पेट के अल्सर(Ulcerative Colitis in hindi)

अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis in hindi) एक पुरानी आंत्र रोग (chronic bowel disease) है, जो बड़ी आंत (colon) और मलाशय (rectum) की अंदरूनी परत में सूजन और अल्सर उत्पन्न करने का कारण बनता है। यह बीमारी आमतौर पर बार-बार दस्त, पेट में ऐंठन, और मल में खून आने जैसी समस्याएँ उत्पन्न करती है। यह एक प्रकार की “इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज” (IBD) है, जो जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है।

अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) एक पुरानी सूजन संबंधी आंतों की बीमारी है जो बड़ी आंत (कोलन) और मलाशय (रेक्टम) को प्रभावित करती है। यह बीमारी आंतों की अंदरूनी परत में सूजन और छाले (अल्सर) पैदा करती है, जिसके कारण पेट दर्द, दस्त और मल में खून आने जैसी समस्याएं होती हैं। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से आंतों के स्वस्थ ऊतकों पर हमला कर देती है।

अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis ) एक पुरानी सूजन संबंधी आंतों की बीमारी (Inflammatory Bowel Disease – IBD) है, जो बड़ी आंत (कोलन) और मलाशय (रेक्टम) को प्रभावित करती है। इस बीमारी में आंतों की अंदरूनी परत में सूजन, जख्म (अल्सर) और रक्तस्राव होने लगता है, जिसके कारण पेट में तेज दर्द, बार-बार दस्त (डायरिया) और मल के साथ खून आना जैसी गंभीर समस्याएं होती हैं।

Ulcerative Colitis in hindi
Ulcerative Colitis in hindi

यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) गलती से आंतों के स्वस्थ ऊतकों पर हमला कर देती है। इसके सटीक कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन आनुवंशिकता, गलत खानपान, तनाव और पर्यावरणीय कारक इसके प्रमुख ट्रिगर माने जाते हैं।

Table of Contents

अल्सरेटिव कोलाइटिस: वैश्विक और भारतीय आंकड़े

1. वैश्विक स्थिति

  • दुनिया भर में लगभग 50 लाख से अधिक लोग अल्सरेटिव कोलाइटिस से पीड़ित हैं। (स्रोत: World Gastroenterology Organisation)
  • यह बीमारी उत्तरी अमेरिका और यूरोप में सबसे ज्यादा पाई जाती है, लेकिन एशियाई देशों में भी तेजी से बढ़ रही है।
  • पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान रूप से प्रभावित करती है, ज्यादातर 15-35 वर्ष की उम्र में शुरू होती है।

2. भारत में अल्सरेटिव कोलाइटिस की स्थिति

  • भारत में हर 1 लाख लोगों में लगभग 20-30 मामले अल्सरेटिव कोलाइटिस के पाए जाते हैं। (स्रोत: Indian Journal of Gastroenterology)
  • पिछले एक दशक में शहरी आबादी में इस बीमारी के मामले 3 गुना बढ़े हैं, जिसका मुख्य कारण प्रदूषण, फास्ट फूड और तनाव है।
  • दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे महानगरों में यह समस्या सबसे ज्यादा देखी जा रही है।भारत में इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर युवाओं में। गलत खान-पान, तनाव और अनियमित जीवनशैली इसके प्रमुख कारणों में से हैं।
  • आयुर्वेद में इस समस्या को “पित्तज ग्रहणी” या “रक्तातिसार” के नाम से जाना जाता है और इसके उपचार के लिए कई प्राकृतिक उपाय सुझाए गए हैं। इस लेख में हम अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis in hindi) के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक इलाज के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

अल्सरेटिव कोलाइटिस के कारण((Ulcerative Colitis in hindi)

अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis in hindi) होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. प्रतिरक्षा तंत्र की गड़बड़ी (Immune System Dysfunction) – जब शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र गलती से स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करता है, तब आंतों की परत में सूजन हो जाती है, जिससे अल्सर बन जाते हैं।
  2. अनुवांशिकता (Genetics) – अगर परिवार में किसी को यह बीमारी है, तो अगली पीढ़ी को होने की संभावना बढ़ जाती है।
  3. अस्वस्थ आहार (Unhealthy Diet) – अधिक मिर्च-मसालेदार, तला-भुना और जंक फूड खाने से आंतों पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
  4. तनाव और अवसाद (Stress and Depression) – अत्यधिक मानसिक तनाव और चिंता भी इस रोग को बढ़ावा दे सकते हैं।
  5. संक्रमण (Infections) – कुछ बैक्टीरिया और वायरस भी आंतों में सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे यह समस्या उत्पन्न होती है।अल्सरेटिव कोलाइटिस का सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन कुछ प्रमुख कारक इस बीमारी को जन्म दे सकते हैं:
  6. ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया-शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली आंतों के स्वस्थ ऊतकों को हानिकारक समझकर उन पर हमला कर देती है, जिससे सूजन और अल्सर बनते हैं।
  7. असंतुलित आहार-अधिक मसालेदार, तला-भुना और प्रोसेस्ड खाना आंतों को नुकसान पहुंचा सकता है।
  8. फाइबर की कमी वाला आहार भी इस बीमारी को बढ़ावा देता है।
  9. अनियमित जीवनशैली-नींद की कमी, धूम्रपान और शराब का सेवन भी अल्सरेटिव कोलाइटिस को ट्रिगर कर सकता है।
  10. पर्यावरणीय कारक-प्रदूषण, कीटनाशकों से युक्त भोजन और संक्रमण भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

अल्सरेटिव कोलाइटिस(Ulcerative Colitis in hindi) के लक्षण (ulcerative colitis symptoms)-

यह बीमारी धीरे-धीरे विकसित होती है और समय के साथ लक्षण गंभीर हो सकते हैं। इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:

Ulcerative Colitis in hindi
Ulcerative Colitis in hindi
  1. लगातार दस्त (Frequent Diarrhea) – दिन में कई बार शौच जाना और दस्त का पतला होना।
  2. मल में खून आना (Blood in Stool) – मल में रक्त के धब्बे दिखाई देना।
  3. पेट में ऐंठन और दर्द (Abdominal Cramps & Pain) – आंतों में सूजन के कारण पेट में ऐंठन और दर्द रहना।
  4. भूख न लगना (Loss of Appetite) – खाना खाने की इच्छा न होना और वजन घटना।
  5. थकान और कमजोरी (Fatigue & Weakness) – शरीर में ऊर्जा की कमी और सुस्ती महसूस करना।
  6. बुखार (Fever) – आंतों की सूजन के कारण हल्का बुखार बना रह सकता है।
  7. मलाशय में दर्द (Rectal Pain) – मल त्याग के दौरान या बाद में जलन और दर्द का अनुभव होना।
  8. बुखार और जोड़ों में दर्द
  9. कुछ रोगियों को बुखार, जोड़ों में सूजन और त्वचा संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
  10. यदि इन लक्षणों को नजरअंदाज किया जाए, तो यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है और आंतों में छिद्र (परफोरेशन) या कैंसर जैसी जटिलताएं पैदा कर सकती है।

उल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis in hindi) के घरेलू उपचारअल्सरेटिव कोलाइटिस के लिए 30 घरेलू उपाय

अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) एक पुरानी सूजन संबंधी बीमारी है जिसमें बड़ी आंत और मलाशय में सूजन व अल्सर हो जाते हैं। इसके कारण पेट दर्द, खूनी दस्त और कमजोरी जैसी समस्याएं होती हैं। एलोपैथिक दवाओं के साथ-साथ कुछ घरेलू उपाय भी इस बीमारी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यहां 30 प्रभावी घरेलू उपचार दिए गए हैं, जिन्हें अपनाकर आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं।

1. एलोवेरा जूस

एलोवेरा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो आंतों की सूजन कम करते हैं।
उपयोग: रोज सुबह खाली पेट 2 चम्मच शुद्ध एलोवेरा जूस पिएं।

2. नारियल पानी

नारियल पानी इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर होता है और डिहाइड्रेशन से बचाता है।
उपयोग: दिन में 1-2 बार नारियल पानी पिएं।

3. हल्दी वाला दूध

हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो सूजन कम करता है।
उपयोग: रात को सोने से पहले 1 गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं।

4. अदरक और शहद

अदरक पाचन को दुरुस्त करता है और शहद सूजन कम करता है।
उपयोग: 1 चम्मच अदरक के रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार लें।

5. केला और दही

केले में पेक्टिन होता है, जो आंतों को सुरक्षा देता है, और दही में प्रोबायोटिक्स होते हैं।
उपयोग: एक पका केला और एक कटोरी दही मिलाकर खाएं।

6. इसबगोल की भूसी

इसबगोल फाइबर का अच्छा स्रोत है और मल त्याग को आसान बनाता है।
उपयोग: 1 चम्मच इसबगोल भूसी को गुनगुने पानी में घोलकर रात को सोने से पहले पिएं।

7. अंजीर का सेवन

अंजीर पाचन को सुधारता है और कब्ज से राहत दिलाता है।
उपयोग: 2-3 सूखे अंजीर रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाएं।

8. सौंफ का पानी

सौंफ पेट की गैस और सूजन को कम करती है।
उपयोग: 1 चम्मच सौंफ को रातभर पानी में भिगोकर सुबह छानकर पिएं।

9. जीरा पानी

जीरा पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करता है।
उपयोग: 1 चम्मच जीरा भूनकर पानी में उबालें, ठंडा करके पिएं।

10. अलसी के बीज

अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो सूजन कम करता है।
उपयोग: 1 चम्मच अलसी के बीज पानी में भिगोकर सुबह खाएं।

11. आंवला जूस

आंवला विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है।
उपयोग: 2 चम्मच आंवला जूस सुबह पिएं।

12. गिलोय का रस

गिलोय इम्यूनिटी बढ़ाता है और सूजन कम करता है।
उपयोग: 1 चम्मच गिलोय रस गुनगुने पानी के साथ लें।

13. तुलसी की चाय

तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।
उपयोग: 5-6 तुलसी के पत्ते उबालकर चाय बनाकर पिएं।

14. मेथी के बीज

मेथी आंतों की सूजन कम करती है।
उपयोग: 1 चम्मच मेथी दाना रातभर भिगोकर सुबह पानी पिएं।

15. सेब का सिरका

सेब का सिरका पाचन को दुरुस्त करता है।
उपयोग: 1 चम्मच सेब का सिरका गुनगुने पानी में मिलाकर पिएं।

16. पपीता

पपीते में पपेन एंजाइम होता है, जो पाचन में मदद करता है।
उपयोग: रोज सुबह पका पपीता खाएं।

17. छाछ (मट्ठा)

छाछ में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो आंतों के लिए फायदेमंद हैं।
उपयोग: दोपहर के भोजन के बाद 1 गिलास छाछ पिएं।

18. लौंग का पानी

लौंग में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
उपयोग: 2-3 लौंग उबालकर पानी पिएं।

19. अश्वगंधा चूर्ण

अश्वगंधा तनाव कम करता है और पाचन सुधारता है।
उपयोग: 1 चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गर्म दूध के साथ लें।

20. त्रिफला चूर्ण

त्रिफला पाचन तंत्र को साफ करता है।
उपयोग: रात को सोने से पहले 1 चम्मच त्रिफला गर्म पानी के साथ लें।

21. गाजर का जूस

गाजर में बीटा-कैरोटीन होता है, जो आंतों को ठीक करता है।
उपयोग: रोज सुबह 1 गिलास ताजा गाजर का जूस पिएं।

22. मुलेठी की चाय

मुलेठी आंतों की सूजन कम करती है।
उपयोग: मुलेठी की जड़ उबालकर चाय बनाकर पिएं।

23. नींबू पानी

नींबू विटामिन सी से भरपूर होता है और पाचन को दुरुस्त करता है।
उपयोग: 1 गिलास गुनगुने पानी में नींबू निचोड़कर पिएं।

24. कच्चा नारियल

कच्चा नारियल फाइबर से भरपूर होता है।
उपयोग: रोज सुबह कच्चा नारियल खाएं।

25. सोंठ (सूखी अदरक) का चूर्ण

सोंठ पेट की गैस और दर्द से राहत दिलाती है।
उपयोग: 1 चुटकी सोंठ चूर्ण शहद के साथ लें।

26. जैतून का तेल

जैतून का तेल सूजन कम करता है।
उपयोग: सलाद या भोजन में 1 चम्मच जैतून का तेल मिलाकर खाएं।

27. चावल का मांड

चावल का मांड दस्त में आराम देता है।
उपयोग: उबले चावल का पानी नमक डालकर पिएं।

28. शतावरी चूर्ण

शतावरी पाचन शक्ति बढ़ाती है।
उपयोग: 1 चम्मच शतावरी चूर्ण दूध के साथ लें।

29. कैमोमाइल टी

कैमोमाइल चाय पेट की ऐंठन कम करती है।
उपयोग: दिन में 1-2 बार कैमोमाइल टी पिएं।

30. लहसुन

लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।
उपयोग: 1-2 कच्ची लहसुन की कलियां खाली पेट चबाएं।

अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis in hindi) को नियंत्रित करने के लिए इन घरेलू उपायों को अपनाएं, लेकिन गंभीर स्थिति में डॉक्टर से सलाह जरूर लें। स्वस्थ आहार, योग और तनाव प्रबंधन भी इस बीमारी में फायदेमंद हैं।

Ulcerative Colitis in hindi
Ulcerative Colitis in hindi

अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis in hindi) का आयुर्वेदिक उपचार(ulcerative colitis treatment):

आयुर्वेद में अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis in hindi) को “रक्तातिसार” या “पित्तज ग्रहणी” कहा जाता है। यह मुख्य रूप से पित्त दोष के असंतुलन और रक्त दूषित होने के कारण होता है। जब पाचन अग्नि (मंदाग्नि) कमजोर होती है, तो आंतों में विषाक्त पदार्थ (आम दोष) जमा हो जाते हैं, जिससे सूजन, अल्सर और रक्तस्राव होता है।

आयुर्वेद में इसका उपचार दोष संतुलन, आम दोष निवारण, पाचन शक्ति बढ़ाने और आंतों की सूजन कम करने पर केंद्रित होता है।

आयुर्वेदिक उपचार के प्रमुख सिद्धांत(ulcerative colitis medication)-

1. दोष संतुलन (विशेषकर पित्त शमन)

  • पित्त दोष को शांत करने वाले आहार:
    • मीठे, ठंडे और ताजे खाद्य पदार्थ (जैसे घी, मिश्री, खीरा, नारियल पानी)।
    • कड़वे और कसैले स्वाद वाली जड़ी-बूटियाँ (जैसे नीम, गिलोय, कुटज)।

2. आम दोष (विषाक्त पदार्थ) का निवारण

  • दीपन-पाचन चिकित्सा: पाचन अग्नि को मजबूत करने के लिए हिंग, अजवाइन, सौंफ का उपयोग।
  • विरेचन (पंचकर्म): शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने के लिए हर्बल डिटॉक्स।

3. रक्त शोधन (रक्त शुद्धिकरण)

  • रक्त शुद्ध करने वाली जड़ी-बूटियाँ:
    • मंजिष्ठा, नीम, गुडूची, हरिद्रा (हल्दी)।

4. आंतों की सूजन और अल्सर का उपचार

  • घाव भरने वाली औषधियाँ:
    • यष्टिमधु (मुलेठी), शतावरी, अलसी।

अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis in hindi) के लिए प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियाँ

1. कुटज (हल्दीचीनी / Holarrhena antidysenterica)

कुटज इस बीमारी मे सबसे उपयुक्त औषधि है

  • गुण: कसैला, ठंडा, दस्त रोकने वाला।
  • लाभ: आंतों की सूजन, खूनी दस्त और संक्रमण में प्रभावी।
  • उपयोग:
    • कुटज की छाल का काढ़ा (1 चम्मच छाल + 1 कप पानी, उबालकर छानकर पिएं)।
    • कुटजारिष्ट (आयुर्वेदिक टॉनिक) – 2 चम्मच पानी के साथ लें।
    • कुटज घन वटी
    • कुटजपर्पटी वटी

2. बिल्व (बेल / Aegle marmelos)

  • गुण: पाचक, कसैला, आंतों को मजबूत करने वाला।
  • लाभ: दस्त, पेचिश और आंतों के अल्सर में फायदेमंद।
  • उपयोग:
    • बेल का शर्बत (बेलगिरी + मिश्री + पानी)।
    • बिल्वादि चूर्ण – 1 चम्मच गुनगुने पानी के साथ।

3. मुलेठी (यष्टिमधु / Glycyrrhiza glabra)

  • गुण: शीतल, सूजनरोधी, घाव भरने वाली।
  • लाभ: आंतों की जलन और अल्सर को ठीक करती है।
  • उपयोग:
    • मुलेठी चूर्ण (1/2 चम्मच शहद के साथ)।
    • मुलेठी का काढ़ा (दूध या पानी में उबालकर)।

4. धातकी (Woodfordia fruticosa)

  • गुण: रक्तस्राव रोकने वाली, कसैली।
  • लाभ: खूनी दस्त और आंतों के घावों में लाभदायक।
  • उपयोग: धातकी पुष्प का चूर्ण (1 ग्राम गुनगुने पानी के साथ)।

5. गुडूची (गिलोय / Tinospora cordifolia)

  • गुण: इम्यूनोमॉड्यूलेटर, एंटी-इंफ्लेमेटरी।
  • लाभ: पाचन शक्ति बढ़ाती है और ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया को नियंत्रित करती है।
  • उपयोग:
    • गिलोय सत्व (1 चम्मच गुनगुने पानी के साथ)।
    • गुडूची घनवटी (1-2 गोली दिन में दो बार)।

6. हरिद्रा (हल्दी / Curcuma longa)

  • गुण: एंटीसेप्टिक, सूजनरोधी, रक्त शोधक।
  • लाभ: आंतों की सूजन और अल्सर को ठीक करती है।
  • उपयोग:
    • हल्दी वाला दूध (1 गिलास दूध + 1/2 चम्मच हल्दी)।
    • हरिद्रा खंड (आयुर्वेदिक टैबलेट) – 1 गोली दिन में दो बार।

7. त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला)

  • गुण: डिटॉक्सिफाइंग, पाचन सुधारने वाला।
  • लाभ: आंतों की सफाई करता है और पुरानी सूजन को कम करता है।
  • उपयोग:
    • त्रिफला चूर्ण (1 चम्मच रात को गर्म पानी के साथ)।
    • त्रिफला क्वाथ (काढ़ा बनाकर पिएं)।

आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा

अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis in hindi) के गंभीर मामलों में पंचकर्म (डिटॉक्सिफिकेशन थेरेपी) की सलाह दी जाती है:

1. विरेचन (मेडिकेटेड पर्गेटिव थेरेपी)

  • उद्देश्य: आंतों से विषाक्त पदार्थ निकालना।
  • औषधियाँ: त्रिफला, एरंड तेल (कैस्टर ऑयल)।

2. बस्ती (मेडिकेटेड एनिमा)

  • उद्देश्य: सीधे आंतों को शुद्ध करना।
  • प्रकार:
    • निरूह बस्ती (हर्बल डिकॉक्शन एनिमा)।
    • अनुवासन बस्ती (औषधीय तेल एनिमा)।

3. वमन (थेराप्यूटिक वोमिटिंग)

  • उद्देश्य: पित्त दोष को संतुलित करना।

आहार और जीवनशैली सुझाव

क्या खाएं?

  • मूंग दाल की खिचड़ी
  • पुराने चावल (जौ, कोदो)
  • घी और मिश्री
  • उबली हुई सब्जियाँ (लौकी, तोरई)
  • छाछ और दही
  • ताजे फल और सब्जियाँ खाएँ।
  • हल्का और सुपाच्य भोजन करें।
  • मसालेदार और तले-भुने भोजन से बचें।
  • छाछ, नारियल पानी और सूप का सेवन करें।
  • दूध और दूध से बने उत्पादों का सीमित मात्रा में सेवन करें।
  • घी और हल्का उबला हुआ भोजन अधिक लें।

क्या न खाएं?

  • मिर्च-मसालेदार भोजन
  • तला-भुना और जंक फूड
  • कच्ची सब्जियाँ और सलाद
  • अधिक नमक और खट्टे पदार्थ

जीवनशैली टिप्स

  • योगासन: पवनमुक्तासन, वज्रासन, भुजंगासन।
  • प्राणायाम: अनुलोम-विलोम, भ्रामरी।
  • तनाव प्रबंधन: ध्यान और गहरी सांस लेने का अभ्यास।

निष्कर्ष

आयुर्वेद अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis in hindi) को जड़ से ठीक करने पर केंद्रित है, न कि केवल लक्षणों को दबाने पर। कुटज, बिल्व, मुलेठी, गिलोय और हल्दी जैसी औषधियाँ आंतों की सूजन को कम करती हैं, जबकि पंचकर्म शरीर को गहराई से शुद्ध करता है। सही आहार और जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

सावधानी: किसी भी आयुर्वेदिक उपचार को शुरू करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।

अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis in hindi) एक गंभीर लेकिन प्रबंधनीय बीमारी है। सही खान-पान, जीवनशैली में बदलाव, और आयुर्वेदिक उपचार अपनाकर इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि लक्षण गंभीर हैं, तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

अगर आप अपने आहार और दिनचर्या में सुधार करेंगे तो निश्चित रूप से इस बीमारी से राहत पा सकते हैं। स्वस्थ जीवनशैली और सकारात्मक सोच अपनाकर इस बीमारी को हराया जा सकता है।

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