गैस या बदहजमी से छुटकारा (Flatulence meaning in Hindi)

अफ़ारा या गैस रोग परिचय –

यह एक आम बीमारी है। खाना खाने के बाद पेट फूल जाना इसकी प्रमुख पहचान है। पेट और आँतों में वायु के कारण जो फुलाव पाया जाता है, उसे अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi) कहा जाता है। वैसे तो भोजन के पाचन के दौरान सामान्य तौर पर वायु बनती है और अधोवायु (Flatus) के रूप में यह शरीर से बाहर निकल जाती है ।

परन्तु यह वायु बाहर नहीं निकलती या अधिक मात्रा में बनती है, तो आँतों और पेट में फुलाव आ जाता है। आयुर्वेद में इस स्थिति को आध्यमान के नाम से जाना जाता है। सामान्य भाषा में इसे पेट का फूलना(Flatulence in Hindi) कहते हैं। अंग्रेजी में इसे टिंपेनाइटिस (Tympanitis) नाम दिया गया है।

पेट में गैस बनना एक आम शारीरिक प्रक्रिया है, लेकिन जब यह अधिक मात्रा में बनने लगती है तो यह असहजता, सूजन और कभी-कभी दर्द का कारण भी बन सकती है। यह समस्या दुनियाभर में करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है और इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि खान-पान की गलत आदतें, खराब पाचन, जीवनशैली की गड़बड़ियां, या कुछ विशेष बीमारियाँ।

गैस बनने की प्रक्रिया प्राकृतिक है और यह तब होती है जब हमारा पाचन तंत्र भोजन को तोड़ने और अवशोषित करने के दौरान विभिन्न गैसों का निर्माण करता है। हालाँकि, जब शरीर से इन गैसों का निष्कासन ठीक से नहीं हो पाता या कुछ खाद्य पदार्थों के कारण गैस अधिक मात्रा में बनने लगती है, तो यह असहजता का कारण बनती है।

गैस से जुड़ी आम समस्याओं में पेट फूलना, डकार आना, पेट में भारीपन, ऐंठन और कभी-कभी दर्द शामिल होता है। कई बार यह समस्या छोटी होती है और घरेलू उपायों से ठीक हो सकती है, लेकिन अगर यह बार-बार हो रही है तो यह किसी गंभीर पाचन समस्या या अन्य बीमारियों का संकेत भी हो सकती है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि पेट में गैस बनने के मुख्य कारण क्या हैं, इसके लक्षण कैसे पहचाने जा सकते हैं, और इससे बचने या राहत पाने के लिए कौन-कौन से घरेलू उपाय और वैज्ञानिक समाधान अपनाए जा सकते हैं।

यदि आप भी पेट की गैस की समस्या से जूझ रहे हैं या इसे लेकर अधिक जानकारी चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। आइए, इस समस्या को विस्तार से समझते हैं और एक स्वस्थ जीवनशैली की ओर कदम बढ़ाते हैं!

आयुर्वेद में पाचन तंत्र को शरीर की ऊर्जा का केंद्र माना गया है, और किसी भी प्रकार की गैस संबंधी समस्या (फ्लैटुलेंस) को “वात दोष” से जोड़ा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, जब वात दोष असंतुलित हो जाता है, तो यह पाचन शक्ति (अग्नि) को कमजोर कर देता है, जिससे भोजन सही तरीके से नहीं पचता और पेट में गैस बनने लगती है।

यह समस्या न केवल असहजता और पेट फूलने का कारण बनती है, बल्कि शरीर में अन्य बीमारियों को भी जन्म दे सकती है।

अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi)के कारण (flatulence causes)-

  • बिना सूझबूझ के बेमेल भोजन को अधिक प्रश्रय देना ।
  • एक स्थान पर अधिक समय बैठना ।
  • शारीरिक परिश्रम एवं व्यायाम के अभाव में।
  • रात्रि जागरण |
  • अनियमित आहार-विहार ।
  • आमाशय और आँतों की कार्य प्रणाली में उत्पन्न दोष ।
  • अत्यधिक ठंडी अथवा गर्म वस्तुएँ प्रयोग करना ।
  • चाय-कॉफी का अत्यधिक प्रयोग ।
  • तेज मिच-मसालेदार भोजन ।
  • खट्टे, मीठे, चटपटे, गरिष्ठ, जल्दी न पचने वाले पदार्थों का अत्यधिक सेवन ।
  • पेट में आँव पड़ जाने, मल बढ़ जाने, अधोवायु के रूक जाने से शरीर में दुष्ट वायु का विकसित
    हो जाना- अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi)अफारा कारक है।
  • बच्चों के पेट से अपची खाद्य वस्तुओं का समुचित निष्कासन न होना ।

नोट- • इसके अतिरिक्त अजीर्ण, अग्निमांद्य, अतिसार, मानसिक तनाव, गठिया, छोटे जोड़ों के रोग, टायफाइड ज्वर, हिस्टीरिया जैसे रोग भी अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi) पैदा करने के लिए उत्तरदायी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार-रुक्ष, कषाय, कटु, उष्ण, क्षार आदि का अत्यधिक सेवन करने वाले एवं अजीर्ण, विषमाशन, आध्यशन आदि से पीड़ित रहने वाले व्यक्ति में आध्यमान होता है।

गैस बनने के आयुर्वेदिक कारण

  1. वात दोष की वृद्धि: ठंडे, रूखे और सूखे खाद्य पदार्थ अधिक खाने से वात दोष बढ़ता है, जिससे गैस बनती है।
  2. कमजोर पाचन अग्नि: जब जठराग्नि (पाचन अग्नि) कमजोर हो जाती है, तो भोजन सही से नहीं पचता और आंतों में गैस उत्पन्न होती है।
  3. गलत खान-पान संयोजन: दूध और नमक, खट्टे फल और दूध जैसे गलत खाद्य संयोजन (विरुद्ध आहार) पाचन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
  4. बिना चबाए भोजन करना: जल्दी-जल्दी खाना खाने या बिना अच्छे से चबाए भोजन निगलने से पाचन पर असर पड़ता है और गैस बनने लगती है।
  5. मानसिक तनाव और चिंता: मानसिक तनाव भी वात दोष को असंतुलित करता है, जिससे पेट में गैस और अन्य पाचन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  6. आयुर्वेद में गैस को वात दोष से जोड़ा जाता है और इसे संतुलित करने के लिए सही खान-पान, जीवनशैली और घरेलू उपचारों को अपनाने की सलाह दी जाती है। अगर आप इन आयुर्वेदिक उपायों को अपनाते हैं, तो न केवल गैस की समस्या से राहत मिलेगी, बल्कि आपका पाचन तंत्र भी मजबूत होगा और आप स्वस्थ रहेंगे।

अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi)के लक्षण (flatulence symptoms)

Flatulence meaning in Hindi
Flatulence meaning in Hindi

पेट फूलने के कारण रोगी को बेचैनी, असुविधा, भूख न लगना (Loss of appetitie), बदहज्मी या अपच, श्वास क्रिया में कठिनाई, सिरदर्द और अनिद्रा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में, कब्ज की शिकायत भी अक्सर देखी जाती है। अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi) मे रोगी जो भी खाद्य ग्रहण करता है, खाने के कुछ ही देर उपरांत उसके पेट में भारीपन तथा पेट फूल जाने की शिकायत प्रतीत होने लगती है।

  • रोगी को प्रायः मलावरोध (Constipation) की शिकायत रहती है।
  • कभी-कभी पेट, पीठ और छाती में तीव्र पीड़ा भी अनुभव होती है। यह वेदना कभी-कभी इतनी तीव्र भी हो जाती है कि एकाएक ऐसा जान पड़ने लगता है कि अभी प्राण निकले जा रहे हैं। यही नहीं यह वेदना कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती है। रोगी को साँस लेने में कठिनाई होती है।
  • पेट फूलकर ढोल की तरह कड़ा हो जाता है।
  • पेट पर उँगली से बजाया जाए तो उसमें ढोल जैसी आवाज निकलती है।
  • रोगी बेचैन तथा व्याकुल रहता है।
  • अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi) से पेट और पार्श्व में दर्द होता है।
  • गैसे के ऊपर चढ़ने से सीने में घबराहट होती है।
  • मलत्याग या अपान का निष्कासन बिलकुल नहीं होता।
  • रोगी आकुल-व्याकुल हो जाता है और बिस्तर में लोटने लगता है।
  • चेहरे पर शोथ और बार-बार डकारें आने के लक्षण दिखाई देते हैं।
  • भूख मारी जाती है (Loss of appetite)।
  • अजीर्ण (Indigestion) की शिकायत बराबर रहती है।
  • श्वास कष्ट (Breathlessness) |
  • सिरदर्द एवं अनिद्रा (Headache & sleeplessness) ।
  • यह रोग अधिकतर कब्ज के साथ मिलता है, जो इसकी प्रमुख पहचान है।
  • अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi) के कारण से कई बार रोगी का रक्तदाब बढ़ा हुआ होता है
Flatulence meaning in Hindi
Flatulence meaning in Hindi

अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi) की चिकित्सा (ayurvedic remedy for gas)

अफारे में (ayurvedic medicine for flatulence)वातानुलोमन, फलवर्ति, रेचन, निरुहरण, अनुवासन एवं उदावर्त तथा उदर रोगोक्त दीपन-पाचन, अनुलोमन औषधियों का प्रयोग करना चाहिए। यह लम्बे समय तक चलने वाला रोग है। उचित चिकित्सा, कुपथ्यों का त्याग, खानपान में संयम बरतने के बावजूद यह रोग बड़ी ही कठिनाई से काबू में आता है।

चिकित्सा करने से पूर्व वायु उत्पन्न करने वाले वादी पदार्थ, देर से पचने वाले खाद्य, गरिष्ठ भोजन, खट्टे-मीठे, चटपटे मिर्च मसालेदार खाद्य पदार्थों को भोजन से अलग कर देना चाहिए ।

इसके अतिरिक्त आलू, मटर, उड़द, अरहर की दाल, अरबी (घुइया) आदि भी त्याग देना हितकर होता है। इसके स्थान पर रोगी को तुरंत पचने वाले हलके आहार भोजन में तथा नाश्ते में देना उचित रहता है। रोगी को पतली-पतली चोकर समेत आटे की चपातियों के साथ बकरी के मांस का शोरबा देना सम है।

उस संदर्भ में पालक का साग अत्यंत लघुपाकी होता है। यह तुरन्त पच जाता है। इसके अतिरिक्त हरी सब्जियों में तुरई, टिंडा, कद्दू, लौकी, चौलाई तथा मैथी का साग आदि भी अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi) मे अति उपयोगी तथा लाभदायक हैं।

लहसुन, अदरक, चावल की पतली खिचड़ी भी लेना उत्तम रहता है। तारपीन का तेल गर्म पानी में मिलाकर पेट की मालिश करने से अफारा में रोगी को तत्काल लाभ (gases ayurvedic medicine)मिलता है।

गैस निकल जाने के बाद जब रोगी को थोड़ी शांति मिल जाएं तब आवश्यक परीक्षा प्रारंभ करना हितकर होता है। इस रोग में सर्व प्रथम कब्ज का नाश करना चाहिए।

क्योंकि कब्ज ही इस रोग की जड़ है। कब्ज दूर होने पर रोग (excessive flatulence ayurvedic treatment)स्वयं समाप्त हो जाता है। यदि रोगी को कड़ी कब्जियत हो, तो गर्म पानी में थोड़ा-सा एरंडी का तेल (Castor oil) मिलाकर उसे एनीमा दें। यह एनीमा मल के कारण बंद नीचे के रास्ते को खोल देता है और गैस को मुक्त कर देता है।

रोगी को तत्काल तेल का एनीमा दे देना भी उचित रहता है। इससे पेट में रूकी हुई गैस के साथ-साथ संग्रहित मल भी उतर जाता है।

Flatulence meaning in Hindi
Flatulence meaning in Hindi

साथ में तारपीन के तेल को गरम जल के साथ मिलाकर पेट की सिकाई भी की जा सकती है। ग्लिसरीन की बत्ती भी लगाना लाभकारी होता है।नोट- • भोजन ग्रहण करने के पश्चात् किसी भी तरह का शारीरिक श्रम नहीं करना चाहिए। भोजन के बाद रोगी को कुछ देर विश्रविश्राम करना आवश्यक है ।

Flatulence meaning in Hindi
Flatulence meaning in Hindi
  • छोटी पीपल 60 ग्राम, निशोथ 40 ग्राम और चीनी 40 ग्राम इन सबको कूट-पीसकर छानकर रख लें। इस चूर्ण में से 5 ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर लेने से आध्यमान रोग तत्काल नष्ट होता है।
  • सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल 30-30 ग्राम, सफेद जीरा 100 ग्राम, कालानमक 50 ग्राम, सेंधानमक 35 ग्राम, नींबू का सत्व 50 ग्राम, नौसादर 40 ग्राम, उत्तम हींग 1 ग्राम, सत पिपरमेंट 5 ग्राम। सभी को कूट-पीसकर महीन कर लें और सुरक्षित रख लें।
    • मात्रा-2-3 ग्राम तक सादा पानी के साथ प्रातः सायं दे । भोजन के पश्चात् भी ले सकते हैं- यहअफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi) अनुभूत हैं।
  • अदरक का रस, कागजी नींबू का रस, खीरा का रस 100-100 मि.ली. लीटर, हींग असली (भुनी हुई) 25 ग्राम, अजवायन 2 ग्राम, सुहागा फुलाया हुआ 1 ग्राम, अपमार्ग-मूल (चिरचिटा की जड़) 1 ग्राम, पीली कौड़ी की भस्म 1 ग्राम, लौहकांत भस्म 1 ग्राम-इन सबको लेकर काँच के अमृतवान में रखकर उस पर खुली धूप लगने दें।
    • पात्र पर काँच का ढक्कन लगा रहने दें।इस प्रकार यह बरतन धूप के स्थान में 3 सप्ताह रखें। तत्पश्चात् इसका प्रयोग औषधि के रूप में करें। मात्रा-5-10 बूँद तक गर्म जल में मिलाकर सेवन करने से अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi) के दर्द में लाभ होता है।
  • निशोथ 2 भाग, पीपल 4 ग्राम, बड़ी हरड़ की छाल 5 भाग लेकर बारीक कूट-पीसकर चूर्ण के बराबर गुड़ मिलाकर 1-1 ग्राम की गोलियाँ बना लें। अफारा से पीड़ित रोगी को 1 गोली प्रतिदिन जल से सेवन कराएँ। अफारा (gases treatment)10-15 दिनों में पूर्णरूप से ठीक हो जाता है।
  • छोटी इलायची का चूर्ण 500-600 मि. ग्राम तथा भुनी हींग 125 मि. ग्रा. थोड़े नींबू के रस के साथ मिलाकर पीने से वायु का अनुलोमन होता है।
  • अफारा रोग के कारण यदि रोगी का पेट फूल गया हो तो, गैस न निकल रही हो, तो थोड़े गुड़ के साथ कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर गुनगुने पानी के साथ देने से रोगी को 10-15 मिनट में आराम हो जाता है।
  • यदि रोगी का पेट अफारा के कारण बुरी तरह से ढोल की भाँति फूल गया हो, तो 1 चुटकी हींग लेकर बतासे में डालकर पानी के साथ निगल जाएँ। इसके साथ-साथ थोड़ी-सी हींग गरम पानी के साथ मिलाकर नाभि प्रदेश के आसपास लेप कर दी जाए, तो रुकी हुई गैस मुँह और गुदा के रास्ते बाहर निकल जाती है।
  • कुटकी 50 ग्राम. कालीमिर्च 50 ग्राम, कालीजीरी 50 ग्राम, काली हरड़ 50 ग्राम, काला नमक 50 ग्राम । यथाविधि चूर्ण निर्माण करें। 3 ग्राम पानी के साथ दें।
  • जंबीरी नींबू का रस, अजवायन और सेंधा नमक मिलाकर सेवन कराने से अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi)और उदरशूल में लाभ होता है-परीक्षित है।
  • यदि रोग का कारण कब्ज है, तो हिंगु त्रिगुना तेल (Hingu triguna tail) 2 चम्मच की मात्रा में 1 कप गर्म जल के साथ खाली पेट दें।
  • रोगी को कुमारी आसव 15-30 मि.ली. समान मात्रा में जल मिलाकर दिन में 2 बार दे सकते हैं। तत्पश्चात् गर्म पानी सेवन कराएँ।
  • अग्नि कुमार रस की 150 मि. ग्राम, मात्रा अदरक के रस से नियमित कुछ दिन तक लेने से अफारा रोग समूल नष्ट हो जाता है। 125 मि. ग्राम सूतशेखर रस गुलकंद के साथ खाने से बहुत लाभ(gas treatment at home in hindi) होता है।
  • दोपहर के भोजन के बाद रोगी द्वारा अभयारिष्ट या द्राक्षासव 15-20 मि.ली. इतना ही जल मिलाकर पीते रहने से अफारा नष्ट होता है।(ayurvedic medicine for flatulence and bloating)

1. आयुर्वेदिक दवाएँ (गैस की समस्या के लिए प्रमाणित औषधियाँ)

त्रिफला चूर्ण – पेट की सफाई के लिए सर्वोत्तम दवा, जो पाचन को दुरुस्त रखती है और गैस से राहत दिलाती है।
अजमोदादि चूर्ण – वात दोष को संतुलित कर गैस, पेट दर्द और अपच को दूर करता है।
हिंग्वाष्टक चूर्ण – हींग और अन्य जड़ी-बूटियों से बना यह चूर्ण गैस और सूजन में तुरंत राहत देता है।
पिप्पली चूर्ण – पाचन अग्नि को मजबूत करता है और गैस को प्राकृतिक रूप से कम करता है।
लवण भास्कर चूर्ण – पाचन शक्ति को बढ़ाने और गैस, अपच व एसिडिटी से राहत दिलाने में मदद करता है।
अविपत्तिकर चूर्ण – गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक रूप से प्रभावी औषधि।
शंखवटी – यह आयुर्वेदिक टेबलेट पाचन तंत्र को सुधारती है और गैस व पेट दर्द में लाभकारी होती है।

2. आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ (प्राकृतिक उपचार)

🌿 अजवाइन – अजवाइन और काला नमक खाने से गैस तुरंत निकल जाती है और पेट हल्का महसूस होता है।
🌿 हींग – पानी में हींग घोलकर पीने या नाभि पर लगाने से गैस और सूजन में राहत मिलती है।
🌿 सौंठ (सूखी अदरक) – अदरक का सेवन पाचन को बेहतर करता है और गैस कम करता है।
🌿 हरड़ (हरितकी) – यह पाचन तंत्र को मजबूत करने के साथ-साथ पेट की गैस को कम करने में सहायक है।
🌿 सौंफ – सौंफ का पानी या चूर्ण पाचन को तेज करता है और गैस को कम करने में मदद करता है।

3. आयुर्वेदिक उपाय और दिनचर्या

  • खाने के बाद सौंफ, जीरा और अजवाइन चबाना पाचन को मजबूत करता है।
  • सुबह गुनगुना पानी पीने से पाचन तंत्र सही रहता है और गैस की समस्या कम होती है।
  • वज्रासन, पवनमुक्तासन और कपालभाति जैसे योग करने से गैस जल्दी बाहर निकलती है और राहत मिलती है।
  • हल्का और सुपाच्य भोजन करें, तली-भुनी चीज़ों से बचें और रात को जल्दी खाना खाएँ।

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इस के साथ कुछ आयुर्वेद के खास औषधीया जो अफ़ारा या गैस(Flatulence meaning in Hindi) मे विशेष लाभदायी है (best ayurvedic treatment for gas)-

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