आमाशय शोथ का सम्पूर्ण इलाज !!! Gastritis meaning in Hindi

इसमें आमाशय की श्लैष्मिक झिल्ली में प्रदाह (शोथ) हो जाता है। आमाशय में अत्यधिक जलन एवं दर्द होता है। श्लेष्मा एवं पित्त के साथ खाई हुई चीजों की वमन हो जाती है। आमाशय में जब किसी कारण से क्षोभ (Irritation) उत्पन्न हो जाता है तब यह रोग गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) देखने को मिलता है।

यह रोग भोजन की अधिकता का दुष्परिणाम है। मद्यपान करने वाले रोगी इसके शिकार अधिकांशत: होते देखे जाते हैं। क्षोभ का कारण खान-पान, विषपान या मद्यपान किसी भी प्रकार का हो सकता है। इस रोगगैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) को जठरशोथ भी कहते हैं।

यदि रोगी लम्बे समय से अजीर्ण की शिकायत करे और भोजन के तुरंत बाद अधिजठर प्रदेश (इपीगैस्ट्रियम) पर वेदना या बेचैनी बताए, तो संभव है कि वह जीर्ण आमाशयशोथ से पीड़ित हो ।

जब आमाशयशोथ लम्बे समय तक चलता रहता है, तो वह उचित चिकित्सा के अभाव में लापरवाहीवश जीर्ण आमाशयशोथ में बदल जाता है। इसे चिरकारी आमाशय प्रदाह या जीर्ण आमाशयशोथ गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) कहते हैं।

gastritis meaning in hindi
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गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) के कारण (gastritis causes)

  • जो लोग अधिकतर गरिष्ठ भोजन करते हैं। उनको यह रोग गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) होता है (वह भी आवश्यकता से अधिक भोजन) ।
  • भोजन में तीखी वस्तुएँ विशेषकर मसाले आदि लेने से ।
  • मद्यसेवी व्यक्ति आगे चलकर आमाशय शोथ के शिकार हो जाते हैं। मद्य का सेवन इसका एक प्रमुख कारण है।
  • तीव्र औषधियों के लम्बे समय तक प्रयोग करते रहने से। तीव्र प्रभाव वाली औषधियों से आमाशय में क्षोभ उत्पन्न होता है।
  • जीवाणुओं के विष एवं अन्य औषधिजन्य विष से।
  • गैस्ट्रिक इंफ्लुएंजा भी इस रोग गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) का विशेष कारण हो सकता है।
  • संक्रमण ग्रस्त (अस्वच्छ) आहार का सेवन ।
  • एस्प्रिन, टेट्रासाइक्लीन एवं शोथहर (एंटीइनफ्लेमेटरी) औषधियों का अति सेवन करने से। अनुर्जता (Allergy) जन्य कारणों से भी रोग उत्पन्न हो जाता है।
  • आमाशयशोथ गैस्ट्रिक सर्जरी की वजह से भी हो जाता है।
  • आंत्रिक ज्वर, वायरल गैस्ट्रो इंटेराइटिस, वायरल हेपेटाइटिस, फ्लू, संक्रमणजन्य विकार भी इस रोग गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) की आड़ में हो जाते हैं।
  • आमाशय में क्षोभ उत्पन्न करने वाले विषों में मुख्य रूप से संखिया, तूतिया, फास्फोरस आदि स्वयं प्रयोग कर लेना अथवा सिकी अन्य कारणों से पेट में चले जाने से आमाशयशोथ हो जाता है।
  • अधपका, ठोस, कच्चा मांस, मछली तथा अन्य खाद्य पदार्थ प्रयोग करना, क्षोभक खाद्य एवं नशीले पेय पीने से भी इस रोग के लक्षण प्रकट हो जाते हैं।
  • कुछ रोगियों में गाउट, हृदय एवं फेफड़ों के रोग भी तीव्र आमाशय शोथ के कारण हो सकते हैं । क्रोध, चिंता एवं व्याकुलता आदि मानसिक तत्त्व, विशेषकर भोजन ग्रहण के समय क्रोध आदि मानसिक विकारों का पाया जाना है।
  • पैत्तिक प्रकृति वाले व्यक्तियों में इस रोग के आक्रमण की अधिक संभावना पाई जाती है। जब रोगी कब्ज से पीड़ित होता है, पित्त अधिक कुपित हो जात है और गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) के लक्षण प्रकट होते है
  • तम्बाकू आदि का सेवन ।
  • आजकल सबसे अधिक प्रयोग आने वाली विभिन्न प्रकार की पुड़ियों का सेवन आमाशय शोथ का कारण है।
  • लेमन और विषाक्त आइसक्रीम के प्रयोग से ।
  • यह रोग अनेक प्रकार का माना गया है। इसमें पाई जाने वाली सूजन, श्लैष्मिक झिल्ली और ग्रंथियों (Glands) की स्थिति के आधार पर ही यह रोग भिन्न-भिन्न प्रकार का माना गया है । आमाशय की ग्रंथियों से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) एवं कुछ अन्य पाचक रसों (En- zymes) का स्राव होता है
  • जब आमाशय में शोथ आ जाता है, तो इसके पाचक रसों के स्राव में भी विकार आ जाता है। परिणामस्वरूप अपचन की शिकायत हो जाती है। इस स्थिति को आयुर्वेद में उर्ध्वग अम्ल पित्त कहा गया है।
  • नोट- इस रोग गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) में आमाशय की म्यूकस झिल्ली में सूजन हो जाती है जो तीव्र (Acute) अथवा पुरानी (Chronic) हो सकती है।
  • मदिरापान, तमाकू, ज्यादा मसाले के भोजन (Spicy food) आदि का अति प्रयोग ।
    • मसालों, वसा आदि का अति सेवन तथा भोजन में अनियमितता से।
    • बनावटी दाँत, खाए हुए पदार्थों का भली प्रकार न चबाना ।
    • हाइटस हार्निया, कैंसर, पित्ताशयशोथ, पित्ताश्मरी, जीर्ण अग्न्याशयशोथ आदि रोगों के. परिणामस्वरूप ये अवस्थाएँ पाई जाती हैं।
  • तीव्र एवं जीर्ण ज्वर, गले का संक्रमण, रक्त की कमी। अमीनिया, जीर्ण वृक्कशोथ, उच्च रक्तचाप (High blood pressure) आदि इस रोग के कारण हैं।

गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi)लक्षण (gastritis symptoms)-

  • इस रोग गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) में रोगी को छाती में जलन के साथ-साथ खट्टी डकारों की शिकायत रहती है।
  • मध्यम आयु के व्यक्तियों में यह रोग धीरे-धीरे उत्पन्न होता है। इसमें भोजन के तत्काल बाद या कुछ समय के उपरांत (विशेषकर तली चीजें खाने के बाद) अधिजठर प्रदेश पर वेदना और बेचैनी होती है।
  • भूख कभी लगती है, तो कभी नहीं लगती है। मुख का स्वाद बिगड़ा हुआ होता है।
  • जिह्वा नरम (Flabby), शुष्क और दाँतों के निशानों वाली होती है। अरुचि, मितली तथा वमन विशेषकर प्रातःकाल मिलते हैं। उदर के ऊपरी भाग में असुविधा होती है।
  • छाती में जलन होती है। बेहोशी, शिरःशूल, अवसाद (Depression), नींद का न आना, चक्कर आना और भोजन के बाद बेचैनी होती है।
  • धड़कन, कष्ट श्वास आदि हृदयरोग के लक्षण तथा शीतपित्त होना भी संभव है। गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) आमाशय से रक्तस्राव भी हो सकता है।
  • रोग निर्णय के लिए आमाशय दर्शन (गैस्ट्रोस्कोपी), आमाशय जीव ऊति परीक्षा (Biopsy) कराना उपयोगी होता है।
  • रोगी की भूख समाप्त हो जाती है या फिर झूठी भूख (False hunger) लगती है।
  • अधिजठर प्रदेश (इपीगैस्ट्रिक रीजन) में वेदना, जलन और अफारा (Distension) होता है। ये लक्षण भोजन करने के तुरन्त बाद होने लगते हैं।
  • इस स्थान पर दबाव डालने पर भी दर्द होता है। रोगी को कमजोरी महसूस होती है और वह चिड़चिड़ा बन जाता है। पेट के ऊपर वाले भाग में भी दर्द हो सकता है।
  • यह दर्द भोजन के बाद अथवा खाली पेट भी बढ़ सकता है। रोगी में जी मिचलाना, चक्कर और सिरदर्द के लक्षण भी प्रकट हो सकते हैं।
  • किसी-किसी में अजीर्ण, हलका ज्वर, व्याकुलता (Malaise), अवसादन (Depression), अधिक थकान, प्यास, मलावृत्त जिह्वा आदि लक्षण भी मिलते हैं। कभी-कभी लोग में कब्ज अवश्य रहती हैं
  • आमाशय प्रदाह के कुछ रोगी अरुचि (Anorexia), इपिगैस्ट्रिक वेदना एवं छाती की तीव्र अथवा साधारण जलन से भी पीड़ित होते हैं।
  • क्षोभ उत्पन्न करने वाली वस्तुएँ जब वमन से निकल जाती हैं, तब रोगी थोड़ी चैन की साँस लेता है और उपरोक्त लक्षणों में थोड़ी शांति हो जाती है।
  • रोगी के वमन के साथ श्लेष्मा तथा खाया-पिया भोजन एवं अन्य पदार्थ निकलते हैं, और उसके पश्चात् अंत में पित्त के साथ रक्त भी आ सकता है।
gastritis meaning in hindi
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  • प्रारम्भ में वमन खट्टा रहता है। परन्तु अंत में कड़वा पित्त आता है। रोगी को घबराहट तथा बेचैनी अनुभव होती है। सारांश में-आमाशय प्रदाह के रोगी में सर्वप्रथम पेट में भारीपन, तीव्र अथवा साधारण जलन तथा वेदना होती है।
  • हलका-सा पेट छूने पर भी पीड़ा का आभास होने लगता है। रोगी पेट को छूने नहीं देता है। पेट छूते ही प्रलाप कर उठता है। अफारा जैसे लक्षण हो जाते हैं। पेट फूल जाता है ।
  • गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) उँगलियों से थपथपाने से आवाज होती है। रोगी को बार-बार प्यास लगती है। मुँह का स्वाद बिगड़ जाता है। खाने की इच्छा नहीं होती है।
  • साधारण अवस्था में यह रोग ठीक हो जाता है और इस पर काबू पाना आसान होता है। पर रोग के लम्बे समय तक चलते रहने से शरीर में रक्त की कमी हो जाती है। क्षोभक विष कारण हो, तो मृत्यु भी संभव है।
  • नोट- • गुरुतर अवस्था में थोड़ा जाड़ा लगकर बुखार हो जाता है, मुँह में बेजायका या बदस्वाद होकर बुरी गंध आती है। वमन में पहले खाद्य-द्रव्य बाद में अम्लरस और पित्त निकलता है। किसी-किसी को कब्ज होती है और किसी-किसी को पतले दस्त आने लगते हैं।
  • यदि अधिजठर (इपीगैस्ट्रियम) प्रदेश में वेदना, बेचैनी और स्पर्शासह्यता (Tenderness) हो तथा साथ में हल्लास (उत्कटवमनेच्छा) हो, तो संभव है कि रोगी आमाशयशोथ से पीड़ित हो ।
gastritis meaning in hindi
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गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi)उपचार gastritis treatment-

  • इस रोग गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) मे रोगी को पूर्ण विश्राम कराना चाहिए। रोग के कारणों को दूर करना आवश्यक होता है।
  • आवश्यकतानुसार आमाशय का प्रक्षालन कराया जा सकता है। वेदना, रक्तस्राव और वमन के उपचार दूध की भी व्यवस्था करें।
  • यदि वमन/उलटी में रक्त आ रहा हो, तो मुलहटी और रक्तचंदन को में पीसकर साथ में दूध से ही लें। दूध शीघ्र पचने वाला तरल आहार होने के साथ-साथ अम्लता को भी दूर करता है।
  • मधुर फलों का रस भी दिया जा सकता है। शेष लाक्षणिक उपचार करें। आयुर्वेदिक पेंटेंट चिकित्सा के अंतर्गत उन्हीं दवाओं का प्रयोग किया जाता है जो पूर्व में आमाशयशोथ (14) के अन्तर्गत बताई गई हैं।
  • गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) मे रोगी को पूर्ण आराम दें। विकार उत्पन्न करने वाले पदार्थों को वमन कराके निकाल दें। साधारण नमक (Common salt) या सोडा बाईकार्ब के हलके घोल से आमाशय का प्रक्षालन (Stomach wash) भी किया जा सकता है।
  • गरम पानी की बोतल से पेट की सिकाई करें (Fommentation)अथवा गर्म पानी की थैली से सेंकने का निर्देश दें।
  • यदि रोगी को अत्यधिक वमन हो रहा है, तो वमननाशक औषधियों का प्रयोग करें। अधिक वमन हो जाने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
  • पानी की कमी हो जाने पर ‘नार्मल सैलाइन’ नस से 1-2 बोतल चढ़ाएँ । यदि रोगी में घबराहट, बेचैनी, भय आदि लक्षणों का संकेत मिल रहा हो, तो रोगी को हृदय तथा नाड़ी को बल प्रदान करने वाली औषधियाँ प्रयोग करें। यदि रोगी को नींद न आ रही हो, तो उसे मृदु निद्राकारक औषधियाँ दे सकते हैं।
  • आमाशयशोथ गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) की मूल चिकित्सा रोग के कारणों को सर्वप्रथम पड़ताल करके कारणों का नाश करना होता है।
    • विशेषकर- 1. आमाशय शोथ के पूर्व से ही यदि रोगी मुख एवं गले के रोगों (यथा, पायोरिया, गलकोष प्रदाह, टांसिलशोथ) से पीड़ित चल रहा हो, तो उसकी तुरन्त चिकित्सा प्रारंभ कर देनी चाहिए।
    • रोगी को नियमित रूप से दाँतों की सफाई के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए। हर खाना खाने के बाद दाँतों की सफाई करना प्रथम कर्त्तव्य है।
    • यदि रोगी धूम्रपान या मद्यपान का आदी है, तो उसे छुडवा दें
    • चाय, कॉफी का भी पूर्ण निषेध आवश्यक है।
    • तेज मिर्च, मसालेदार, खट्टे-चटपटे तले-भुने खाद्य पदार्थ भी तत्काल बंद करा देना हितकर है।
    • क्षोभक विष (Irritant poison) कारण हो, तो प्रतिकारक (एंटीडोट-Antidote) औषधि का देना आवश्यक होता है।
    • यदि रोगी को कब्ज हो, तो उसके लिए ‘अविपत्तिकर चूर्ण’ श्रेष्ठ औषधि है। इसका सेवन 2 चम्मच की मात्रा में सोते समय रात को करवाया जाता है। यह औषधि लिवर को उत्तेजित करती है और इस प्रकार एक रेचक (Laxative) का कार्य संपादित होता है।
    • आमाशय शोथ गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) की चिकित्सा में नारियल और सफेद पेठे का प्रयोग भी औषधि के रूप में किया जाता है। क्योंकि यह द्रव्य इस स्थिति में बहुत लाभकारी होते हैं। विरेचन के लिए मैगसल्फ का प्रयोग किया जा सकता है।
    • रोगी को ठंड से बचाना चाहिए। रोगी को थोड़ा आराम हो जाए, तो साबूदाना, दूध, बाल आदि पर ही रखें। धीरे-धीरे सामान्य भोजन की सलाह दें।
    • वैसे इस रोग गैस्ट्राइटिस (gastritis meaning in hindi) में जौ गेहूँ, एक साल पुराने चावल, मूँग की दाल का पानी, खीरा, ककड़ी, करेला, पका केला, सफेद पेठा, अनार और गाय का दूध बहुत लाभदायक पदार्थ माने गए हैं।
    • इस रोगी को केवल चीनी मिले हुए दूध अथवा दूध और पुराने चावल का भोजन दिया जाए, तो अधिक अच्छा है। रोगी को कोई भी भारी और दिमागी कार्य नहीं करना चाहिए। पूरा आराम करना आवश्यक है। लगभग 1 मील तक सैर करने से उसे बहुत लाभ मिल सकता है।
  • आमाशय शोथ अम्ल पित्त की अधिकता से उत्पन्न होता है। पित्त को ठीक करने की सबसे अच्छी चिकित्सा ‘विरेचन’ है। पित्त को शांत करने के लिए भी बहुत उपयोगी द्रव्य है।
  • इसके लिए सुकुमार घृत (औषधीय घृत) का अधिकतर प्रयोग किया जाता है। इसे 2 छोटे चम्मच (10 मि.ली.) की मात्रा में दिन में 2 बार खाली पेट ही एक प्लाया दूध के साथ लेना चाहिए । याद रहे- •अतिसार दूर करने वाली औषधि, दोषों के निकल जाने के पश्चात् देनी चाहिए।
  • अनुभूत चिकित्सा (gastritis ayurvedic medicine)-
    • हरड़ का चूर्ण 3 ग्राम, मुनक्का, मधु और गुड़ के साथ सेवन कराएँ-आमाशयशोथ में हितकर है।
    • त्रिफला को पहले दिन सायंकाल पानी में भिगो दें और प्रातःकाल छानकर उसमें मधु और शक्कर मिलाकर पिलावें ।
    • रोग की तीव्रावस्था में महालक्ष्मी विलास रस 125 मि.ग्रा. अभ्रक भस्म 125 मि.ग्रा. मिलाकर, एक मात्रा करें। प्रातः सायं ऐसी 1-1 मात्रा शहद के साथ सेवन कराएँ।
    • भोजनोपरांत दोनों समय अभयारिष्ट और पुनर्नवारिष्ट 3 चम्मच बराबर मात्रा में जल मिलाकर दें। रात सोते समय शुंठी खण्ड 1 चम्मच दूध के साथ दें। ।
    • दालचीनी 2 ग्राम, छोटी इलायची 5 ग्राम, अनारदाना 2 ग्राम, पोदीना शुष्क 3 ग्राम, ऑवला 3 ग्राम, काला जीरा 1 ग्राम, मुनक्का 5 ग्राम, पानी 100 मि.ली., गुलकंद 20 ग्राम लें।
    • उपरोक्त सभी औषधियों को पानी में पीसकर तथा गुलकंद को मिला, छानकर पिलाना-आमाशयशोथ में विशेष हितकारी होता है। यह एक अम्लपित्त नाशक उत्तम सीरप है।
gastritis meaning in hindi
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अभी कुछ आयुर्वेदिक औषधीय कल्प के नाम जानिए(gastritis ayurvedic treatment)

  1. Dabur Gut Health Juice 10 ml दिन मे दो बार(gastritis ayurvedic syrup)
  2. Kerala Ayurveda Alsactil Tablet-2 गोली दिन मे दो बार
  3. Dr. Vaidya’s Gut Care Effervescent Tablets-2 गोली दिन मे दो बार
  4. Asuka Tablet-2 गोली दिन मे दो बार
  5. Charak Dipya Ayurvedic Digestive Care Syrup-10 ml दिन मे दो बार
  6. Baidyanath Amla Pittantak Yog -2 गोली दिन मे दो बार
  7. Maharishi Ayurveda Gut Health Tablets-2 गोली दिन मे दो बार
  8. Baidyanath Ayucid Tablets-2 गोली दिन मे दो बार
  9. Avipattikar Churna-10 gm दिन मे दो बार

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