फिशर का इलाज 15 दिनों मे (How to heal a fissure fast)

मलद्वार की फिशर (Anal Fissure) एक आम लेकिन बहुत तकलीफदेह स्थिति है, जिसमें गुदा (anus) की त्वचा में एक छोटा सा कट या चीरा हो जाता है। यह कट आमतौर पर कब्ज, कठोर मल त्यागने, या अत्यधिक ज़ोर लगाने की वजह से होता है। इससे मल त्यागते समय तेज़ दर्द, जलन और कभी-कभी खून भी आ सकता है। यदि इसका सही समय पर इलाज न किया जाए, तो यह पुराना (chronic) रूप ले सकता है।

इस स्थिति को जल्दी ठीक करने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव, घरेलू उपाय और उचित दवाइयों का इस्तेमाल करना ज़रूरी होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि मलद्वार की फिशर को तेजी से कैसे ठीक(How to heal a fissure fast) किया जा सकता है।

Table of Contents

❖ यह समस्या कितनी सामान्य है?

मलद्वार की फिशर एक आम प्रॉब्लम है और यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में किसी भी उम्र में हो सकती है। नवजात शिशुओं से लेकर वयस्कों तक में यह देखी जाती है, विशेषकर उन लोगों में जिन्हें बार-बार कब्ज या कठिन मल त्याग की शिकायत रहती है।

मलद्वार की फिशर के कारण – विस्तृत जानकारी (How to heal a fissure fast)

How to heal a fissure fast
How to heal a fissure fast

मलद्वार की फिशर कई कारणों से हो सकती है, जिनमें सबसे आम कारण कब्ज और मल त्यागते समय अत्यधिक दबाव डालना होता है। इसके अलावा कई और भी कारक हैं जो गुदा द्वार की त्वचा को नुकसान पहुँचाकर फिशर का कारण बन सकते हैं।

  • ❖ 1. कब्ज (Constipation) – सबसे प्रमुख कारण

जब व्यक्ति को कब्ज होता है तो मल सख्त, सूखा और बड़ा हो जाता है। ऐसा मल बाहर निकालने के लिए ज़ोर लगाना पड़ता है, जिससे गुदा की कोमल त्वचा में दरार पड़ जाती है। यह फिशर का सबसे आम और प्राथमिक कारण है।

क्यों होता है कब्ज:

  • फाइबर रहित भोजन
  • पानी की कमी
  • शारीरिक गतिविधियों की कमी
  • लंबे समय तक शौच को रोकना
  • तनाव या मानसिक दबाव

2. बहुत कठोर या बड़े आकार का मल (Hard or Large Stool)

अगर मल अत्यधिक सख्त हो या उसका आकार सामान्य से बड़ा हो, तो वह गुदा द्वार से गुजरते समय त्वचा को फाड़ सकता है। यह एक बार में ही फिशर पैदा कर सकता है।

3. लंबे समय तक या बार-बार दस्त (Chronic Diarrhea)

यह सुनने में उल्टा लग सकता है, लेकिन बार-बार पतले दस्त आने से भी गुदा की त्वचा में घर्षण होता है। इससे त्वचा को आराम नहीं मिलता और वह कमजोर होकर फट सकती है।

4. प्रसव के दौरान अत्यधिक दबाव (Childbirth-related Strain)

गर्भवती महिलाओं में डिलीवरी के दौरान गुदा क्षेत्र पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। यह दबाव गुदा की मांसपेशियों और त्वचा को नुकसान पहुँचा सकता है और फिशर का कारण बन सकता है। यह स्थिति प्रसव के बाद कुछ हफ्तों तक बनी रह सकती है।

5. बार-बार शौच जाना या ज़ोर लगाना (Frequent Bowel Movements or Straining)

जिन लोगों को बार-बार शौच की आदत होती है, या जो हर बार ज़ोर लगाकर मल त्यागते हैं, उनमें फिशर बनने का जोखिम अधिक होता है। ज़ोर लगाने से गुदा की आंतरिक मांसपेशियों में खिंचाव आता है और त्वचा फट सकती है।

6. गुदा क्षेत्र में रक्त प्रवाह की कमी (Reduced Blood Flow to the Anal Area)

गुदा की त्वचा में यदि पर्याप्त रक्त प्रवाह न हो, तो त्वचा सूखने लगती है और उसका लचीलापन कम हो जाता है। यह विशेष रूप से बुजुर्गों में देखा जाता है, जिससे त्वचा जल्दी फट सकती है।

7. असामान्य गुदा संरचना (Tight Anal Sphincter Muscle)

कुछ लोगों में जन्मजात या किसी अन्य कारण से गुदा की मांसपेशियाँ बहुत कसी होती हैं। यह मल त्याग को कठिन बना देता है और त्वचा पर अधिक दबाव डालता है, जिससे फिशर की संभावना बढ़ जाती है।

8. बच्चों में फिशर के कारण

छोटे बच्चों में फिशर सामान्यतः कब्ज की वजह से होता है। बच्चे अक्सर मल त्यागने से डरते हैं यदि एक बार दर्द महसूस हो चुका हो, जिससे समस्या और बढ़ जाती है।

9. कुछ बीमारियाँ

कुछ मेडिकल कंडीशन्स भी फिशर का कारण बन सकती हैं:

  • क्रोहन रोग (Crohn’s Disease)
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस
  • टीबी या एचआईवी जैसे संक्रमण

इन बीमारियों में गुदा क्षेत्र की सूजन और घाव सामान्य बात है, जिससे फिशर हो सकता है।

मलद्वार की फिशर के लक्षण – विस्तार से (How to heal a fissure fast)

How to heal a fissure fast
How to heal a fissure fast

मलद्वार की फिशर के लक्षण बहुत असहज और दर्दनाक हो सकते हैं। ये लक्षण शौच के समय और बाद में विशेष रूप से महसूस होते हैं और व्यक्ति की दिनचर्या को प्रभावित कर सकते हैं।

  • ❖ 1. शौच के दौरान या बाद में तेज़ दर्द और जलन

फिशर का सबसे प्रमुख लक्षण है मल त्यागते समय तीव्र जलन और चुभन जैसा दर्द होना। यह दर्द इतना तीखा हो सकता है कि व्यक्ति मल त्यागने से डरने लगे। कभी-कभी यह दर्द शौच के 1–2 घंटे बाद तक बना रह सकता है।

❖ 2. मल के साथ खून आना

मलद्वार की फिशर में अक्सर मल के साथ ताजे लाल खून की बूंदें दिखाई देती हैं। यह खून टॉयलेट पेपर, मल की सतह या टॉयलेट बाउल में नजर आता है। यह खून आमतौर पर थोड़ा ही होता है, लेकिन यह फिशर की पुष्टि का संकेत होता है।

❖ 3. गुदा क्षेत्र में खुजली या जलन

फिशर होने पर गुदा की त्वचा में सूजन और जलन हो जाती है, जिससे वहां खुजली और लगातार असहजता बनी रहती है। यह खुजली कभी-कभी बहुत परेशान करने वाली हो सकती है।

❖ 4. गुदा द्वार पर सूजन या कठोर गांठ (Sentinel Pile)

अगर फिशर पुराना (क्रॉनिक) हो जाए, तो गुदा द्वार के पास एक छोटी सी कठोर गांठ या मस्सा जैसा उभार बन सकता है। इसे Sentinel Tag या Sentinel Pile कहा जाता है। यह गांठ दरअसल शरीर की सुरक्षा प्रतिक्रिया होती है, लेकिन यह भी असहजता और दर्द पैदा कर सकती है।

❖ 5. मल त्यागने से डर लगना (Fear of Passing Stool)

दर्द के डर से व्यक्ति मल को रोके रखता है, जिससे कब्ज और अधिक बढ़ती है। यह एक दुष्चक्र (vicious cycle) बनाता है:
दर्द → मल रोकना → कब्ज → फिर ज्यादा दर्द

❖ 6. शरीर में बेचैनी और थकान महसूस होना

लगातार दर्द और जलन से व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हो सकता है। फिशर की वजह से अच्छी नींद न आना, हर समय असहजता महसूस होना, और शरीर में थकान होना आम बात है।

❖ 7. बच्चों में विशेष लक्षण

बच्चों में फिशर होने पर वे मल त्यागते समय रोने लगते हैं, शौचालय जाने से डरते हैं, और शौच को रोककर रखते हैं। यह उनके पेट में सूजन और अधिक कब्ज का कारण बनता है।

❖ 8. पुरानी फिशर के अतिरिक्त लक्षण

यदि फिशर पुराना हो जाए (Chronic Fissure), तो:

  • घाव गहरा और स्थायी हो सकता है
  • गुदा की मांसपेशियाँ टाइट हो सकती हैं
  • संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है
  • दर्द लंबे समय तक बना रहता है

अगर ये लक्षण 1 सप्ताह से ज्यादा समय तक बने रहें, या दर्द बहुत अधिक हो, तो किसी प्रोक्टोलॉजिस्ट या गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट से तुरंत परामर्श लेना चाहिए।

मलद्वार की फिशर (Anal Fissure) को जल्दी ठीक करने के लिए 30 बेहतरीन घरेलू उपाय विस्तारपूर्वक हिंदी में:

✅ 30 असरदार घरेलू उपाय – Anal Fissure के लिए (30 Best Home Remedies in Hindi)

How to heal a fissure fast
How to heal a fissure fast

इन उपायों का उद्देश्य है:

  • दर्द और जलन से राहत देना
  • मल को नरम और आसान बनाना
  • घाव को भरने में सहायता करना
  • संक्रमण से बचाव
  • दोबारा फिशर होने से रोकना
  • 🔹 1. गुनगुने पानी का सिट्ज़ बाथ (Sitz Bath)

दिन में 2–3 बार, विशेष रूप से मल त्याग के बाद, 10–15 मिनट गुनगुने पानी में बैठें। यह गुदा क्षेत्र की मांसपेशियों को आराम देता है, सूजन कम करता है और घाव भरने में मदद करता है।

🔹 2. फाइबर युक्त आहार लें (High-Fiber Diet)

अनाज, दलिया, हरी सब्जियाँ, फल (जैसे पपीता, सेब, नाशपाती) और सलाद मल को नरम करते हैं और कब्ज से राहत देते हैं।

🔹 3. खूब पानी पिएं (Drink Plenty of Water)

दिन भर में 8–10 गिलास पानी पीना आवश्यक है। यह शरीर को हाइड्रेट रखता है और मल को सॉफ्ट बनाता है।

🔹 4. नारियल तेल (Coconut Oil)

नारियल तेल में एंटीबैक्टीरियल और सूदिंग गुण होते हैं। इसे गुदा क्षेत्र में लगाने से घाव में राहत मिलती है और नमी बनी रहती है।

🔹 5. घी का सेवन और प्रयोग

देशी घी को भोजन में शामिल करें और हल्के गर्म घी को गुदा द्वार पर लगाने से भी आराम मिलता है।

🔹 6. इसबगोल (Isabgol Husk)

रात को सोने से पहले 1–2 चम्मच इसबगोल एक गिलास गर्म दूध या पानी के साथ लें। यह मल को सॉफ्ट करता है और मल त्याग को आसान बनाता है।

🔹 7. त्रिफला चूर्ण

रात को सोने से पहले 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण गर्म पानी के साथ लें। यह एक आयुर्वेदिक जुलाब है और कब्ज से राहत देता है।

🔹 8. एलोवेरा जेल (Aloe Vera Gel)

एलोवेरा में सूजन कम करने और घाव भरने के गुण होते हैं। इसे गुदा क्षेत्र पर लगाएं।

🔹 9. अरंडी का तेल (Castor Oil)

1 चम्मच अरंडी का तेल रात को लेने से मल सॉफ्ट होता है और आंतों की सफाई होती है।

🔹 10. अंजीर (Dry Figs)

3–4 सूखे अंजीर रात भर भिगोकर सुबह खाएं। यह पेट साफ करता है और कब्ज दूर करता है।

🔹 11. गर्म दूध में हल्दी (Haldi Milk)

रात को सोते समय हल्दी वाला गर्म दूध पीने से शरीर में सूजन कम होती है और फिशर जल्दी भरता है।

🔹 12. जैतून का तेल (Olive Oil)

गुदा द्वार पर जैतून का तेल लगाने से त्वचा को नमी मिलती है और दर्द में आराम मिलता है।

🔹 13. शुद्ध शहद

शुद्ध शहद को गुदा पर लगाने से जलन कम होती है और एंटीसेप्टिक प्रभाव से घाव जल्दी भरता है।

🔹 14. दूध में घी डालकर

गर्म दूध में 1 चम्मच घी डालकर पीने से मल सॉफ्ट रहता है।

🔹 15. नींबू पानी

सुबह खाली पेट नींबू पानी पीना पाचन क्रिया को सुधारता है और कब्ज दूर करता है।

🔹 16. कच्चे पपीते का सेवन

पपीते में पाचन एंजाइम होते हैं जो पेट साफ रखते हैं और मल सॉफ्ट करते हैं।

🔹 17. अदरक का पानी

अदरक का गर्म पानी पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और गैस, अपच से राहत मिलती है।

🔹 18. पतंजलि की “पाइल्स ग्रिट” या “अर्शोघ्नी वटी” (यदि उपलब्ध)

यह आयुर्वेदिक गोलियाँ गुदा रोगों के लिए प्रभावी होती हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से लें।

🔹 19. छाछ में हींग और अजवाइन

पाचन के लिए अच्छा है, पेट फूलने से राहत देता है और मल त्याग को सहज बनाता है।

🔹 20. तुलसी के पत्ते

तुलसी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। तुलसी की पत्तियों का रस थोड़ा सा लगाना संक्रमण से बचा सकता है।

🔹 21. नित्य हल्की योगासन करें

विशेषतः पवनमुक्तासन, मलासन, भुजंगासन। ये पाचन सुधारते हैं और आंतों को सक्रिय रखते हैं।

🔹 22. गुड़ और सौंफ

खाने के बाद गुड़ और सौंफ चबाने से पाचन में सुधार होता है।

🔹 23. चिया सीड्स (Chia Seeds)

1 चम्मच चिया सीड्स को पानी में भिगोकर पीने से फाइबर और ओमेगा-3 मिलता है, जो आंतों को स्वस्थ रखता है।

🔹 24. दही और प्रोबायोटिक्स

दही में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो पाचन को संतुलित रखते हैं और कब्ज को दूर रखते हैं।

🔹 25. खजूर (Dates)

खजूर में फाइबर और आयरन दोनों होते हैं, जो पेट साफ करने में सहायक हैं।

🔹 26. जीरे का पानी

भुना हुआ जीरा पानी में उबालकर पीने से पाचन सुधरता है।

🔹 27. मूली का रस

थोड़ा मूली का रस पीने से आंतें साफ होती हैं, लेकिन मात्रा सीमित रखें।

🔹 28. मेथी दाना पानी

रात को भिगोए हुए मेथी दानों को सुबह खाली पेट खाएं – पाचन अच्छा होता है।

🔹 29. बैठने के लिए नरम कुशन

कठोर सतह पर बैठने से दर्द बढ़ सकता है, इसलिए नरम तकिये या कुशन का उपयोग करें।

🔹 30. गुदा क्षेत्र की साफ-सफाई

हर बार मल त्याग के बाद हल्के गर्म पानी से धोएं, साबुन का प्रयोग न करें। सूखे और साफ रहें।

यह रहे 5 प्रभावशाली आयुर्वेदिक दवाएं जो मलद्वार की फिशर (Anal Fissure) के उपचार में मदद कर सकती हैं, उनके उपयोग और लाभों के साथ:

✅ 5 असरदार आयुर्वेदिक दवाएं मलद्वार की फिशर के लिए (5 Best Ayurvedic Medicines for Anal Fissure)

1. अर्शोघ्नी वटी (Arshoghni Vati)

निर्माता: पतंजलि, बैद्यनाथ, या अन्य आयुर्वेदिक ब्रांड
प्रयोग:

  • दिन में दो बार खाना खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ 1–2 गोली लें
  • 15 से 30 दिन तक प्रयोग करें

लाभ:

  • फिशर, बवासीर और गुदा में सूजन में राहत
  • मल को सामान्य बनाता है
  • गुदा की मांसपेशियों को आराम देता है

2. त्रिफला चूर्ण (Triphala Churna)

निर्माता: डाबर, पतंजलि, हिमालया
प्रयोग:

  • 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को सोने से पहले गुनगुने पानी या दूध के साथ
  • लगातार 2–4 सप्ताह तक

लाभ:

  • कब्ज का जड़ से उपचार
  • आंतों की सफाई करता है
  • घाव भरने में सहायक

3. पाइलक्स मलहम और टैबलेट (Himalaya Pilex Ointment & Tablets)

निर्माता: हिमालया
प्रयोग:

  • टैबलेट: दिन में दो बार भोजन के बाद
  • मलहम: गुदा द्वार पर दिन में 2 बार, विशेषकर मल त्याग के बाद लगाएं

लाभ:

  • सूजन, दर्द और जलन में राहत
  • घाव को जल्दी भरने में सहायक
  • रक्तस्राव और खुजली को कम करता है

4. अभयारिष्ट (Abhayarishta)

निर्माता: बैद्यनाथ, डाबर, पतंजलि आदि
प्रयोग:

  • 15–20 ml अभयारिष्ट बराबर मात्रा में पानी मिलाकर दिन में 2 बार भोजन के बाद लें

लाभ:

  • कब्ज और गैस की समस्या को दूर करता है
  • मल त्याग को सहज बनाता है
  • गुदा की सूजन को कम करता है

5. अर्श कुठार रस (Arsh Kuthar Ras)

निर्माता: बैद्यनाथ, डिव्य फार्मेसी
प्रयोग:

  • दिन में 1–2 गोली, भोजन के बाद शहद या पानी के साथ
  • डॉक्टर की सलाह अनुसार सेवन करें

लाभ:

  • पुराने बवासीर व फिशर में कारगर
  • सूजन, रक्तस्राव और दर्द में आराम
  • आंतरिक घाव भरने में मददगार

6. नागरमोथा चूर्ण (Nagarmotha Powder)

निर्माता: आयुर्वेदिक फार्मेसियाँ
प्रयोग:

  • 1/2 से 1 चम्मच चूर्ण दिन में 1–2 बार गुनगुने पानी के साथ लें

लाभ:

  • पाचन को सुधारता है
  • आंतरिक सूजन व जलन में राहत
  • मल सॉफ्ट करता है, जिससे फिशर में खिंचाव कम होता है

7. पंचतिक्त घृत गुग्गुल (Panchatikta Ghrita Guggulu)

निर्माता: आयुर्वेदिक पंचकर्म केंद्र, वैद्यनाथ आदि
प्रयोग:

  • 1–2 गोली या घृत डॉक्टर की सलाह अनुसार दिन में दो बार लें

लाभ:

  • पुरानी फिशर और फिस्टुला में अत्यंत लाभदायक
  • शरीर के विषाक्त तत्व निकालता है
  • घाव को जल्दी भरने और संक्रमण रोकने में मदद करता है

📌 विशेष सलाह:

इन दवाओं के साथ निम्न बातों का पालन करें:
✅ कब्ज बिल्कुल न होने दें
✅ तैलीय, मसालेदार, फास्ट फूड से परहेज करें
✅ सुबह-सुबह गुनगुना पानी पिएं
✅ नियमित सिट्ज बाथ लें
✅ योग और प्राणायाम करें

बहुत बढ़िया! नीचे दिया गया है मलद्वार की फिशर (Anal Fissure) के लिए 14-दिन का संपूर्ण आयुर्वेदिक होम हीलिंग प्लान, जिसमें दवा, आहार, दिनचर्या और घरेलू उपाय शामिल हैं:

✅ 14-दिन का आयुर्वेदिक हीलिंग प्लान (For Anal Fissure Relief)

लक्ष्य: दर्द, सूजन, कब्ज और घाव से राहत देना और दोबारा होने से रोकना।


🕘 सुबह (6:00 AM – 9:00 AM)

🔸 खाली पेट:

  • 1 गिलास गुनगुना पानी + 1 चुटकी सेंधा नमक
  • 1 चम्मच घी (देशी) + 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण (गर्म पानी के साथ)
    (दिन 1 से 14 तक)

🍽️ नाश्ता (8:30 AM – 9:30 AM)

  • दलिया / ओट्स / फल + 1 चम्मच अलसी/चिया सीड्स
  • गुनगुना पानी या छाछ
  • NO चाय, कॉफी, तेलीय या मसालेदार चीज़ें
  • अभयारिष्ट: 15 ml + 15 ml गुनगुना पानी
  • पंचतिक्त घृत गुग्गुल : 1 गोली (गुनगुने पानी के साथ)
    (दिन 1 से 14 तक)

🧘‍♂️ योग व प्राणायाम (10:00 AM – 10:30 AM)

  • मलासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन
  • 5 मिनट अनुलोम-विलोम
    (रोज़ाना)

🕛 दोपहर का भोजन (12:30 PM – 1:30 PM)

  • सादा दाल, चावल, सब्ज़ी, रोटी (गेहूं + जौ + चने का आटा)
  • 1 चम्मच घी जरूर शामिल करें
  • भोजन के बाद 1 चम्मच सुपारी पाक दूध के साथ
  • दवा:
    • अर्शोघ्नी वटी – 1 गोली
    • Pilex tablet – 1 गोली
      (दिन 1 से 14 तक)

🛁 दोपहर / शाम (4:00 PM – 6:00 PM)

  • सिट्ज बाथ – 10–15 मिनट (गर्म पानी में बैठें, थोड़ा सा नमक या त्रिफला डाल सकते हैं)
    (दिन 1 से 14 तक)
  • बाद में गुदा पर एलोवेरा जेल या नारियल तेल लगाएं
  • Pilex मलहम लगाएं

🥣 रात का खाना (7:00 PM – 8:00 PM)

  • हल्का भोजन: खिचड़ी / दलिया / उबली सब्ज़ी
  • NO मिर्च, तला हुआ भोजन, मांसाहार, बासी खाना
  • भोजन के बाद 1 गोली Arsh Kuthar Ras (गुनगुने पानी के साथ)
  • सूक्ष्म त्रिफला वटी 1 गोली

🌙 सोने से पहले (9:30 PM – 10:00 PM)

  • 1 चम्मच इसबगोल भूसी + 1 गिलास गर्म दूध
    (या कब्ज अधिक हो तो कायम चूर्ण 1 चम्मच)
  • जात्यादी तेल मे भिगोया हुआ कपास (कॉटन ) गुद भाग मे रखे

🧾 विशेष सुझाव (Daily Routine Tips)

✅ मल को रोकें नहीं, समय पर जाएं
✅ मल त्याग के बाद क्षेत्र को गुनगुने पानी से धोएं
✅ ढीले और सूती कपड़े पहनें
✅ टॉयलेट में ज़ोर न लगाएं
✅ बैठने के लिए सॉफ्ट कुशन का उपयोग करें


📆 सुधार की संभावना (Expected Progress)

दिनसंभावित सुधार
दिन 1–3कब्ज में राहत, दर्द हल्का होना शुरू
दिन 4–7जलन व रक्तस्राव में कमी, मल त्याग सहज
दिन 8–10घाव भरने की प्रक्रिया शुरू
दिन 11–1470–90% तक राहत संभव (यदि नियमितता बनी रहे)

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