फिस्टुला (भगन्दर) की असरदार चिकित्सा !!!

fistula meaning in hindi
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फिस्टुला का परिचय (Fistula Introduction in Hindi)

फिस्टुला एक चिकित्सीय स्थिति है जिसमें दो अंगों या अंग और त्वचा के बीच एक असामान्य नली या मार्ग बन जाता है। यह मार्ग अक्सर संक्रमण, सूजन, चोट या सर्जरी के बाद बनता है। शरीर में कहीं भी फिस्टुला हो सकता है, लेकिन यह सामान्यतः मलद्वार (Anal Fistula) के पास पाया जाता है, जिसे “भगन्दर” भी कहा जाता है।

फिस्टुला क्या है?

फिस्टुला एक असामान्य सुरंग होती है जो दो सतहों के बीच बनती है – जैसे कि शरीर के अंदर के दो अंगों के बीच, या किसी अंग और त्वचा के बीच। जब किसी अंग में पुराना संक्रमण या फोड़ा होता है और वह अपने आप ठीक नहीं होता, तब शरीर उस मवाद को बाहर निकालने का रास्ता बना लेता है, जिससे एक नली बन जाती है – यही नली फिस्टुला कहलाती है।

फिस्टुला के प्रकार

फिस्टुला के कई प्रकार होते हैं, जैसे:

  1. एनो-रेक्टल फिस्टुला (Anal/Rectal Fistula) – गुदा और त्वचा के बीच की नली
  2. एंट्रो-कटेनियस फिस्टुला (Enterocutaneous Fistula) – आंत और त्वचा के बीच
  3. वेसिको-वेजाइनल फिस्टुला (Vesicovaginal Fistula) – मूत्राशय और योनि के बीच
  4. रेक्टो-वेजाइनल फिस्टुला (Rectovaginal Fistula) – मलाशय और योनि के बीच
  5. ब्रोंको-कटेनियस फिस्टुला – फेफड़े और त्वचा के बीच

फिस्टुला के कारण

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यहाँ एनल फिस्टुला (Anal Fistula) के विस्तृत कारण हिंदी में दिए गए हैं:

🌿 एनल फिस्टुला के कारण (Causes of Anal Fistula in Hindi)

एनल फिस्टुला गुदा क्षेत्र में एक असामान्य रास्ता होता है जो आमतौर पर गुदा की आंतरिक ग्रंथियों में संक्रमण या सूजन के कारण बनता है। निम्नलिखित कारण इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं:

  • 🔴 1. गुदा फोड़ा (Anal Abscess)
    • यह एनल फिस्टुला का सबसे आम कारण है।
    • गुदा क्षेत्र में स्थित छोटी ग्रंथियाँ कभी-कभी बंद हो जाती हैं, जिससे वहां पस (मवाद) भर जाता है और फोड़ा बन जाता है।
    • जब यह फोड़ा पूरी तरह से ठीक नहीं होता या बार-बार होता है, तब यह एक नाल (ट्रैक्ट) बनाकर बाहर की त्वचा तक पहुँच जाता है – यही फिस्टुला कहलाता है।
  • 🔴 2. क्रोहन रोग (Crohn’s Disease)
    • यह एक दीर्घकालिक आंतों की सूजन वाली बीमारी है।इसमें पाचन तंत्र में सूजन आ जाती है, जिससे आंतों और गुदा क्षेत्र में छाले और नालियाँ बन सकती हैं।
    • इससे फिस्टुला बनने की संभावना बढ़ जाती है।
  • 🔴 3. टीबी (क्षयरोग)
    • टीबी सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि आंतों और गुदा क्षेत्र को भी प्रभावित कर सकता है।
    • यदि टीबी गुदा क्षेत्र में होता है, तो वहां संक्रमण और फोड़ा बन सकता है जो बाद में फिस्टुला का रूप ले लेता है।
  • 🔴 4. रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy)
    • कैंसर के इलाज के लिए दी जाने वाली रेडिएशन थेरेपी, खासकर पेल्विक या रेक्टल क्षेत्र में, वहां की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचा सकती है।
    • इससे संक्रमण और फिस्टुला बनने की संभावना बढ़ जाती है।
  • 🔴 5. बाहरी चोट या सर्जरी के बाद संक्रमण
    • गुदा क्षेत्र में किसी प्रकार की चोट, ऑपरेशन या पाइल्स की सर्जरी के बाद अगर संक्रमण होता है, तो वह धीरे-धीरे फिस्टुला में बदल सकता है।
  • 🔴 6. ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) या कमजोर इम्यून सिस्टम
    • कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्तियों में संक्रमण जल्दी होता है और लंबे समय तक बना रहता है।
    • इससे फोड़े व फिस्टुला बनने का जोखिम ज्यादा होता है।
  • 🔴 7. सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD)
    • कुछ यौन संचारित रोग जैसे सिफिलिस या क्लैमाइडिया गुदा क्षेत्र में संक्रमण पैदा कर सकते हैं जो फिस्टुला का कारण बन सकते हैं।
  • 🔍 अन्य संभावित कारण:
    • डायबिटीज (मधुमेह) – जिससे घाव जल्दी नहीं भरते।
    • बवासीर (पाइल्स) का पुराना संक्रमण।
    • जन्मजात असामान्यता (Congenital anomalies – दुर्लभ मामलों में)।

🌟 एनल फिस्टुला के लक्षण (Symptoms of Anal Fistula in Hindi)

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  • एनल फिस्टुला एक ऐसी अवस्था है जिसमें गुदा के आसपास एक असामान्य सुरंगनुमा मार्ग बन जाता है। इसके लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और समय के साथ गंभीर रूप ले सकते हैं। आइए जानते हैं इसके मुख्य और सामान्य लक्षण:
  • 🔴 1. गुदा के पास लगातार पस या मवाद का निकलना
    • गुदा के पास त्वचा पर एक छोटा छिद्र दिखाई देता है जिससे लगातार या रुक-रुक कर पीले या बदबूदार मवाद (pus) का रिसाव होता है।
    • यह मवाद कपड़ों को गीला कर सकता है और बदबू भी आ सकती है।
  • 🔴 2. गुदा के आसपास सूजन या गांठ (Swelling or Lump near Anus)
    • गुदा के पास एक दर्दनाक या सख्त गांठ महसूस हो सकती है।
    • यह सूजन फोड़े की तरह लग सकती है और स्पर्श करने पर दर्द होता है।
  • 🔴 3. बार-बार फोड़ा बनना (Recurring Abscess)
    • अगर किसी व्यक्ति को बार-बार गुदा के पास फोड़े हो रहे हैं, तो यह फिस्टुला का संकेत हो सकता है।
    • फोड़ा बार-बार ठीक होकर फिर से बनता है।
  • 🔴 4. दर्द (Pain)
    • गुदा के आसपास तेज, जलन वाला या धड़कन जैसा दर्द होता है।
    • यह दर्द खासकर मल त्याग के समय, चलने या बैठने पर बढ़ सकता है।
  • 🔴 5. मल त्याग में परेशानी (Pain during Bowel Movements)
    • मल त्याग करते समय तेज जलन या चुभन जैसा दर्द महसूस होता है।
    • कभी-कभी मल के साथ थोड़ा खून भी आ सकता है।
  • 🔴 6. त्वचा में जलन और खुजली (Skin Irritation and Itching)
    • मवाद के लगातार रिसाव के कारण गुदा के आसपास की त्वचा में जलन, खुजली और लालपन हो सकता है।
  • 🔴 7. बदबूदार रिसाव (Foul Smelling Discharge)
    • जो मवाद या पस निकलता है उसमें दुर्गंध होती है, जिससे व्यक्ति को सामाजिक असहजता हो सकती है।
  • 🔴 8. बुखार और थकान (Fever and Fatigue)
    • यदि संक्रमण गहरा या गंभीर हो जाए तो हल्का बुखार, कमजोरी और शरीर में थकान भी महसूस हो सकती है।
  • 🔴 9. गुदा के पास एक छोटा छेद या सुराख दिखाई देना (Visible Opening near Anus)
    • त्वचा पर एक छोटा सा छेद या “ओपनिंग” दिखाई देता है जिससे मवाद या खून निकलता है।
    • इसे चिकित्सकीय रूप से “External Opening” कहा जाता है।
  • 📌 कब डॉक्टर से संपर्क करें?
    • अगर निम्न लक्षण लगातार दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए:
    • गुदा के पास लगातार पस या खून का रिसाव
    • बैठने या चलने में असहनीय दर्द
    • बार-बार फोड़े बनना
    • बुखार के साथ गुदा में सूजन

🌿 एनल फिस्टुला के 30 घरेलू उपचार (Home Remedies for Anal Fistula in Hindi)

  • ✅ 1. गर्म पानी में बैठना (Sitz Bath)
    • दिन में 2–3 बार गुनगुने पानी में 15–20 मिनट बैठें।
    • इससे दर्द, सूजन और मवाद से राहत मिलती है।
  • ✅ 2. हल्दी दूध (Turmeric Milk)
    • एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर रात को सोने से पहले पिएँ।
    • हल्दी में प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल और सूजन-रोधी गुण होते हैं।
  • ✅ 3. नीम की पत्तियाँ (Neem Leaves)
    • नीम की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बनाएं और प्रभावित स्थान पर लगाएँ।
    • नीम एंटीसेप्टिक और जीवाणुनाशक होता है।
  • ✅ 4. एलोवेरा जेल (Aloe Vera Gel)
    • ताजा एलोवेरा जेल को गुदा के आसपास लगाएँ।
    • सूजन कम करने और त्वचा को शांत करने में मदद करता है।
  • ✅ 5. त्रिफला चूर्ण
    • त्रिफला कब्ज दूर करता है जिससे मल त्याग में आसानी होती है।
    • रोज रात को एक चम्मच त्रिफला गर्म पानी के साथ लें।
  • ✅ 6. लहसुन (Garlic)
    • लहसुन में एंटीबायोटिक गुण होते हैं।
    • 1–2 कली कच्ची लहसुन की रोज सुबह खाएं या तेल बनाकर बाहरी तौर पर प्रयोग करें।
  • ✅ 7. अरण्डी का तेल (Castor Oil)
    • गर्म अरण्डी तेल को प्रभावित स्थान पर लगाने से मवाद और सूजन में राहत मिलती है।
  • ✅ 8. फाइबर युक्त आहार
    • फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और दालों का सेवन करें ताकि कब्ज न हो।
  • ✅ 9. पानी की मात्रा बढ़ाएं
    • दिन में कम से कम 8–10 गिलास पानी पिएँ ताकि मल नरम रहे।
  • ✅ 10. अंजीर (Soaked Figs)
    • 2–3 अंजीर रातभर भिगोकर सुबह खाली पेट खाएं। यह कब्ज दूर करता है।
  • ✅ 11. हींग और पानी
    • हींग को पानी में घोलकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ, इससे संक्रमण कम हो सकता है।
  • ✅ 12. हल्दी और नारियल तेल का मिश्रण
    • दोनों को मिलाकर पेस्ट बनाएं और फिस्टुला पर लगाएँ। यह एंटीसेप्टिक की तरह कार्य करता है।
  • ✅ 13. सरसों का तेल और कपूर
    • सरसों तेल में थोड़ा कपूर मिलाकर गर्म करें और ठंडा होने पर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएँ।
  • ✅ 14. छाछ में अजवाइन
    • रोज छाछ में भुना हुआ अजवाइन और काला नमक डालकर पिएँ। पाचन में मदद करता है।
  • ✅ 15. काली मिर्च और शहद
    • आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में एक बार लें।
  • ✅ 16. अलसी के बीज (Flax Seeds)
    • अलसी कब्ज को दूर करता है। इसे पाउडर बनाकर पानी या दही के साथ लें।
  • ✅ 17. बथुआ का रस (Bathua Juice)
    • 1/2 कप बथुआ का ताजा रस रोज सुबह खाली पेट पीने से फिस्टुला में लाभ मिल सकता है।
  • ✅ 18. तिल और मिश्री का सेवन
    • तिल और मिश्री को पीसकर गर्म दूध में मिलाकर पीना फिस्टुला के दर्द को शांत कर सकता है।
  • ✅ 19. आयुर्वेदिक काढ़ा (जैसे नीम + गिलोय + हल्दी)
    • इन औषधियों को मिलाकर बना काढ़ा संक्रमण कम करने में सहायक हो सकता है।
  • ✅ 20. गौमूत्र अर्क (Gomutra Ark)
    • शुद्ध गौमूत्र अर्क (अगर उपलब्ध हो) को सुबह खाली पेट लेने से संक्रमण और सूजन में राहत मिल सकती है।
  • ✅ 21. गौघृत (देशी गाय का घी)
    • देशी गाय के घी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
    • एक चम्मच गर्म घी खाली पेट लेने से आंतों की सूजन में राहत मिलती है।
  • ✅ 22. गिलोय रस (Giloy Juice)
    • सुबह खाली पेट 15–20 ml गिलोय रस लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और संक्रमण घटता है।
  • ✅ 23. अश्वगंधा चूर्ण
    • अश्वगंधा शरीर की सूजन को कम करने और मांसपेशियों की मरम्मत में सहायक होता है।
    • इसे दूध के साथ लिया जा सकता है।
  • ✅ 24. बकरा दूध + हल्दी
    • बकरी का दूध हल्का होता है और आंतों को आराम देता है।
    • हल्दी के साथ मिलाकर पीने से आंतरिक संक्रमण पर असर पड़ता है।
  • ✅ 25. मुलैठी चूर्ण
    • यह आंतरिक सूजन को कम करने वाला प्राकृतिक तत्व है।
    • एक चम्मच मुलैठी चूर्ण गर्म पानी के साथ दिन में एक बार लें।
  • ✅ 26. प्याज का रस
    • प्याज का रस जीवाणुनाशक होता है। इसे हल्के गर्म करके रुई से प्रभावित स्थान पर लगाएँ।
  • ✅ 27. तुलसी के पत्तों का रस
    • तुलसी की पत्तियाँ पीसकर रस निकालें और एक चम्मच शहद मिलाकर पिएँ।
    • यह संक्रमण से लड़ने में सहायक होता है।
  • ✅ 28. नारियल पानी
    • नारियल पानी शरीर को ठंडक देता है और पाचन क्रिया को संतुलित करता है।
    • इससे कब्ज में राहत मिलती है।
  • ✅ 29. सौंफ और मिश्री का पानी
    • सौंफ और मिश्री को रातभर पानी में भिगोकर सुबह छानकर पीना पाचन में सहायक होता है और मल को नरम करता है।
  • ✅ 30. अशोकारिष्ट या कुमार्यासव (आयुर्वेदिक टॉनिक)
    • यह आयुर्वेदिक दवाएँ आंतरिक सूजन, संक्रमण और गुदा संबंधित रोगों के लिए लाभकारी हैं।
    • आयुर्वेदाचार्य की सलाह से सेवन करें।

इन उपायों के साथ:

साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

टॉयलेट के बाद क्षेत्र को गुनगुने पानी से धोकर सुखाएँ।

ढीले और सूती कपड़े पहनें ताकि जलन न हो।

फिस्टुला (Anal Fistula) के लिए आयुर्वेदिक उपचार

यहाँ एनल फिस्टुला (Anal Fistula) के लिए आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment in Detail) का विस्तृत विवरण दिया गया है। आयुर्वेद में इस रोग को “भगन्दर” कहा गया है।

🌿 एनल फिस्टुला (भगन्दर) का आयुर्वेदिक उपचार – विस्तार से

🔶 1. क्षारसूत्र चिकित्सा (Kshar Sutra Therapy) – मुख्य उपचार

✔️ यह क्या है?

क्षारसूत्र एक विशेष प्रकार का औषधीय धागा होता है जिसे आयुर्वेदिक औषधियों जैसे हरिद्रा (हल्दी), अपामार्ग क्षार, और स्नुही के लेप से तैयार किया जाता है।

✔️ प्रक्रिया:

इस धागे को फिस्टुला ट्रैक्ट (नाल) के अंदर डाला जाता है।

यह धीरे-धीरे ट्रैक्ट को काटता, साफ करता और भरता है।

इसमें दर्द कम होता है और मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती नहीं होना पड़ता।

✔️ कितने दिनों में असर?

क्षारसूत्र सप्ताह में 1 बार बदला जाता है।

आमतौर पर 4–8 सप्ताह में ट्रैक्ट पूरी तरह से भर जाता है।

✔️ लाभ:

सर्जरी की तुलना में रिकवरी जल्दी और स्थायी।

रोग पुनः होने की संभावना बहुत कम।

कोई बड़ा चीरा या टांका नहीं।

🔶 2. आयुर्वेदिक औषधियाँ (Ayurvedic Medicines for Fistula)

✅ त्रिफला चूर्ण / त्रिफला गुग्गुलु

मल साफ और नियमित करने के लिए।

सूजन, कब्ज और मवाद को नियंत्रित करता है।


✅ गंधक रसायण

शरीर को शुद्ध करता है और संक्रमण दूर करता है।


✅ हरिद्रा खंड

एंटीबायोटिक जैसा कार्य करता है, फोड़े-फुंसियों में लाभकारी।


✅ अरोग्यवर्धिनी वटी

यकृत (लिवर) और रक्त को शुद्ध करता है।


✅ पंचतिक्त घृत गुग्गुल

संक्रमण को दूर करने वाला और शरीर को ठंडक देने वाला घृत।


✅ महातिक्त घृत

पुराने त्वचा व नाल रोगों के लिए उपयोगी।


> ⚠️ इन सभी औषधियों को आयुर्वेदाचार्य की सलाह से ही सेवन करें। मात्रा और अवधि व्यक्ति की प्रकृति पर निर्भर करती है।

🔶 3. आयुर्वेदिक लेप (Paste/Topical Treatment)

🟢 नीम, हरिद्रा और घृतकुमारी (एलोवेरा) का पेस्ट

इनका पेस्ट बनाकर गुदा के बाहरी फिस्टुला ओपनिंग पर लगाएँ।

संक्रमण और जलन में राहत मिलती है।

🔶 4. आहार और दिनचर्या (Diet & Lifestyle)

.✔️ क्या खाएँ:

हल्का, पचने योग्य खाना

फाइबर युक्त फल: पपीता, सेब, अंजीर

हरी सब्जियाँ: लौकी, तोरी, परवल

पर्याप्त पानी (8–10 गिलास प्रतिदिन)

छाछ, जीरा पानी, त्रिफला पानी


❌ क्या न खाएँ:

तला-भुना और मसालेदार भोजन

जंक फूड, डेयरी उत्पाद (दूध, पनीर आदि)

मांसाहार (विशेषकर बासी), शराब

कब्ज पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ


🧘‍♂️ योग व प्राणायाम:

भुजंगासन, पवनमुक्तासन, मलासन – मल त्याग को सुगम करते हैं

अनुलोम-विलोम, कपालभाति – आंतरिक पाचन व रक्त शुद्धिकरण में सहायक

🔶 5. पंचकर्म चिकित्सा (Optional Ayurvedic Detox)

> यदि रोग पुराना या बार-बार हो रहा है, तो पंचकर्म चिकित्सा जैसे बस्ती (औषधीय एनीमा) लाभदायक हो सकती है। यह गहराई से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है।

फीस्टूला जैसी ही बीमारी फिशर के बारे मे जानने के लिए – https://enlightayurveda.com/how-to-heal-a-fissure-fast/ क्लिक करे ।








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