पाइल्स का इलाज बिना सर्जरी(Piles treatment without surgery)(What is piles )

बवासीर, जिसे हिंदी में अर्श, संस्कृत में अर्जस, और अंग्रेज़ी में Piles कहा जाता है, एक आम लेकिन बहुत ही तकलीफदेह रोग है। इसमें गुदा (Anus) और मलाशय (Rectum) की नसों में सूजन आ जाती है, जिससे व्यक्ति को मल त्यागते समय दर्द, रक्तस्राव, जलन, और असहजता का अनुभव होता है।

यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब गुदा क्षेत्र की नसों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है और वे फूलकर गांठों या मस्सों का रूप ले लेती हैं। यह बीमारी पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकती है, लेकिन जो लोग लंबे समय तक कब्ज से पीड़ित, गर्भवती, या बैठे-बैठे काम करने वाले होते हैं, उनमें इसका जोखिम अधिक होता है।

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क्या पाइल्स का इलाज बिना सर्जरी (Piles treatment without surgery) के संभव है?

हाँ! शुरुआती स्तर पर पाइल्स का इलाज दवाइयों, जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार से किया जा सकता है। केवल गंभीर मामलों (जैसे खून का अधिक बहना या मस्से बाहर निकल आना) में डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं।

इस लेख में हम पाइल्स के बिना सर्जरी वाले उपचार के बारे में विस्तार से जानेंगे, जिन्हें अपनाकर आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं।

(आगे के भाग में हम पाइल्स के लिए आहार, जीवनशैली में बदलाव, घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में चर्चा करेंगे।)

बवासीर को दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा जाता है:

🩺 1. आंतरिक बवासीर (Internal Piles):

  • यह गुदा मार्ग के अंदर होती है और अधिकतर दर्द रहित होती है।
  • मुख्य लक्षण होता है मल त्यागते समय रक्तस्राव

🩺 2. बाह्य बवासीर (External Piles):

  • यह गुदा के बाहर की त्वचा पर होती है और अधिकतर दर्दनाक होती है।
  • इसमें गांठें बन जाती हैं जो सूज सकती हैं और छूने पर दर्द देती हैं।

बवासीर कोई जानलेवा रोग नहीं है, लेकिन समय पर ध्यान न देने पर यह बेहद कष्टदायक हो सकता है और सर्जरी की नौबत तक आ सकती है (Piles treatment without surgery)।

बवासीर के कारण (Causes of Piles in Detail)

बवासीर के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो अधिकतर जीवनशैली, खान-पान की आदतें, और शारीरिक गतिविधियों की कमी से जुड़े होते हैं:

  • 1. कब्ज (Constipation)
    • लगातार कब्ज रहना बवासीर का सबसे आम कारण है
    • जब मल सख्त हो जाता है, तो उसे निकालने में अत्यधिक दबाव देना पड़ता है, जिससे गुदा की नसें सूज जाती हैं।🔹
  • 2. फाइबर की कमी वाला आहार
    • जो लोग भोजन में फल, सब्ज़ियां, और साबुत अनाज कम लेते हैं, उन्हें कब्ज और बवासीर की समस्या जल्दी होती है।
  • 3. अधिक देर तक शौच पर बैठना
    • लंबे समय तक टॉयलेट में बैठना या मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए शौच करना गुदा क्षेत्र पर दबाव बनाता है।
  • 4. गर्भावस्था (Pregnancy)
    • गर्भवती महिलाओं में गर्भाशय का दबाव और हार्मोनल बदलाव गुदा की नसों पर दबाव डालते हैं।
  • 5. भारी वजन उठाना
    • रोज़ाना अत्यधिक वज़न उठाने से गुदा की नसें फैल जाती हैं और सूज जाती हैं।
  • 6. शारीरिक गतिविधियों की कमी
    • निष्क्रिय जीवनशैली पाचन को धीमा कर देती है, जिससे कब्ज और बवासीर का खतरा बढ़ता है।
  • 7. आनुवंशिकता (Genetics)
    • अगर परिवार में किसी को बवासीर की समस्या रही है, तो यह वंशानुगत रूप से भी हो सकती है।
  • 8. मोटापा (Obesity)
    • ज़्यादा वजन होने से पेट और गुदा क्षेत्र पर दबाव बढ़ता है।
  • 9. मसालेदार और तली-भुनी चीज़ों का सेवन
    • अत्यधिक तीखा और मसालेदार भोजन गुदा में जलन और सूजन पैदा करता है।
  • 10. तनाव और मानसिक दबाव
    • मानसिक तनाव भी पाचन क्रिया को प्रभावित करता है, जिससे मल त्याग कठिन हो जाता है।
Piles treatment without surgery
Piles treatment without surgery

बवासीर के लक्षण ( Piles Symptoms )

बवासीर के लक्षण व्यक्ति की स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर इसके निम्नलिखित संकेत दिखाई देते हैं:

  • 1. मल में खून आना (Bleeding while passing stool)
    • आंतरिक बवासीर में मल त्यागते समय ताज़ा, चमकदार लाल रंग का खून आ सकता है।
    • दर्द नहीं होता, लेकिन खून देखकर घबराहट हो सकती है।
  • 2. गुदा में गांठ या मस्से (Lump near anus)
    • गुदा के बाहर उभरी हुई, मुलायम या सख्त गांठ महसूस हो सकती है।
    • ये मस्से अक्सर बैठने या चलने में दर्द देते हैं।
  • 3. गुदा क्षेत्र में दर्द और जलन (Pain and Burning Sensation)
    • खासकर बाह्य बवासीर में बैठने, चलने या मल त्यागने पर तेज दर्द होता है।
  • 4. खुजली और असहजता (Itching and Discomfort)
    • बवासीर में गुदा के आसपास खुजली और जलन की शिकायत आम है।
  • 5. मल त्याग के बाद भी अधूरापन महसूस होना
    • ऐसा महसूस होता है कि मल पूरी तरह से निकला नहीं है।
  • 6. गुदा से म्यूकस (चिकना पदार्थ) का रिसाव
    • कभी-कभी सफेद या पीला पदार्थ निकल सकता है, जो असहजता बढ़ाता है।
  • 7. शौच के दौरान अत्यधिक तनाव देना पड़ना
    • मल कठोर होता है और उसे निकालने में बहुत ज़ोर लगाना पड़ता है।

बवासीर (Piles) को उसके गंभीरता के स्तर (Severity) के अनुसार चार ग्रेड (Grades) में बाँटा जाता है। ये ग्रेड डॉक्टरों द्वारा रोग की स्थिति को समझने और उचित इलाज तय करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। नीचे हम हर ग्रेड को विस्तार से समझते हैं:

बवासीर के चार ग्रेड (Grades of Piles in Detail)

Piles treatment without surgery
Piles images

🟢 ग्रेड 1 (Grade I Piles) – प्रारंभिक अवस्था

✅ विशेषताएं:

  • यह सबसे प्रारंभिक और हल्की अवस्था होती है।
  • गुदा के अंदर नसों में सूजन होती है लेकिन वे बाहर नहीं निकलतीं।
  • आमतौर पर मल त्यागते समय थोड़ा बहुत रक्त आना इसका प्रमुख लक्षण होता है।
  • दर्द बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता।

✅ इलाज:

  • जीवनशैली में बदलाव (फाइबर युक्त आहार, पानी ज़्यादा पीना)
  • घरेलू उपाय और आयुर्वेदिक दवाएँ
  • एलोपैथिक दवाओं से भी नियंत्रण संभव है

🟡 ग्रेड 2 (Grade II Piles) – मध्यम अवस्था

✅ विशेषताएं:

  • बवासीर की गांठ मल त्यागते समय गुदा से बाहर आ जाती है, लेकिन खुद-ब-खुद वापस अंदर चली जाती है।
  • खून आना, हल्का दर्द और जलन सामान्य लक्षण हैं।

✅ इलाज:

  • भोजन और जीवनशैली में सुधार
  • कुछ मामलों में आयुर्वेदिक लेप या सपोसिटरी उपयोग किए जाते हैं
  • डॉक्टर की सलाह पर मिनिमल इनवेसिव ट्रीटमेंट जैसे बांधने की प्रक्रिया (Rubber Band Ligation)

🟠 ग्रेड 3 (Grade III Piles) – गंभीर अवस्था

✅ विशेषताएं:

  • गांठ शौच के समय गुदा से बाहर आ जाती है और हाथ से दबाकर अंदर करनी पड़ती है
  • अधिकतर मामलों में दर्द, सूजन, जलन और रक्तस्राव होता है।
  • बैठने और चलने में परेशानी महसूस होती है।

✅ इलाज:

  • घर के उपायों से अब राहत नहीं मिलती।
  • डॉक्टर द्वारा की जाने वाली प्रक्रिया जैसे sclerotherapy, infrared coagulation, या बांधने की प्रक्रिया ज़रूरी हो सकती है।
  • कुछ मामलों में सर्जरी की सिफारिश की जाती है।

🔴 ग्रेड 4 (Grade IV Piles) – अत्यंत गंभीर अवस्था

✅ विशेषताएं:

  • गांठें हमेशा गुदा के बाहर रहती हैं, और हाथ से भी अंदर नहीं जातीं
  • अत्यधिक दर्द, सूजन, रक्तस्राव, और कभी-कभी संक्रमण (infection) भी हो सकता है।
  • चलना, बैठना और मल त्यागना बेहद मुश्किल होता है।

✅ इलाज:

  • इस अवस्था में अक्सर सर्जरी आवश्यक होती है (हालांकि कुछ लोग लेजर या आधुनिक तकनीकों से सर्जरी-रहित इलाज भी करवा लेते हैं)।
  • संक्रमण से बचाव के लिए एंटीबायोटिक भी दिए जाते हैं।

📌 ग्रेड के अनुसार इलाज की रूपरेखा (Summary Chart):

ग्रेडस्थितिलक्षणइलाज
Grade 1अंदरूनी सूजनखून, हल्की जलनघरेलू उपाय, आहार नियंत्रण
Grade 2बाहर निकलती, फिर अंदर चली जातीखून, हल्का दर्दआयुर्वेदिक उपचार, बैंडिंग
Grade 3बाहर निकलती, हाथ से अंदर करनी पड़तीदर्द, सूजन, जलनमिनिमल सर्जरी, चिकित्सा
Grade 4बाहर रहती, अंदर नहीं जातीअसहनीय दर्द, खूनलेजर या पारंपरिक सर्जरी

🌿 50 घरेलू उपाय बवासीर के लिए (50 Home Remedies for Piles in Hindi)

यहाँ बताए गए उपाय आयुर्वेदिक, देसी और प्राकृतिक हैं। सभी उपायों को सावधानी से अपनाना चाहिए।

Piles treatment without surgery
Piles treatment without surgery
  • 1. त्रिफला चूर्ण
    • रात को 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से लें।
    • यह कब्ज दूर कर मल त्याग को आसान बनाता है।
  • 2. अनार का छिलका
    • छिलके को उबालकर उसका पानी पिएं।
    • यह रक्तस्राव को रोकने में मदद करता है।
  • 3. हरड़, बहेरा, आंवला (त्रिकुट)
    • इनका चूर्ण पाचन सुधारता है और कब्ज से राहत दिलाता है।
  • 4. एलोवेरा जेल
    • गुदा पर लगाएं।
    • सूजन, खुजली और दर्द में आराम देता है।
  • 5. नारियल तेल
    • गुदा पर हल्के हाथ से मालिश करें।
    • एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से राहत मिलती है।
  • 6. बर्फ की सिकाई
    • सूजन और दर्द कम करने के लिए बर्फ को कपड़े में लपेटकर 10 मिनट तक लगाएं।
  • 7. अजवाइन और काला नमक
    • भोजन के बाद लें, पाचन ठीक रखता है।
  • 8. अनजीर (अंजीर)
    • रात को 2 अंजीर भिगोकर सुबह खाली पेट खाएं।
    • पुरानी कब्ज में लाभकारी।
  • 9. काली मुनक्का
    • रात को भिगोकर खाएं।
    • मल नरम करने में मदद करती है।
  • 10. गुनगुना पानी (Sitz bath)
    • एक टब में बैठकर दिन में 2 बार करें।
    • दर्द, सूजन और जलन में राहत मिलती है।
  • 11. गेहूं का ज्वारा रस
    • प्रतिदिन सुबह पिएं।
    • रक्त को शुद्ध करता है।
  • 12. कच्चा केला
    • उबालकर हल्दी और नमक के साथ खाएं।
    • यह आंतों की क्रिया को नियमित करता है।
  • 13. मूली का रस
    • 1/2 कप सुबह खाली पेट पिएं।
    • यह सूजन में लाभ देता है।
  • 14. ककड़ी का सेवन
    • ठंडी प्रकृति के कारण जलन और गर्मी से राहत।
  • 15. नीम की पत्तियां
    • पीसकर गुदा पर लगाएं।
    • एंटीसेप्टिक गुण संक्रमण से बचाते हैं।
  • 16. अरंडी का तेल (Castor Oil)
    • 1 चम्मच रात को दूध में मिलाकर लें।
    • कब्ज दूर करता है।
  • 17. पीपल की छाल
    • चूर्ण बनाकर सुबह शहद के साथ सेवन करें।
  • 18. आलू का रस
    • बाहरी बवासीर पर लगाने से जलन शांत होती है।
  • 19. बेल का शरबत
    • आंतों को ठंडक और आराम देता है।
  • 20. तुलसी का रस
    • पीने या लगाने से लाभ होता है।
  • 21. आंवला रस
    • प्रतिदिन सेवन करें।
    • विटामिन C से रक्तस्राव रुकता है।
  • 22. सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar)
    • कॉटन से बाहरी बवासीर पर लगाएं।
    • खुजली कम करता है।
  • 23. हल्दी और सरसों का तेल
    • दोनों को मिलाकर लगाने से घाव जल्दी भरते हैं।
  • 24. कढ़ी पत्ता
    • सुबह चबाएं या रस लें।
  • 25. घृतकुमारी (एलोवेरा) रस
    • 1-2 चम्मच रोज पीने से लाभ।
  • 26. धनिया का पानी
    • रात को भिगोकर सुबह पिएं।
    • यह खून बहना रोकता है।
  • 27. दूध और अंजीर
    • रात को भिगोई हुई अंजीर को दूध के साथ सुबह लें।
  • 28. गिलोय का रस
    • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और सूजन में राहत देता है।
  • 29. पुदीना का रस
    • ठंडक देने के लिए गुदा क्षेत्र में लगाएं।
  • 30. लहसुन
    • एंटीबैक्टीरियल गुण से संक्रमण रोके।
  • 31. तुलसी बीज
    • भीगे हुए बीज पाचन में सहायक।
  • 32. छाछ और हींग
    • पेट की गैस और पाचन में फायदेमंद।
  • 33. घी और गर्म दूध
    • रात को 1 चम्मच घी गर्म दूध में लें।
  • 34. अश्वगंधा चूर्ण
    • तनाव कम करता है, जिससे बवासीर में राहत मिलती है।
  • 35. नींबू और शहद
    • पाचन क्रिया को ठीक रखता है।
  • 36. लौकी का रस
    • ठंडक देने वाला, खून की गर्मी शांत करता है।
  • 37. भीगे हुए किशमिश
    • सुबह खाली पेट लें।
  • 38. गाजर और चुकंदर का रस
    • खून साफ करता है, ऊर्जा देता है।
  • 39. छिलका रहित मूंग की दाल
    • सुपाच्य और हल्का भोजन।
  • 40. जैतून का तेल (Olive Oil)
    • सूजन कम करता है।
  • 41. करेला रस
    • रक्तशुद्धि में सहायक।
  • 42. कांचनार गुग्गुल
    • आयुर्वेदिक औषधि जो गांठ और सूजन में उपयोगी।
  • 43. नीम का तेल
    • बाहरी बवासीर पर लगाएं।
  • 44. धनिया और मिश्री का मिश्रण
    • खून रोकता है।
  • 45. निंबोली का पेस्ट
    • संक्रमण से बचाता है।
  • 46. साबुत धान्य (Whole Grains)
    • फाइबर से भरपूर, कब्ज में फायदेमंद।
  • 47. मेथी के बीज
    • भिगोकर या पाउडर रूप में लें।
  • 48. तिल और मिश्री
    • बराबर मात्रा में पीसकर सेवन करें।
  • 49. छाछ में पुदीना और जीरा
    • ठंडक और पाचन सुधार।
  • 50. पालक और टमाटर का सूप
    • विटामिन्स और फाइबर से भरपूर।
Piles treatment without surgery
Piles treatment without surgery

🧘‍♂️ योग और व्यायाम

  • मलासन, पवनमुक्तासन, बालासन और वज्रासन करें।
  • ये आसन पाचन और गुदा क्षेत्र में रक्तसंचार सुधारते हैं।

बवासीर से बचाव के उपाय (Prevention Tips)

  • समय पर शौच जाएं और देर तक न बैठें।
  • नियमित व्यायाम करें।
  • लंबे समय तक एक ही पोजीशन में न रहें।
  • मसालेदार और तले भोजन से परहेज करें।
  • अधिक से अधिक पानी और फाइबर लें।
  • वजन को नियंत्रित रखें।

बिना सर्जरी बवासीर का उपचार (Non-Surgical Treatment of Piles)(Piles treatment)

1. आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment)

यहाँ प्रस्तुत हैं बवासीर (Piles/Arsha) के लिए उपयोगी 15 आयुर्वेदिक औषधियाँ और उनकी विस्तृत जानकारी, जो बिना सर्जरी बवासीर के इलाज में सहायक होती हैं। ये औषधियाँ सूजन कम करने, रक्तस्राव रोकने, गांठें सुखाने, और पाचन को सुधारने में सहायक होती हैं।

  • 🌿 1. त्रिफला चूर्ण (Triphala Churna)
    • सामग्री: हरड़, बहेड़ा, आंवला
    • गुण: कब्ज को दूर करता है, पाचन सुधारता है।
    • सेवन विधि: 1 चम्मच चूर्ण को रात में गर्म पानी या दूध के साथ लें।
  • 🌿 2. अर्शोघ्न वटी (Arshoghna Vati)
    • गुण: यह विशेष रूप से बवासीर के लिए बनाई गई आयुर्वेदिक वटी है।
    • लाभ: मस्सों को सुखाती है, रक्तस्राव और सूजन को कम करती है।
    • सेवन विधि: दिन में 2 बार, भोजन के बाद गुनगुने पानी के साथ।
  • 🌿 3. कासीसादी तेल (Kasisadi Taila)
    • उपयोग: बाहरी मस्सों पर लगाने के लिए।
    • लाभ: गांठों को सुखाने और सूजन कम करने में कारगर।
    • प्रयोग: मल त्याग के बाद और रात में प्रभावित भाग पर लगाएँ।
  • 🌿 4. अभयारिष्ट (Abhayarishta)
    • गुण: कब्ज निवारक, जठराग्नि प्रदीपक।
    • लाभ: पाचन को सुधारता है, मल को नरम करता है।
    • सेवन विधि: 15–20 ml पानी के साथ, दिन में 2 बार भोजन के बाद।
  • 🌿 5. नीम की पत्तियाँ (Neem Leaves)
    • गुण: एंटीसेप्टिक, सूजनरोधी।
    • लाभ: संक्रमण रोकता है, खुजली और जलन में राहत देता है।
    • प्रयोग: पत्तियों का पेस्ट बनाकर मस्सों पर लगाएँ।
  • 🌿 6. सुरण वटी (Suran Vati)
    • सामग्री: जिमीकंद (सुरण), त्रिकटु, आदि।
    • लाभ: आंतरिक व बाहरी बवासीर में लाभकारी।
    • सेवन विधि: 1–2 गोली दिन में 2 बार, भोजन के बाद।
  • 🌿 7. पंचसकार चूर्ण (Panchsakar Churna)
    • गुण: उत्कृष्ट विरेचक (laxative)।
    • लाभ: मल को आसानी से निकालने में मदद करता है।
    • सेवन विधि: 1 चम्मच रात को गुनगुने पानी के साथ।
  • 🌿 8. नागकेशर चूर्ण (Nagkesar Powder)
    • गुण: रक्तस्राव रोकने में प्रभावी।
    • लाभ: खून आना बंद करता है, मस्सों की जलन शांत करता है।
    • सेवन विधि: शहद या गाय के घी के साथ 1/2 चम्मच, दिन में 2 बार।
  • 🌿 9. अर्जुन छाल चूर्ण (Arjun Bark Powder)
    • गुण: रक्तशोधक और रक्तस्राव रोकने वाला।
    • सेवन विधि: 1/2 चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ लें।
  • 🌿 10. हरीतकी (Haritaki)
    • गुण: पाचन सुधारने वाली, कब्ज दूर करने वाली।
    • सेवन विधि: त्रिफला की तरह उपयोग करें, या गर्म जल के साथ पाउडर लें।
  • 🌿 11. पाइलिन टैबलेट्स (Pylin by Charak Pharma)
    • लाभ: यह मार्केट में उपलब्ध एक असरदार आयुर्वेदिक मेडिसिन है।
    • गुण: दर्द, सूजन और रक्तस्राव को नियंत्रित करता है।
  • 🌿 12. गंधक रसायन (Gandhak Rasayan)
    • गुण: एंटीबैक्टीरियल और त्वचा रोग निवारक।
    • लाभ: संक्रमण से बचाव करता है, सूजन और खुजली में राहत।
    • सेवन विधि: 1 गोली दिन में 2 बार, दूध के साथ।
  • 🌿 13. नीम, हरिद्रा, मंजिष्ठा क्वाथ
    • सामूहिक लाभ: रक्त शुद्धि और सूजन में असरदार।
    • प्रयोग: इन तीनों का काढ़ा बनाकर रोज़ सुबह-शाम पी सकते हैं।
  • 🌿 14. कुटज घन वटी (Kutaj Ghanvati)
    • गुण: दस्त रोकने वाली, आंतों को मजबूत करने वाली।
    • लाभ: अगर बवासीर के साथ दस्त की समस्या हो तो यह अत्यंत लाभकारी है।
  • 🌿 15. यष्टिमधु (Licorice / Mulethi)
    • गुण: सूजन और जलन को शांत करता है।
    • सेवन विधि: पाउडर को दूध के साथ लें, या लेप बनाकर बाहरी मस्सों पर लगाएँ।
⚠️ महत्वपूर्ण सुझाव:
  • आयुर्वेदिक औषधियाँ प्राकृतिक होती हैं लेकिन फिर भी चिकित्सक की सलाह से लें।
  • यदि कोई औषधि पचने में दिक्कत दे या अन्य दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर से परामर्श आवश्यक है।
  • साथ में आहार सुधार, नियमित दिनचर्या, और तनाव मुक्त जीवनशैली भी अपनाएं।
  • होम्योपैथिक उपचार (Homeopathic Remedies)
    • Aesculus hippocastanum: यह बाहरी बवासीर में फायदेमंद होता है जिसमें दर्द और भारीपन होता है।
    • Hamamelis: रक्तस्राव वाली बवासीर के लिए।
    • Nux vomica: कब्ज से संबंधित बवासीर के लिए।
    • नोट: होम्योपैथिक दवाएं किसी योग्य होम्योपैथ डॉक्टर की सलाह से ही लें।
  • यूनानी चिकित्सा
    • Habbe Muqil और Arshak Pills:
      • यूनानी पद्धति में इनका प्रयोग आंतरिक व बाहरी बवासीर दोनों में किया जाता है।
    • Roghan Suranjan:
      • यह एक तेल है जिसका बाहरी प्रयोग गुदा पर किया जाता है जिससे सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
  • आधुनिक चिकित्सा में दवाएं (Allopathic Medicines)
    • Lidocaine gel (दर्द निवारक)
    • Daflon (फ्लैवोनॉयड आधारित टैबलेट)

ये दवाएं लक्षणों में राहत देती हैं, लेकिन बवासीर का मूल कारण दूर नहीं करतीं।बवासीर मे अगर आप यह घरेलू उपाय आयुर्वेदिक उपचार अगर करे तो बवासीर को आप बिनाऑपरेशन के ठीक कर सकते है । बवासीर के बारे मे और पढ़ने के लिए –https://enlightayurveda.com/piles-cure-in-3-days/ यंहा क्लिक करे ।

📌 निष्कर्ष (Conclusion)

बवासीर एक गंभीर लेकिन काबू में लाने योग्य समस्या है। यदि शुरुआत में ही उचित खान-पान, घरेलू उपाय और आयुर्वेदिक उपचार अपनाए जाएं, तो बिना सर्जरी के पूरी तरह से राहत पाई जा सकती है।

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