षण होते हैं।
  • कब्ज (Constipation meaning in Hindi)के रोगी को ज्वर हरारत, सुस्ती, नींद न आना, मंदाग्नि, अग्निमांद्य, अजीर्ण, अरुचि, अफारा, आलस्य, जँभाई आदि लक्षण विशेष रूप से दृष्टिगोचर होते हैं।
  • अधिकांश रोगी इस बात से परेशान रहते हैं कि वे जितना खा पी रहे हैं उतना मल नहीं उतरता। यदि कब्ज निरंतर बना रहे ,तो रोगी अनेक शारारिक,मानसिक और स्नायु सम्बधी रोगों का शिकार हो जाता है।
  • कब्ज़ में अधिक जोर लगाने पर शुष्क हुए मल से गुदा द्वार पर शोथ हो सकती है। इससे अर्श (बवासीर)की भी उत्पत्ति हो सकती है।
  • अधिक समय तक कब्ज बने रहने से घबराहट और बेचैनी होने लगती है। किसी काम में मन नहीं लगता है और न कुछ खाने की इच्छा होती है।
  • मांसपेशियों का शिथिल होना
  • कब्ज स्वयं में एक कष्टदायक रोग है, किन्तु गर्भावस्था व बवासीर में कब्ज होने पर स्थिति अत्यंत चिंताजनक हो सकती है।
  • लम्बे समय तक कब्ज रहने से पेट में गैस बनने लगती है। गैस बनने से सिर में बहुत दर्द होता है। जब यह गैस हृदय को प्रभावित करती है तब रोगी बहुत घबराहट अनुभव करता है।
  • कब्ज (Constipation meaning in Hindi)के कारण अम्लपित्त (Acidity) होने पर वक्षस्थल/छाती व गले में जलन होती है। रोगी को बार-बार खट्टी डकारें आती हैं। मुँह में कड़वाहट घुली रहती है, जी मिचलाता है, जिसके कारण उलटी हो जाती है।
  • इसके अतिरिक्त कुछ रोगियों में त्वचा पर विवर्ण धब्बे, रक्तन्यूनता (Low blood pressure) एवं शीतपित्त की भाँति चकत्ते हो जाते हैं।
  • स्त्रियों में कब्ज होने पर, जैसा कि इनमें प्रायः होता है, श्रोणि प्रदेश के रोग बढ़ सकते हैं। कष्टमय मल त्याग (Dyschezia) सबसे अधिक पाई जाने वाली कब्ज है। ऐसे रोगियों में प्रायः यथा समय मल त्याग करने की आदत नहीं होती है। कब्ज(Constipation meaning in Hindi) के रोगियों में उच्च रक्तचाप की भी शिकायत पाई जा सकती है।
  • दमा, ब्रांकाइटिस/खाँसी/श्वसनीशोथ, पुराना जुकाम और टांसिल्स कुछ ऐसे रोग हैं, जो कब्ज से ही उत्पन्न होते हैं। जब कब्ज दूर होती है तो ये रोग भी अपने आप नष्ट हो जाते है। इसलिए ‘यह आवश्यक हो जाता है कि ठीक समय पर कब्ज का उपचार करके छुटकारा पा लिया जाए।
  • मलाशयी कब्ज में बचपन से ही प्रातःकाल मल त्याग करने की आदत न पड़ने के कारण कालांतर में कब्ज की शिकायत देखी जाती है, क्योंकि यह एक प्रतिवर्तित (Reflex) क्रिया है, जो उचित समय और नियम का पालन न करने से पैदा होती है। उदर प्रदेश की पेशियों की शिथिलता, वृद्धावस्था की स्थिति तथा बहुप्रसवा महिलाओं आदि में ऐसा अक्सर होता है।
  • जिन लोगों के मलद्वार में घाव होते हैं और जो लोग मलत्याग के समय होने वाली पीड़ा या जलन के डर से अथवा कामकाज की व्यस्तता के कारण दस्त की हाजत को रोके रखते हैं, उन्हें इस प्रकार की कब्जियत अधिक होती है। शुष्कमल के अवरुद्ध हो जाने से मलाशय फैल जाता है और रोगी की मलत्याग की इच्छा भी मारी जाती है। यह सब कब्ज के लक्षण (constipation symptoms) है ।

कब्ज ( Constipation meaning in Hindi) की चिकित्सा –

कब्ज मे आंतों मे रुक्षता यह एक बड़ा कारण है इस लिए आंतों का नरम करने के लिए घी आदी स्नेह द्रव्य भी लाभकर है । थोड़े समय के लिए लिक्विड पैराफीन का उपयोग किया जा सकता है। मलत्याग का समय निश्चित होना चाहिए। इच्छा न होने पर भी समय पर मल त्याग के लिए जाना चाहिए। मलत्याग के लिए अधिक बल का प्रयोग न करें। यदि अबटुग्रंथि की न्यूनता (Hypothyroidism) हो, तो उसे दूर करना चाहिए।

Constipation meaning in Hindi
Constipation meaning in Hindi
  1. कब्ज (Constipation meaning in Hindi)दूर करने में सनाय का एकदर्थ प्रयोग निरापद है। लिक्विड पैराफीन के अतिरिक्त एरण्डस्नेह, मैगसल्फ आदि भी कब्ज की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं में उपयोगी हैं। गुदवर्तियाँ (सपोजीटरी) अद्योभाग में स्थित मल को निकालने में सद्यः लाभप्रद हैं।
  2. कुछ विशेष अवस्थाओं में एनीमा का प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए नलकी में पहले 30-60 मिली. ग्लिसरीन, एरंड स्नेह या जैतून का तेल डाल देते हैं। तत्पश्चात् 1-2 लीटर लवण मिश्रित गर्म जल चढ़ाते हैं। कभी-कभी शुष्क मल इस तरह फँस जाता है कि उसे कुशल हस्तों से ही दूर करना संभव होता है।
    अनुभूत चिकित्सा-(constipation home remedies)
  3. छोटी हरड़, काला नमक समान-समान मिलाकर रख ले। दिन में 3-4 ग्राम 3 बार लें। 3. आधा लीटर दूध में एक चम्मच घी और एक चुटकी पीपरामूल का चूर्ण डालकर दूध को उबाल लें। इस दूध को गुनगुना पी जाइए। ध्यान रहे दूध पीने के बाद पानी न पियें। इससे आँतों और मलाशय में स्थित मल चिकना और ढीला होकर बाहर निकल जाता है।
  4. नोट- यह प्रयोग रात के समय करना चाहिए।
  5. गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पीने से भी पेट साफ होता है।
  6. हरड़ 50 ग्राम, सनाय 50 ग्राम, गुलाब 10 ग्राम, कालाजीरा 1 ग्राम, रूमीमस्तगी 10 ग्राम, 5 ग्राम इन सबका चूर्ण कर लें। 4-6 ग्राम की मात्रा में रात के समय लें।
  7. नींबू पानी का सेवन-सुबह उठकर गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पीने से भी पेट साफ होता है ठंडे पानी में शहद भी मिलाया जा सकता है।
  8. कब्ज (Constipation meaning in Hindi)की शिकायत के लिए अदरक की पतली-पतली फाँकें गुड़ के साथ प्रयोग कराएँ। इससे सरलता के साथ कब्ज का नाश हो जावेगा। दस्त साफ आयेंगे आँतें शुद्ध हो जावेंगी और मानसिक शांति अनुभव होगी। इसे सप्ताह में हो सके तो 4-5 दिन अवश्य लेना चाहिए। इसका प्रयोग सुबह शाम करें।
  9. सनाय की पत्ती 50 ग्राम रात को भिगोकर रख दें। सुबह छानकर 30 ग्राम पिसी हुई मिश्री, 50 ग्राम शहद और 6 ग्राम गुलाब के फूल मिलाकर प्रयोग करके ऊपर से 250 मि.ली. दूध पिला दें। कैसा भी कब्ज(Constipation meaning in Hindi) हो दूर हो जावेगा और आँतें साफ हो जावेंगी।
  10. आँवला 10 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम, सनाय 10 ग्राम लें। आँवला और सौंफ को थोड़ा कूट लें। इन तीनों को रात के समय 300 मि.ली. पानी में भिगो दें। सुबह निथारकर पानी में 40 ग्राम शक्कर मिलाकर पिला दें। इससे 2-3 दस्त आकर पेट साफ हो जायेगा, ऊपर से दलिया या खिचड़ी खाएँ ।
  11. सनाय, सौंफ, मुलहठी-तीनों 10-10 ग्राम शर्करा 7 ग्राम एक साथ कूट-पीस लें। इसमें से 1 से पेटदर्द 3 चम्मच तक रोगी के बलाबल के अनुसार दें। इससे कब्ज (Constipation meaning in Hindi)दूर होता है तथा अफारा, आदि में लाभ होता है।
  12. सनाय, गुलाब के फूल 30 ग्राम बड़ी हरड़ का बक्कुल 30 ग्राम, बहेड़े का बक्कुल 30 ग्राम, आँवले बिना मुठली के 30 ग्राम, बादाम की मीगी 10 ग्राम, कुल्फा के बीज 10 ग्राम, शुद्ध जमालगोटा की मींग 3 ग्राम- इन सबको कूट-पीस छानकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में गुलकंद 10 ग्राम या मिश्री 3 ग्राम मिलाकर रात को सोते समय गुनगुने दूध या गरम जल के साथ सेवन करने से प्रातःकाल दस्त साफ होगा। मृदुकोष्ट वालों को कभी एक दस्त अधिक हो जाता है उन्हें इसकी थोड़ी मात्रा कम देनी चाहिए। इसके सेवन से पुराना मलावरोध (Constipation meaning in Hindi)भी नष्ट होता है। इसके सेवन से न जी घबड़ाता है और न दस्त होने से निर्बलता होती है।
  13. बादाम नग 6, मुनक्का नग 6, मगज खरबूजा 4 ग्राम, छोटी इलायची 2, मिश्री 10 ग्राम। जब मलावरोध के साथ यकृत के स्थान पर दबाने से पीड़ा हो, तो उपरोक्त योग ठंढ़ाई की तरह घोटकर 1/2 कप पानी में मिलाकर देने से रोगी को चमत्कार दिखाता है।
  14. किन्ही-किन्हीं रोगियों को पुरानी कब्ज रहती है और उपरोक्त योग उनमें लाभकारी नहीं होते हैं। ऐसे रोगियों को इस रोग का सेवन करना चाहिए। योग-सनाय 50 ग्राम , सौंफ 5 ग्राम, कालादाना 25 ग्राम। सबसे पहले कालादाना को कढ़ाई में भून लें। जलने न पावे इसे और शेष द्रव्यों को कूट-पीसकर शीशी में भर लें। 5 ग्राम रोजाना शाम को गुनगुने जल से लेने पर लाभ होता है।
  15. पचास ग्राम सनाय की पत्ती, 100 ग्राम सौंफ और 20 ग्राम मिश्री का चूर्ण बना लें। 10 ग्राम चूर्ण गरम पानी के साथ खाने से कब्ज(Constipation meaning in Hindi) मिट जाती है।
  16. छोटी पीपल और अजमोद 40-40 ग्राम, हरड़ 150 ग्राम, सौंठ 30 ग्राम, सेंधानमक और काला नमक 5-5 ग्राम लेकर कूट-पीसकर छान लें।
  17. मात्रा-4 से 10 ग्राम तक गर्म पानी के साथ लें। इसके सेवन से कब्ज( Constipation meaning in Hindi)तो दूर होता है, ही उदरशूल तथा अफारा में भी लाभ होता है।
  18. 20 ग्राम त्रिफला चूर्ण को 16 गुना (320 मि.ली.) पानी के साथ उबालना चाहिए, जब एक चौथाई जल शेष रह जाए, तो इसे छानकर रोगी को पिलाना चाहिए। इसका प्रभाव बहुत देर तक लगातार बना रहता है। यह लिवर को उत्तेजित करके अप्रत्यक्ष रूप में मल-विसर्जन में सहायता करता है।
  19. गुलाब के फूल 5 ग्राम, सौंफ 5 ग्राम, सनाय 5 ग्राम, मुनक्का 20 ग्राम, दूध 250 ग्राम में उबालकर पिलाने से कब्ज दूर होता है।
  20. नौसादर, सुहागे का फूला, पंच लवण (पाँचों नमक) 20-20 ग्राम, चित्रकमूल, पीपलामूल, त्रिकुट, भुना जीरा, अजवायन, लौह भस्म-प्रत्येक 10-10 ग्राम और गुड़ 150 ग्राम को अमृतवान में भर दें। इस अमृतवान को 15 दिन तक धूप में रखें, बाद में छानकर बोलतों में भर दें।
  21. मात्रा – 10-15 मि.ली. तक दिन में 2 बार भोजनोपरांत 30 मि.ली. जल के साथ दें। कब्ज(Constipation meaning in Hindi) उदरशूल तथा मंदाग्नि का विकार नष्ट होता है।
  22. आवयुक्त मलावरोध में 2 चम्मच एरंड तेल या इसबगोल की भूसी 2 चम्मच गरम दूध के साथ सेवन करें।
  23. कब्ज, मल कड़ा, कभी-कभी अफारा, अरुचि आदि लक्षणों में प्रातः काल गुलकंद गर्म के दूध साथ नाश्ते के रूप में दें
  24. भोजनोपरांत दोनों समय कुमार्यासव और पिप्पल्यासव समान भाग का मिश्रण 15 मि. ली. बराबर पानी मिलाकर सेवन कराएँ ।(constipation ayurvedic medicine)
  25. कब्ज का निरंतर बने रहना, भूख न लगना, अन्न से अरुचि, कभी-कभी दर्द की अनुभूत की स्थिति में गुलकंद 20 ग्राम, हरड़ और सौंफ का मिश्रित चूर्ण 3 ग्राम मिलाकर सोते समय गरम के साथ दें।
  26. भोजनोपरांत कुमार्यासव + द्राक्षासव का मिश्रण 30-40 मि.ली. तक समान भाग पानी मिलाकर दें।
  27. दूध पीने से कब्ज दूर होने मे मदत मिलती है
  28. पर्याप्त यत्न करने पर भी कब्ज( Constipation meaning in Hindi)दूर न होना अरुचि, मुख में पानी भर आना, छाती में जलन आदि उपसर्गों की स्थिति में सूतशेखर रस 125 मि. ग्राम, प्रवालपंचामृत 125 मि. ग्राम मिलाकर प्रातः सायं मधु के साथ सेवन कराऐं।
  29. भोजन के साथ हिंग्वाष्टक चूर्ण और भोजनोपरांत अभ्यारिष्ट 15 मि.ली. समान भाग जल मिलाकर दें। रात्रि सोते समय गर्म दूध से गुलकंद दें।
  30. दिन मे 2 चमच काले मनुके और 2 सूखे अंजीर दूध मे भिगो कर रखे और 5 घंटे रात मे सोने से पहेले मनुके और अंजीर खाए और दूध पिए ,यह उपाय बहोत कारगर है ।

कब्ज (Constipation meaning in Hindi) के आयुर्वेदिक चिकित्सा(constipation ayurvedic medicine name) के बारे मे जानिए(top 10 ayurvedic medicine for constipation)

  • पंचसकार चूर्ण -10 gm चूर्ण रात मे आधे ग्लास गरम पाणी के साथ
  • नित्यम वटी (झंडू ) -रात मे 2 गोली गरम पाणी के साथ
  • Tab laxirid (झंडू) -रात मे 2 गोली गरम पाणी के साथ
  • pulvolax granules (AIMIL फार्मा )-10 gm चूर्ण रात मे आधे ग्लास गरम पाणी के साथ
  • SP विरेचन वटी -रात मे 2 cap गरम पाणी के साथ
  • Erandbrasht-haritaki-tablet.रात मे 2 गोली गरम पाणी के साथ
  • सारक चूर्ण (सांडु) -10 gm चूर्ण रात मे आधे ग्लास गरम पाणी के साथ
  • Triphala tab -रात मे 2 गोली गरम पाणी के साथ
  • अभयारिष्ट-10 ml चूर्ण रात मे आधे ग्लास गरम पाणी के साथ
  • virechana vati ( श्री श्री आयुर्वेद )-रात मे 2 गोली गरम पाणी के साथ
  • balakalpam (बच्चों के कब्ज के लिए बहोत असरदार ) ( kerala ayurved)(medicine for child constipation)
  • सुखसारक वटी ( शारंगधर फार्मा )-रात मे 2 गोली गरम पाणी के साथ
  • laxinol -H tab ( kerala ayurved)-रात मे 2 गोली गरम पाणी के साथ
  • laxakot (कोट्टकल) -रात मे 1 चमच गरम पाणी के साथ
  • स्वादिष्ट विरेचंन चूर्ण -10 gm चूर्ण रात मे आधे ग्लास गरम पाणी के साथ
  • Madhur Virechan Vati-रात मे 2 गोली गरम पाणी के साथ
  • Regulax forte tab -रात मे 2 गोली गरम पाणी के साथ

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