लूज़ मोशन (दस्त) क्या है? एक विस्तृत परिचय
लूज़ मोशन (Loose Motion), जिसे आम भाषा में दस्त (Diarrhea) या अतिसार भी कहते हैं, एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को बार-बार पतले या पानी जैसे मल का त्याग करना पड़ता है। यह समस्या आमतौर पर 2-3 दिनों में ठीक हो जाती है, लेकिन कभी-कभी यह गंभीर रूप भी ले सकती है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में।इस लेख मे दस्त के असरदार दवाइयों(medicine for loose motion) के बारे मे जानेंगे
लूज़ मोशन कैसे होता है?
मनुष्य का पाचन तंत्र (Digestive System) भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करता है और बचे हुए अपशिष्ट को मल के रूप में बाहर निकालता है। जब आंतों (Intestines) में पानी की मात्रा बढ़ जाती है या भोजन बहुत तेजी से पाचन तंत्र से गुजरता है, तो मल ठोस की बजाय पतला और पानीदार हो जाता है, जिसे हम दस्त कहते हैं।
लूज़ मोशन के प्रकार (Types of Diarrhea)
- तीव्र दस्त (Acute Diarrhea) – अचानक शुरू होता है और 1-2 दिनों तक रहता है।
- कारण: वायरल/बैक्टीरियल इन्फेक्शन, फूड पॉइजनिंग।
- लगातार दस्त (Persistent Diarrhea) – 2 सप्ताह से अधिक समय तक रहता है।
- कारण: पैरासाइटिक इन्फेक्शन, आंतों की बीमारियाँ।
- क्रोनिक दस्त (Chronic Diarrhea) – 4 सप्ताह से ज्यादा चलने वाला दस्त।
- कारण: IBS (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम), IBD (क्रोहन रोग), लैक्टोज इनटॉलरेंस।
भारत में लूज़ मोशन (दस्त): एक सांख्यिकीय एवं विस्तृत परिचय
भारत में लूज़ मोशन (दस्त या डायरिया) एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जो विशेष रूप से बच्चों और कमजोर आय वर्ग के लोगों को प्रभावित करती है। डायरिया के कारण हर साल हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती है, जबकि लाखों लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ते हैं।
भारत में डायरिया से जुड़े प्रमुख आँकड़े (Statistical Data):
- बच्चों में मृत्यु दर:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण डायरिया है।
- हर साल लगभग 1 लाख बच्चे डायरिया और इससे होने वाली डिहाइड्रेशन के कारण मर जाते हैं। (स्रोत: UNICEF)
- रोग का प्रसार (Prevalence):
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार, भारत में लगभग 9% बच्चों को पिछले 2 सप्ताह में डायरिया की शिकायत हुई थी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में डायरिया का प्रसार शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक है, क्योंकि स्वच्छ पानी और साफ-सफाई की कमी एक बड़ा कारण है।
- राज्यवार आँकड़े:
- उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में डायरिया के मामले सबसे अधिक हैं, जहाँ स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाएँ कमजोर हैं।
- केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में बेहतर स्वास्थ्य ढाँचे के कारण डायरिया से होने वाली मौतों की दर कम है।
- आर्थिक प्रभाव:
- डायरिया के कारण कामकाजी दिनों की हानि होती है, जिससे आर्थिक नुकसान होता है।
- गरीब परिवारों को डायरिया के इलाज पर अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ता है।
डायरिया के प्रमुख कारण भारत में:
- दूषित पानी और खराब स्वच्छता:
- लगभग 70% भारतीय गाँवों में साफ पीने के पानी की कमी है।
- खुले में शौच (Open Defecation) अभी भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित है, जिससे डायरिया फैलता है।
- अशुद्ध भोजन:
- सड़क किनारे बिकने वाले कटे फल, गंदे पानी में धुली सब्जियाँ और बासी भोजन डायरिया का कारण बनते हैं।
- बच्चों में कुपोषण (Malnutrition):
- कुपोषित बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे वे डायरिया के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
निष्कर्ष:
भारत में डायरिया एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है, जिसका समाधान स्वच्छ पेयजल, बेहतर स्वच्छता और टीकाकरण (जैसे रोटावायरस वैक्सीन) से किया जा सकता है। सरकारी योजनाएँ जैसे स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, लेकिन अभी भी जागरूकता और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है।
“डायरिया से बचाव ही इसका सबसे अच्छा इलाज है।”
- ओआरएस (ORS) का उपयोग,
- साफ पानी पीना,
- हाथों की स्वच्छता, और
- टीकाकरण जैसे उपायों को अपनाकर इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
यदि दस्त 48 घंटे से अधिक रहें या खून आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
लूज़ मोशन (दस्त) के लिए ऐलोपैथिक दवाओं की पूरी लिस्ट – ब्रांड नाम और जानकारी
दस्त (डायरिया) के इलाज के लिए ऐलोपैथिक दवाएं कई प्रकार की होती हैं, जो संक्रमण, डिहाइड्रेशन और पेट की गड़बड़ी को ठीक करने में मदद करती हैं। यहां भारत में उपलब्ध सभी प्रमुख दवाओं की डिटेल्ड लिस्ट दी गई है:
1. ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS)
उपयोग: शरीर में पानी और नमक की कमी को पूरा करता है।
प्रमुख ब्रांड्स (भारत में):
- इलेक्ट्रल (Electral) – डॉ. रेड्डी
- ओआरएस-प्लस (ORS-Plus) – FDC
- जिंकोविट ORS (Zincovit ORS) – अल्केम
खुराक: हर बार दस्त के बाद 1 पैकेट 200ml पानी में घोलकर पिएं।
2. लोपरामाइड (Loperamide – दस्त रोकने वाली दवा)
उपयोग: आंतों की गति को धीमा करके दस्त कम करती है।
प्रमुख ब्रांड्स:
- लोमोटिल (Lomotil) – फाइजर
- इमोडियम (Imodium) – जॉनसन एंड जॉनसन
- लोपरामाइड (Loperamide) – सिप्ला
खुराक: पहले 2mg, फिर हर दस्त के बाद 2mg (अधिकतम 8mg/दिन)।
3. रेसकाडोट्रिल (Racecadotril – पानी कम करने वाली दवा)
उपयोग: आंतों से पानी का रिसाव कम करता है।
प्रमुख ब्रांड्स:
- रेडोटिल (Redotil) – मैनकाइंड
- जेडोट (Zedott) – जायडस
- रेसकाडोट्रिल (Racecadotril) – ग्लेनमार्क
खुराक: वयस्क – 100mg दिन में 3 बार, बच्चे – 1.5mg/kg।
4. जिंक सप्लीमेंट्स (Zinc – बच्चों के लिए जरूरी)
उपयोग: दस्त की अवधि और तीव्रता कम करता है।
प्रमुख ब्रांड्स:
- जिंकोविट (Zincovit) – अल्केम
- जिन्कोनिया (Zinconia) – मैनकाइंड
- जिंकोसोल (Zincosol) – सन फार्मा
खुराक: बच्चों को 20mg रोज 10–14 दिन तक दें।
5. एंटीबायोटिक्स (बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लिए)
(A) ओफ्लॉक्सासिन + ऑर्निडाजोल (Ofloxacin + Ornidazole)
प्रमुख ब्रांड्स:
- ओफ्लॉक्स OZ (Oflox OZ) – सिप्ला
- ज़ानोसिन OZ (Zanocin OZ) – RPG
खुराक: 1 गोली दिन में 2 बार 3–5 दिन तक।
(B) सिप्रोफ्लॉक्सासिन (Ciprofloxacin)
प्रमुख ब्रांड्स:
- सिफ्रान (Cifran) – सन फार्मा
- सिप्लॉक्स (Ciplox) – सिप्ला
खुराक: 500mg दिन में 2 बार 3 दिन तक।
(C) मेट्रोनिडाजोल (Amoebic Dysentery के लिए)
प्रमुख ब्रांड्स:
- फ्लैजिल (Flagyl) – फाइजर
- मेट्रोजिल (Metrogyl) – JB केमिकल्स
खुराक: 400mg दिन में 3 बार 5–7 दिन तक।
6. प्रोबायोटिक्स (Probiotics – आंत के बैक्टीरिया ठीक करने के लिए)
प्रमुख ब्रांड्स:
- एंटरोजर्मिना (Enterogermina) – सनोफी
- बायफिलैक (Bifilac) – टेबलेट्स इंडिया
- VSL#3 – सन फार्मा
खुराक: 1 सैशे/कैप्सूल दिन में 2 बार।
7. एंटीमेटिक्स (उल्टी रोकने के लिए)
(A) ओन्डैन्सेट्रॉन (Ondansetron)
प्रमुख ब्रांड्स:
- एमसेट (Emeset) – सिप्ला
- वॉन्सर (Voncer) – मैनकाइंड
खुराक: 4mg गोली जब भी उल्टी हो।
(B) डॉमपेरिडोन (Domperidone)
प्रमुख ब्रांड्स:
- डॉमस्टल (Domstal) – टॉरेंट
- वोमीकाइंड (Vomikind) – मैनकाइंड
खुराक: 10mg दिन में 3 बार।
8. पैरासिटामोल (बुखार और दर्द के लिए)
प्रमुख ब्रांड्स:
- क्रोसिन (Crocin) – GSK
- कैलपोल (Calpol) – फाइजर
खुराक: 500mg हर 6 घंटे में (बुखार >100°F होने पर)।
9. एक्टिवेटेड चारकोल (टॉक्सिन सोखने के लिए)
प्रमुख ब्रांड्स:
- सोर्बिलाइन (Sorbiline) – मैक्लियोड्स
- कार्बोसॉर्ब (Carbosorb) – एरिस्टो
खुराक: 2–4 गोली पानी के साथ लें।
कौन सी दवा कब लें?
लक्षण | दवा |
---|---|
हल्का दस्त | ORS + जिंक + प्रोबायोटिक्स |
तेज पानी जैसा दस्त | लोपरामाइड / रेसकाडोट्रिल |
बैक्टीरियल इन्फेक्शन | ओफ्लॉक्सासिन + ऑर्निडाजोल |
अमीबिक पेचिश | मेट्रोनिडाजोल |
उल्टी | ओन्डैन्सेट्रॉन / डॉमपेरिडोन |
बुखार | पैरासिटामोल |
दस्त के कारण –

लूज़ मोशन (दस्त या डायरिया) एक सामान्य समस्या है जिसमें मल पतला और पानी जैसा हो जाता है। यह कई कारणों से हो सकता है, जिन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
1. संक्रमण (Infections)
लूज़ मोशन का सबसे आम कारण बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी (पैरासाइट) द्वारा होने वाला संक्रमण है।
क) बैक्टीरियल इन्फेक्शन (Bacterial Infections)
- ई. कोलाई (E. coli) – दूषित पानी या भोजन से फैलता है।
- साल्मोनेला (Salmonella) – अधपका मांस, अंडे या दूषित दूध से।
- शिगेला (Shigella) – संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से।
- विब्रियो कोलेरा (Vibrio cholerae) – हैजा (Cholera) का कारण बनता है, दूषित पानी से फैलता है।
ख) वायरल इन्फेक्शन (Viral Infections)
- रोटावायरस (Rotavirus) – बच्चों में दस्त का प्रमुख कारण।
- नोरोवायरस (Norovirus) – संक्रमित भोजन या पानी से।
- एडेनोवायरस (Adenovirus) – सर्दी-जुकाम के साथ दस्त भी कर सकता है।
ग) पैरासाइटिक इन्फेक्शन (Parasitic Infections)
- जिआर्डिया (Giardia) – दूषित पानी पीने से।
- अमीबियासिस (Amoebiasis) – एंटअमीबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolytica) नामक परजीवी से।
- क्रिप्टोस्पोरिडियम (Cryptosporidium) – गंदे पानी या तालाब में नहाने से।
2. खानपान से जुड़े कारण (Dietary Causes)
- दूषित भोजन या पानी – बासी या गंदा खाना खाने से।
- फूड पॉइजनिंग – बैक्टीरिया युक्त भोजन (जैसे कच्चा मांस, अंडे) खाने से।
- एलर्जी (Food Allergy) – कुछ लोगों को दूध (लैक्टोज), ग्लूटेन या मूंगफली से एलर्जी होती है।
- अधिक मसालेदार या तैलीय भोजन – पेट खराब कर सकता है।
- कृत्रिम मिठास (Artificial Sweeteners) – सोर्बिटोल (Sorbitol) युक्त चीजें ज्यादा खाने से।
3. दवाओं के साइड इफेक्ट्स (Medication Side Effects)
- एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) – पेट के गुड बैक्टीरिया को नष्ट कर देती हैं।
- कैंसर की कीमोथेरेपी (Chemotherapy) – पाचन तंत्र को प्रभावित करती है।
- मैग्नीशियम युक्त एंटासिड (Antacids) – ज्यादा लेने से दस्त हो सकते हैं।
- लैक्सेटिव्स (Laxatives) – कब्ज की दवाएं अधिक मात्रा में लेने से।
4. पाचन तंत्र की बीमारियाँ (Digestive Disorders)
- इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) – पेट में दर्द, गैस और दस्त की शिकायत।
- इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) – क्रोहन रोग (Crohn’s Disease) या अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis)।
- सीलिएक रोग (Celiac Disease) – ग्लूटेन युक्त आहार से पाचन तंत्र खराब होता है।
- लैक्टोज इनटॉलरेंस (Lactose Intolerance) – दूध पचाने में असमर्थता।
5. अन्य कारण (Other Causes)
- तनाव और चिंता (Stress & Anxiety) – नर्वस डायरिया (Nervous Diarrhea) हो सकता है।
- अधिक शराब पीना (Excessive Alcohol) – पाचन तंत्र को नुकसान पहुँचाता है।
- हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance) – थायरॉइड (Hyperthyroidism) से दस्त हो सकते हैं।
- फूड इनटॉलरेंस (Food Intolerance) – कुछ खाद्य पदार्थों को पचाने में परेशानी।
लूज़ मोशन (दस्त) के मुख्य लक्षण – विस्तृत विवरण

लूज़ मोशन के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। यहाँ सभी प्रमुख लक्षणों को विस्तार से समझाया गया है:
1. बार-बार पतले या पानी जैसे दस्त (Frequent Watery Stools)
- मल सामान्य से अधिक पतला और पानीदार होता है।
- दिन में 3 या अधिक बार मल त्याग की आवश्यकता होती है।
- कुछ मामलों में 10-15 बार तक भी दस्त हो सकते हैं (जैसे हैजा में)।
2. पेट में ऐंठन या दर्द (Abdominal Cramps/Pain)
- आंतों में अत्यधिक गतिविधि के कारण तेज मरोड़ या दर्द होता है।
- दर्द नाभि के आसपास या पूरे पेट में फैला हो सकता है।
- मल त्याग के बाद आराम मिलता है।
3. मतली या उल्टी (Nausea/Vomiting)
- वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन में उल्टी होना आम है।
- कुछ मामलों में भूख पूरी तरह खत्म हो जाती है।
4. बुखार (Fever)
- संक्रमण (जैसे फूड पॉइजनिंग, रोटावायरस) के कारण 100-102°F तक बुखार आ सकता है।
- बच्चों में बुखार के साथ चिड़चिड़ापन भी देखा जाता है।
5. डिहाइड्रेशन (Dehydration) – सबसे खतरनाक लक्षण
- शरीर से अत्यधिक पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है।
- डिहाइड्रेशन के संकेत:
- मुँह और गला सूखना
- आँखें धंसी हुई लगना
- पेशाब कम आना या गहरे पीले रंग का होना
- चक्कर आना या कमजोरी महसूस होना
- शिशुओं में रोते समय आँसू न निकलना
6. मल में असामान्यताएँ (Abnormalities in Stool)
- खून आना (Dysentery): शिगेला या अमीबियासिस में मल के साथ रक्त या बलगम आ सकता है।
- दुर्गंध या फेन जैसा मल: बैक्टीरियल इन्फेक्शन में मल से तेज बदबू आती है।
7. अन्य लक्षण (Other Symptoms)
- सिरदर्द
- बदन दर्द
- वजन कम होना (क्रोनिक डायरिया में)
कब डॉक्टर से संपर्क करें? (Warning Signs)
- दस्त 48 घंटे से अधिक समय तक रुकने का नाम न लें।
- उल्टी या बुखार बहुत तेज हो।
- मल में खून या काला रंग दिखे।
- डिहाइड्रेशन के लक्षण (जैसे बेहोशी, पेशाब बंद होना)।
- गर्भवती महिलाएँ, बच्चे या बुजुर्ग प्रभावित हों।
निष्कर्ष
लूज़ मोशन के अधिकांश मामले 3-4 दिनों में ठीक हो जाते हैं, परंतु डिहाइड्रेशन से बचाव सबसे जरूरी है। ओआरएस (ORS) का घोल, नारियल पानी और हल्का भोजन (जैसे खिचड़ी, केला) लें। यदि लक्षण गंभीर हों, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।

ध्यान दें: बच्चों में दस्त जानलेवा हो सकते हैं, इसलिए शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें।
30 प्राकृतिक घरेलू उपचार लूज़ मोशन (दस्त) के लिए – विस्तृत जानकारी
लूज़ मोशन (दस्त) होने पर कुछ सरल घरेलू उपचारों से राहत मिल सकती है। यहाँ 30 प्रभावी आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे विस्तार से दिए गए हैं:
1. ओआरएस (ORS) घोल
- कैसे काम करता है: शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करता है।
- उपयोग: 1 लीटर साफ पानी में 6 छोटे चम्मच चीनी + ½ छोटा चम्मच नमक मिलाकर पिएँ।
- कितनी बार: हर बार दस्त के बाद 1 गिलास।
2. नारियल पानी
- फायदा: पोटैशियम और इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर, डिहाइड्रेशन रोकता है।
- उपयोग: दिन में 2-3 बार ताजा नारियल पानी पिएँ।
3. दही (प्रोबायोटिक्स)
- क्यों फायदेमंद: अच्छे बैक्टीरिया (प्रोबायोटिक्स) आंतों को ठीक करते हैं।
- कैसे खाएँ: सादा दही या छाछ में जीरा पाउडर मिलाकर लें।
4. केला
- गुण: पेक्टिन फाइबर मल को गाढ़ा करता है, पोटैशियम कमी पूरी करता है।
- उपयोग: पका केला मसलकर दिन में 2-3 बार खाएँ।
5. अदरक की चाय
- लाभ: एंटी-बैक्टीरियल, पेट दर्द और मतली कम करता है।
- बनाने की विधि: 1 छोटा टुकड़ा अदरक उबालकर, शहद मिलाकर पिएँ।
6. जीरा पानी
- प्रयोग: 1 चम्मच भुना जीरा पाउडर गुनगुने पानी में मिलाकर पिएँ।
- फायदा: पाचन शक्ति बढ़ाता है।
7. हल्दी वाला दूध
- गुण: एंटी-इंफ्लेमेटरी, संक्रमण से लड़ता है।
- विधि: 1 गिलास गर्म दूध में ½ चम्मच हल्दी मिलाकर पिएँ।
8. सेब का सिरका (ACV)
- उपयोग: 1 चम्मच ACV + 1 गिलास पानी में मिलाकर दिन में 2 बार पिएँ।
- लाभ: बैक्टीरिया को खत्म करता है।
9. मेथी के बीज
- तरीका: 1 चम्मच मेथी दाना चबाकर खाएँ या पानी के साथ निगल लें।
- फायदा: मल को गाढ़ा करता है।
10. पुदीना चाय
- गुण: पेट की ऐंठन कम करता है।
- बनाने की विधि: पुदीने की पत्तियाँ उबालकर, शहद मिलाकर पिएँ।
11. साबूदाना
- कैसे खाएँ: साबूदाने की खिचड़ी बनाकर दही के साथ खाएँ।
- लाभ: पचाने में आसान, ऊर्जा देता है।
12. चावल का मांड
- उपयोग: चावल उबालकर उसका पानी नमक डालकर पिएँ।
- फायदा: पेट को शांत करता है।
13. लौंग
- तरीका: 2-3 लौंग पीसकर शहद के साथ चाटें।
- गुण: एंटी-बैक्टीरियल।
14. इलायची
- उपयोग: इलायची पाउडर को दही में मिलाकर खाएँ।
- लाभ: पाचन ठीक करता है।
15. कैमोमाइल चाय
- फायदा: पेट दर्द और सूजन कम करती है।
- विधि: गर्म पानी में कैमोमाइल टी बैग डालकर पिएँ।
16. अनार के छिलके
- उपयोग: अनार के छिलके उबालकर पानी पिएँ।
- गुण: दस्त रोकने में मददगार।
17. अजवाइन
- तरीका: 1 चम्मच अजवाइन गुनगुने पानी के साथ लें।
- लाभ: गैस और एसिडिटी दूर करता है।
18. गाजर का सूप
- कैसे बनाएँ: गाजर उबालकर प्यूरी बनाएँ, नमक डालकर खाएँ।
- फायदा: पोषक तत्वों की कमी पूरी करता है।
19. शहद और दालचीनी
- मिश्रण: 1 चम्मच शहद + ½ चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर चाटें।
- लाभ: एंटी-बैक्टीरियल।
20. बेल का शरबत
- उपयोग: बेल का गूदा पानी में घोलकर पिएँ।
- गुण: आयुर्वेद में दस्त के लिए रामबाण।
21. आंवला पाउडर
- तरीका: 1 चम्मच आंवला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें।
- फायदा: पाचन तंत्र मजबूत करता है।
22. तुलसी की पत्तियाँ
- उपयोग: 5-6 तुलसी पत्तियाँ चबाएँ या चाय बनाकर पिएँ।
- लाभ: वायरल इन्फेक्शन से लड़ता है।
23. मूंग दाल की खिचड़ी
- कैसे खाएँ: मूंग दाल + चावल की हल्की खिचड़ी घी के साथ खाएँ।
- गुण: पचाने में आसान, पोषण देता है।
24. सौंफ का पानी
- विधि: 1 चम्मच सौंफ रातभर पानी में भिगोकर सुबह पिएँ।
- फायदा: गैस और ब्लोटिंग कम करता है।
25. कच्चा केला
- उपयोग: कच्चे केले को उबालकर नमक डालकर खाएँ।
- लाभ: मल को बांधता है।
26. ग्रीन टी
- गुण: एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर, पेट साफ करती है।
- कैसे पिएँ: दिन में 1-2 कप बिना दूध की ग्रीन टी लें।
27. छाछ (मट्ठा)
- तरीका: छाछ में भुना जीरा और काला नमक मिलाकर पिएँ।
- फायदा: पेट की गर्मी शांत करता है।
28. अंजीर (Figs)
- उपयोग: 2-3 सूखे अंजीर रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाएँ।
- लाभ: कब्ज और दस्त दोनों में फायदेमंद।
29. गुड़ और अदरक
- मिश्रण: गुड़ + अदरक का पेस्ट चाटें।
- गुण: पाचन ठीक करता है।
30. धनिया पानी
- विधि: धनिया पत्तियाँ उबालकर ठंडा करके पिएँ।
- फायदा: पेट की जलन कम करता है।
सावधानियाँ (Precautions)
- भोजन: तैलीय, मसालेदार और डेयरी उत्पाद (दूध) न खाएँ।
- पानी: उबला हुआ या फिल्टर्ड पानी पिएँ।
- आराम: ज्यादा शारीरिक मेहनत न करें।
यदि 48 घंटे के बाद भी आराम न मिले, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों में लूज़ मोशन को नज़रअंदाज़ न करें!✅ नोट: ये उपाय सामान्य दस्त के लिए हैं, यदि खूनी दस्त, तेज बुखार या डिहाइड्रेशन हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।