
पेट के अन्दर स्थित पदार्थ जब मुख के रास्ते जबरदस्ती बाहर निकलते हैं, तो उस स्थिति को उलटी (Vomits / Vomiting) (vomiting meaning in Hindi)कहते है। आयुर्वेद में इसे ‘छर्दीरोग ‘ कहा जाता है।उलटी होना अपने आप में कोई रोग नहीं है। अजीर्ण एवं हैजा का एक लक्षण वमन भी है। | कई बार खाली पेट ही उबकाई आती है। उसमें कड़वा पित्त या अम्ल निकलता है।
उलटी (vomiting in hindi) संप्राप्ति- अति अजीर्ण से अति नमकीन, स्निग्ध व अप्रिय पदार्थों के सेवन से, अतिशीघ्र भोजन करने के बाद श्रम से, भय, घृणा व उद्वेग से, कृमि रोग के कारण कुपित दोष वेग से मुखविवर को आच्छादित करके अंग-प्रत्यंग को पीड़ित करते हुए वमन के रूप में मुख से निकलते हैं।
इस रोग में उदान वायु की अत्यधिक विकृति होकर आमाशय स्थित पदार्थ को वेग पूर्वक बाहर अधिकांश रोगियों में यह किसी अंदरूनी रोग का बाहरी संकेत मात्र हैं। कई बार उलटी होना लाभदायक भी होता है। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति जाने-अनजाने कोई विषैला पदार्थ खा या पी लें, तो शरीर इसे बाहर निकालने का प्रयत्न करता है।
हमारे मस्तिष्क में इस कार्य को करने के लिए एक केंद्र होता है, जिसे उलटी केन्द्र या सेंटर कहते हैं। इस केंद्र से ही आमाशय की क्रियाएँ संचालित होती हैं कि अमुक वस्तु हानिकारक है. इसे निकाल कर फेंक दो, लेकिन यदि उलटियाँ (vomiting meaning in Hindi) लगातार हो रही हों, तो कभी-कभी शरीर के पानी तथा खनिज लवण जैसे आवश्यक पदार्थ भी बाहर निकल जाते हैं, जिनकी पूर्ति बाहर से करनी पड़ती है।
वमन (vomiting meaning in Hindi) कोई स्वतंत्र रोग नहीं है. बल्कि यह शरीर में व्याप्त अन्य रोगों का एक लक्षण मात्र है। विशेषकर के जब पेट संबंधी, मस्तिष्क संबंधी रोग जड़ें जमा चुके हों अथवा ये रोग पैर जमाने की तैयारी में लगे हुए होते हैं. तब उन रोगों के परिणामस्वरूप वमन, के, मितली जैसे विकार उत्पन्न होते हैं।
उलटी(vomiting meaning in Hindi) के कारण (vomiting reasons) (vomiting causes)-

- एपेंडिसाइटिस/ आंत्रपुच्छशोथ।
- कब्ज ।
- शरीर में पित्त या कफ के प्रकोप से ।
- हिपेटाइटिस ।
- लिवर सिरोसिस ।
- गैसट्राइटिस/ आमशय क्षोभ ।
- गैस्ट्रोएंटेराइटिस ।
- पेप्टिक अल्सर ।
- आमाशय में रुकावट ।
- छोटी आँत में रुकावट । •
- पेट के कीड़े। कृमी
- पित्ताशय की सूजन ।
- अग्नाशय की सूजन ।
- एपेंडिसाइटिस/ आंत्रपुच्छशोथ।
- मधुमेह / डायबिटीज |
- सिर में चोट (Head Injury)
- माइग्रेन / आधाशीशी का दर्द।
- हार्ट अटैक ।हार्ट फेल्योर।
- मस्तिष्क संबंधित रोग (विशेषकर मस्तिष्कावरणशोथ)।
- फूड एलर्जी
- औषधियों से भी उल्टी हो सकती है ।
- गर्भावस्था से बुखार की स्थिति में।
- मनोभावों से संबंधित प्रतिक्रियाएँ एवं मानसिक असहिष्णुता (Psycosis) 1 •
- रक्त विषमताएँ एवं यूरीमिया (Uraemia) |
- Increased intracranial pressure)।
- गति विषमताएँ (Motion sickness) |
- जठर एवं संग्रहणी के उपदंश ।
- मलेरिया एवं पीलिया रोग ।
- मानसिक चिंताएँ ।
- नापसंद या दूषित खाद्य-पदार्थों का सेवन ।
उलटी से संबंधित होने वाले कई रोगों का विस्तृत विवेचन-
उलटी(vomiting meaning in Hindi) से संबंधित होने वाले कई रोगों का विस्तृत विवेचन-
1. आंत्रपुच्छशोथ (एपेंडिसाइटिस) – एपेंडिक्स में सूजन हो जाने पर रोगी पेट दर्द, उलटियाँ तथा बुखार हो जाने की शिकायत करते हैं। रक्त में श्वेत कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती हैं। इसमें दाईं ओर पेट में तेज दर्द होता है, बुखार भी रहता है।
2. कब्ज – कब्ज होने पर बड़ी आँत में रुकावट जैसे सभी लक्षण मिल सकते हैं।
3. हिपेटाइटिस-यकृत शोथ यानी हिपेटाइटिस की प्रारंभिक अवस्था में भूख न लगना, जी मिचलाना व उलटी (vomiting meaning in Hindi) आदि प्रमुख लक्षण होते हैं।
4 पित्ताशय की तीव्र सूजन में रोगी पेट के ऊपरी भाग में अचानक भयंकर दर्द, जी मिचलाना, बुखार एवं उलटियों की शिकायत करते हैं। यह दर्द कंधे और पीठ में भी मालूम होता है।
5 लिवर सिरोसिस-वायरस हिपेटाइटिस की जटिलता से अथवा अधिक शराब बहुत दिनों तक पीने से यकृत हमेशा के लिए खराब हो जाता है, जिससे यह सिकुड़कर कड़ा पड़ जाता है और इसकी आंतरिक संरचना गड़बड़ा जाती है। यह मुलायम’ न रहकर कड़क रहता है और इसकी कार्यक्षमता बहुत कम हो जाती है।
ऐसे रोगी को जी मिचलाने, भूख न लगने, उलटियाँ (खून की उलटियाँ) होने, पेट फूलने, पैरों में सूजन जैसी शिकायतें रहती हैं। कभी-कभी तिल्ली का आकार भी बढ़ जाता है और खून की उलटियाँ होने लगतीं हैं। मल के रास्ते भी खून आने लगता है। इसमें मल कोलतार जैसी काली होती है।
6 . गैस्ट्राइटिस/ आमाशय शोथ-गैस्ट्राइटिस यानी आमाशय की श्लैष्मिक झिल्ली में सूजन या प्रदाह हो जाता है। इस कारण पेट में जोर का दर्द व जलन होती है। श्लेष्मा और पित्त के साथ खाई हुई चीजों की वमन(vomiting meaning in Hindi) हो जाती है। इसके उपरांत रोगी को आराम मिल जाता है।
7. आमाशय की म्यूकस झिल्ली की सूजन, उलटी होने का आमतौर पर देखे जाने वाला रोग है। इसके मुख्य कारणों में दर्द निवारक अंग्रेजी दवाओं (Allopathic medicines) का अधिक प्रयोग, शराब का सेवन, विषैले पदार्थों का सेवन, वायरल, जीवाणु या परजीवी जनित बुखार या उलटी (गैस्ट्राइटिस के कारण) हो सकती है।
8 . गैस्टोएंटेराइटिस-दूषित जल, अन्य पेय पदार्थ या भोजन ग्रहण करने पर उसमें उपस्थित सूक्ष्म जीव/बैक्टीरिया आँतों में तीव्र सूजन पैदा कर देते हैं, जिससे रोगी को कुछ ही घंटों में उलटियाँ, पतले दस्त और पेटदर्द की शिकायत हो जाती है।
9 . पेप्टिक अल्सर (आमाशय एवं आँतों में घाव) – यह आमाशय, ड्यूओडिनम अथवा भोजन नली के निचले भाग में बनने वाला घाव है। इसकी जाँच आधुनिक रूप में एंडोस्कोपी विधि से की जाती है। रोगी पेट के ऊपरी भाग में जलन तथा उलटी की भी शिकायत करता है। कभी-कभी खून की भी उलटी (vomiting meaning in Hindi)होती है।
10 . आमाशय में रुकावट-पेप्टिक अल्सर का प्रारंभिक दशा में निदान न हो अथवा निदान होने के पश्चात् समुचित उपचार न किया जाए, तो जटिलता होने पर आमाशय का द्वार संकरा पड़ जाता है। ऐसी स्थिति आमाशय के कैंसर से भी हो सकती है। इसके निदान के लिए एंडोस्कोपी एवं बेरियम मील एक्स-रे, चिकित्सकीय परामर्श से कराने चाहिए।
11 . छोटी आँत में रुकावट – इसका एक छोटासा कारण कैंसर भी होता है इसे नजरंदाज न करे इसमें रोगी भूख न लगना, उलटी, कब्ज, पेटदर्द एवं पेट फूलने की शिकायतें बताता है।
12 . खाद्य विषमयता (Food Poisoning)- इसमें उलटी होना निश्चित है। इससे हानिप्रद भोजन बाहर निकल आता है, रोगी को काफी राहत मिलती है।
13 . पेट के कीड़े (Intestinal worms)— बिना धुली सब्जियाँ फल आदि खाने पर उसमें मौजूद कृमि तथा अंडे आँत में पहुँच जाते हैं और उनमें से कृमि बड़े होकर पेट में दर्द एवं उलटी जैसे लक्षण पैदा कर देते हैं। कभी-कभी उलटी(vomiting meaning in Hindi) में भी कीड़े निकल आते हैं।
14 . पित्ताशय की सूजन-गाल ब्लैडर (पित्ताशय) की तीव्र सूजन में रोगी पेट के बुखार एवं उलटी की शिकायत करते हैं।
15 . आग्नाशय की सूजन-पेंक्रियाज नामक अति महत्त्वपूर्ण ग्रंथि पेट के मध्य ऊपरी भाग में, भीतर की ओर स्थित होती है, जिसमें तीव्र सूजन हो जाने पर रोगी भयंकर पेटदर्द और उलटियों की शिकायत करता है। ऐसे में ब्लड प्रेशर तथा मूत्र की मात्रा कम हो जाती है और नाड़ी चलने लगती है।
16 . मधुमेह (डायबिटीज) – मधुमेह पर यदि सुमचित कंट्रोल न रखा जाए, तो बहुत से रोगियों में रक्तगत शर्करा (ब्लड शुगर) अत्यधिक बढ़ जाती है, रोगी के पेट में दर्द एवं उलटियाँ होने लगती हैं। साँस गहरी व तेज चलने लगती है, रोगी बेहोश होने लगती है।
17 . सिर में चोट- ‘हैड इंजरी’ के रोगी को भी उलटियों (vomiting meaning in Hindi) की शिकायत हो जाती है।
18 . आधाशीशी का दर्द (माइग्रेन) -आधाशीशी/अर्धकपारी के रोगी सिर में एक तरफ दर्द होने के अलावा उलटियों की भी शिकायत करते हैं। इन रोगियों को तनाव से बचना चाहिए ।
19 . हार्ट अटैक -जब हृदय के पिछले-निचले भाग की मांसपेशी का रक्तप्रवाह अचानक रुक जाता है, तो रोगी अचानक छाती में दर्द एवं उलटियों की शिकायत करने लगता है। इसका कारण पेट की खराबी नहीं समझ लेना चाहिए। ई.सी.जी. व रक्त में एस.जी.ओ.टी. टैस्ट निर्णायक हो सकते हैं।
20 . हार्ट फेल्योर-बच्चों में जोड़ों के दर्द तथा बुखार से उत्पन्न हृदय रोग (रियूमेटिक हृदय रोग) के कारण संकरे अथवा फैले हुए हृदय के वाल्व से, कोरोनरी धमनी में जमे रक्त से, उच्च रक्तचाप से, वायरल बुखार के हृदय की मांसपेशी पर दुष्प्रभाव से, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस से, फेफड़ों के दीर्घकालीन रोगों से जब हृदय फेल हो जाता है, तो पैरों पर सूजन आ जाती है।
लिवर का आकार बढ़ जाता है, रोगी पेटदर्द बताता है और आमाशय तथा आँत की शिराएँ रक्त एकत्र हो जाने से फूल जाती हैं, जिससे रोगी उलटियों की शिकायत करते हैं। इन रोगियों को दी जाने वाली डिजिटेलिस, अमिनोफायलिन्स एवं क्रूसेमाइड दवाओं के दुष्प्रभाव भी उलटी(vomiting meaning in Hindi) के लिए प्रायः उत्तरदायी होते हैं ।
21 . मस्तिष्क रोग-ब्रेन ट्यूमर, मस्तिष्क के घाव या फोड़ा-फुंसी (ब्रेन एब्सिस), मस्तिक की वाइरस से सूजन (एनसेफेलाइटिस), दिमाग की झिल्ली की सूजन (मेनिनजाइटिस) चाहे तपेदिक/टी.बी. से हो अथवा मवाद पैदा करने वाले जीवाणुओं से, इन सब रोगों में उलटियाँ होने का एक प्रमुख लक्षण होता है।
लेकिन अज्ञानतावश रोगी तथा उसके रिश्तेदार बहुत दिनों तक समझते रहते हैं कि शायद पेट के किसी रोग के कारण उलटी हो रही हैं और इसीलिए वे बहुत दिनों तक डाइजीन जैसे एंटएसिड, रेनीटिडीन एवं उलटी रोकने की प्रोक्लोरपाराजीन जैसी दवाएँ लेते रहते हैं, लेकिन इससे खास लाभ नहीं मिलता ऐसे रोगी विस्तृत जानकारी करने पर बहुधा सिरदर्द, बुखार तथा आँखों की रोशनी कम होने की शिकायत करते हैं
बहुत से रोगी पूर्णरूप से चैतन्य नहीं रहते जबकि कुछ रोगी तो बेहोश भी हो जाते हैं। ध्यान रखें कि उलटी (vomiting meaning in Hindi) पेट रोग के कारण हैं, तो रोगी बहुधा जी मिचलाने की भी शिकायत करेगा, लेकिन मस्तिष्क रोग के कारण हैं, तो प्रायः ऐसा नहीं होगा।
शीघ्रातिशीघ्र यदि इन मस्तिष्क रोगों का निदान तथा उपचार न किया जाए, तो यह रोग बढ़कर बहुत जल्दी लाइलाज हो जाते हैं, और रोगी के जीवन के लिए खतरा बन जाते हैं और अंधापन, बहरापन, फालिज या लकवा, मस्तिष्क क्षीणता जैसी जटिलताएँ भी उत्पन्न कर देते हैं।
इसी तरह ब्रेन हैमेरेज या अटैक (मस्तिष्क की धमनी का फट जाना) होने के कारण ही सिरदर्द, `पेरालिसिस और बेहोशी होने के अतिरिक्त रोगी को उलटियाँ (vomiting meaning in Hindi)भी बहुत होती हैं।
22 . फूड एलर्जी- कई रोगी कोई खास भोज्य पदार्थ जैसे-अंडे से लगभग 2 या 3 घंटे के बाद उलटी होने की शिकायत करते हैं। कुछ बच्चे दूध पीने के बाद उलटियों की शिकायत करते हैं।
23 . औषधियों से भी उलटी-आश्चर्यजनक रामबाण दर्द निवारक दवा मॉरफीन, अमीबाजनित लिवर के फोड़े में बहुत प्रभावी दवा इमेटिन, हृदय फेल्योर में उपयोगी प्रभावी दवा डिजिटेलिस, दर्द निवारक बहुप्रचलित दवा एस्प्रिन, दमा रोग में लाभदायक अमिनोफायलिन, उलटियों के लिए उत्तरदायी हो सकती हैं।
24 . गुर्दों के रोग-उलटी(vomiting meaning in Hindi) होने के महत्त्वपूर्ण कारण होते हैं। लेकिन लोगों का ध्यान इस ओर सहज नहीं जाता (जीवाणुजनित) गुर्दों की तीव्र सूजन (एक्यूट पाइलोनेफ्राइटिस) खासकर बच्चों में तो केवल ज्वर तथा उलटी से ही प्रारंभ हो सकती है। इसलिए बच्चों में मूत्र की जाँच आवश्यक होती है।
गुर्दों के दीर्घकालीन संक्रामक रोग (क्रानिक पाइलोनेफ्राइटिस) दोनों गुर्दों में पथरियाँ, डायबिटीज का गुर्दों पर दुष्प्रभाव, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ा आकार समुचित उपचार के अभाव में गुर्दों की कार्यक्षमता कम कर देते हैं, जिससे रीनल फेल्योर की दशा उत्पन्न हो जाती है। ऐसे रोगी लगातार उलटियाँ (vomiting meaning in Hindi) होने, भूख नहीं लगने, सिरदर्द, बेचैनी, खून की कमी इत्यादि की शिकायतें करते हैं।
25 . गर्भावस्था-जी मिचलाना तथा उलटियाँ होना गर्भधारण के प्रारंभ के महीनों में खासकर प्रातःकाल में आम बात है, लेकिन इसका उपचार करते समय अनावश्यक दवाएँ कभी न लें क्योंकि क्या पता कौन पलते गर्भ को नुकसान पहुँचा दे। गर्भवती महिला में अन्य कारणों के अलावा उलटी होने का एक प्रमुख कारण वायरल हिपेटाइटिस का भी ध्यान अवश्य रखें अन्यथा निदान में देर होने से तथा उचित उपचार के अभाव में, तथा पीलिया रोग गर्भावस्था में तो अत्यंत ही खतरा माना जाता है।
26 . व्रत रखने से-दीर्घकालीन उपवास से अथवा भोज्य पदार्थ तथा विटामिन की कमी से भी उलटियाँ हो सकती हैं। पेशाब की जाँच में कीटोनबाडीज मिलने पर उलटी (vomiting meaning in Hindi) का उक्त कारण स्पष्ट हो जाता हैं।
27 . मनोभाव से संबंधित प्रतिक्रियाएँ-इसके कारण भी अक्सर उलटियाँ उलटी(vomiting meaning in Hindi) के लक्षणहोती हैं; उदाहरणार्थ बालक प्रारंभ में जब स्कूल जाता है, नवयुवक जब फौज में भर्ती होता है या लड़की शादी के बाद पहली बार ससुराल जाती है, तो वहाँ नए प्रकार के वातावरण में पाती है तो डर, घबराहट अथवा मानसिक तनाव से ऐसी स्थिति में उलटियाँ आ सकती हैं। लेकिन खास बात है कि उलटियाँ होने के बाबजूद भी उनके वजन में कोई खास गिरावट नहीं आती है।
28 . पित्ताशय में पथरी-पित्त की थैली का रोग है। इसमें दर्द दाहिनी कोख से शुरू होकर चारों ओर (खासकर दाहिने कंधे और पीठ तक) फैल जाता है। ये दर्द असह्य होता है। इस दर्द के साथ अक्सर उलटी(vomiting meaning in Hindi) होना एक आम लक्षण है।
29 . किसी भी तेज़ बुखार, भयानक सिरदर्द, तीव्र संक्रमण में उलटी हो सकती है।
30 . मिरगी या दिमाग से संबंधित कोई रोग भी वमन का कारण हो सकता है।
31. वमन सामान्य खाँसी, सर्दी के प्रभाव से भी हो सकती है अथवा सामान्य सिरदर्द भी इसका एक कारण हो सकता है।
32 . दमे के रोगियों को जब तीव्र खाँसी के दौरे चलते हैं, तब वमन(vomiting meaning in Hindi) होती है।
33 . रेल, पानी का जहाज, हवाई जहाज, मोटर कार आदि में सफर करने से भी पाकस्थली उत्तेजित हो जाती है और वमन होने लगती है।
नोट- • सब प्रकार के क्षोभ वमन पैदा करते हैं। मानसिक क्षेत्र, आंत्रमार्ग का क्षोभ, आमाशय का क्षोभ, अन्न प्रणाली का क्षोभ, विषजन्य क्षोभ वमन के प्रमुख कारणों में रखे जा सकते हैं।
- उलटी (vomiting meaning in Hindi) की गंभीरता को परखें-उलटी गंभीर है या नहीं इसकी जाँच स्वयं करें-
- यदि उलटी के साथ पतले दस्त कई बार आएँ, तो डिहाइड्रेशन की समस्या आपात स्थिति की तरह समझें ।
- जब नवजात शिशु स्तनपान के बाद या दूध पीने के बाद तुरन्त उलटी करता है, उसका गला रूंध जाए ।
- छाती के दर्द के साथ उलटी हो, तो हृदयाघात पर विचार करें।
- जब उलटी(vomiting meaning in Hindi) के साथ खून ज्यादा निकले, उलटी की बदबू असहनीय हो अथवा मल का रंग काला हो ।
- यदि 4 घंटे से लगातार उलटियाँ थमने का नाम ही न लेती हों।
- जब उलटियों के साथ तंत्रिका तंत्र के दोष उत्पन्न हो जाएं।
- जीर्ण वृक्कशोथ, कामला अथवा पीलिया रोग का विष जब रक्त में फैल जाता है, तब आमाशय में क्षोभ उत्पन्न होकर (Due to irritation) भी वमन रोग पैदा होता है।
- पेट में यदि कृमि हो, तो अक्सर वमन(vomiting meaning in Hindi) की शिकायत रहती है।
- हैजे के दौरान वमन होता ही है। हैजे का वमन अति भयंकर तथा खतरनाक होता है। इसमें रोगी बड़ी तेजी के साथ मौत की ओर सरकने लगता है।
- पेट में यदि कृमि हो, तो अक्सर वमन की शिकायत रहती है।
- हैजे के दौरान वमन होता ही है। हैजे का वमन अति भयंकर तथा खतरनाक होता है। इसमें रोगी बड़ी तेजी के साथ मौत की ओर सरकने लगता है।
- याद रहे-मस्तिष्कावरण शोथ ज्वर (मैनिंजाइटिस) में जो वमन होती पाई जाती है, वह किसी विष के प्रभाव से नहीं, बल्कि यह मस्तिष्क पर अत्यधिक दबाव पड़ने की वजह से उत्पन्न होती है। जबकि अन्य ज्वरों में ज्वर के विषैले प्रभाव की वजह से उलटी(vomiting meaning in Hindi) होती है।
- हिस्टीरिया रोग के दौरे में अक्सर वमन होती है।
- अति तीव्र पेटदर्द, पित्ताशयशूल, गुर्दे की वेदना, एपेंडीसाइटिस की वेदना भी वमन का कारण होती है। वमन में जब तक खाए पदार्थ बाहर निकलते रहते हैं, रोगी उतनी अधिक कठिनाई अनुभव नहीं करता है। लेकिन जब पेट में सब कुछ निकल चुका होता है और सूखी वमन के दौरे पड़ने लगते हैं तब काफी कष्ट होता है। ऐसी स्थिति में रोगी को आमाशय तथा आँतें मुँह के रास्ते बाहर निकल आती प्रतीत होने लगती हैं।
- जन्म से उलटियाँ-शिशु की पैदाइश के बाद उलटियाँ हो सकती हैं, जिसके अनेक कारण हैं। कुछ कारण तो वाकई मामूली होते हैं और कुछ उलटियों की वजह पेचीदा बीमारियाँ होती हैं, जो लानलेवा तक हो सकती हैं। अधिकतर शिशुओं में उलटियाँ(vomiting meaning in Hindi) की वजह को आसानी से जाँच पड़ताल कर जाना जा सकता है, पर कुछ शिशुओं में गहन जाँच करने पर ही कारण का पता चलता है।
इससे पहले कि उलटी(vomiting meaning in Hindi) के लक्षण किसी शिशु के लिए जानलेवा साबित हों, किसी अच्छे चिकित्सक से तुरन्त परामर्श कर लेना चाहिए। उलटियाँ होने के कारणों को सामान्यतः दो भागों में बाँटा जा सकता है-
- 1. पहले कारण में उन्हें बगैर किसी शल्यचिकित्सा के ठीक किया जा सकता है।
- 2. दूसरा कारण जिसमें शल्यक्रिया ही जरूरी है
उलटी(vomiting meaning in Hindi) के लक्षण-
वयस्कों, वृद्धों एवं बच्चों में- कै या उलटी उलटी(vomiting meaning in Hindi) के लक्षणमें रोगी का सबसे पहले जी. मिचलाना है। उसे उबकाई आने लगती हैं। मुँह से लालास्राव शुरू हो जाता है। खट्टी-तीखी डकार आती हैं। अचानक लार टपकने लगती है। खट्टा, तीखा, फीका पानी मुँह से बाहर निकलता है। खाया हुआ खाना भी बाहर निकल जाता है। साथ ही उसके साथ कफ और पित्त जैसे दोष भी बाहर निकलते हैं।
गर्भावस्था में वमन हमेशा प्रातःकाल के समय अधिकांशतः होती देखी जाती है। इस प्रकार की वमन अथवा मितली जल्दी ठीक नहीं होती। कुछ महिलाओं को पूरे समय तक वमन की शिकायत बनी रहती है। ऐसी महिलाओं एवं गर्भ के शिशु का जीवन संकट में पड़ सकता है। यदि जच्चा-बच्चा ठीक रहा तो वह कमजोर, कृशकाय, शक्तिहीन तथा निस्तेज अवश्य रहेगा।
सड़ा गला, अधपका, दूषित आहार, जब पेट में चला जाता है तब आमाशय में विक्षोभ (Irritation) उत्पन्न होता है, जिसके परिणामस्वरूप वमन होने लगता है। ऐसी अवस्था में पहले पेट में भारीपन, जी मिचलाना, मुँह का स्वाद खराब होना आदि लक्षण होते हैं। तत्पश्चात् एकाएक वमन (vomiting meaning in Hindi) होने लगती है।
यदि आमाशय में व्रण (Ulcers) हो, तो भोजन के तत्काल बाद अथवा थोड़ी देर के बाद वेदना (उदरपीड़ा) उत्पन्न होती है और उसके बाद प्रायः वमन होने लगती है। जैसे ही रोगी को वमन हो जाता है वैसे ही वेदना का दौर समाप्त हो जाता है। रोगी को भोजन के 3-4 घंटे बाद भी वेदना होकर वमन होती है। वमन उलटी (vomiting meaning in Hindi) के लक्षण के बाद वेदना शांत हो जाती है।

आयुर्वेद में इस रोग वमन (vomiting meaning in Hindi) को पाँच प्रकार का माना गया है-
1. वातज, 2. पित्तज, 3. कफज, 4. त्रिदोषज एवं 5. द्विष्टार्थसंयोगज ।
1. वातज प्रकार की उलटी-इसमें मुख का सूखना, मुँख का कसैला स्वाद तथा छाती में दर्द आदि लक्षण होते है।
2. पित्तज उलटी-इसमें जलन और खट्टी डकारें आदि लक्षण होते हैं।
3. कफज उलटी-इस प्रकार की उलटी में बाहर आने वाले पदार्थ में चिपचिपाहट होती है।
4. त्रिदोषज प्रकार की उलटी में-उपरोक्त तीनों दोषों से उत्पन्न होने वाली उलटी के लक्षण इकट्ठे पाए जाते हैं।
5. द्विष्टार्थ संयोगज प्रकार की उलटी-इस प्रकार की उलटी की उत्पत्ति दूषित या विषैले भोजन/खाद्य-विषाक्तता (Food poisoning) को खाने से होती है। इसमें रोगी का जी हमेशा मिचलाता रहता है और मुख से दुर्गंध आती रहती है।
उलटी (vomiting meaning in Hindi) का उपचार (vomiting medicine in ayurveda)-

- वमन/उलटी (vomiting meaning in Hindi) के रोगी को पूरा आराम देना चाहिए यह ध्यान रखना बहुत आवश्यक है कि रोगी में पानी की कमी (निर्जलीकरण-Dehydration) न होने पाए। यदि रोगी को केवल एक या दो उलटियाँ हुई हो, तो कोई खास उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।
- लगातार उलटियाँ होने से पानी, नमक, पोटैशियम क्लोराइड एवं अन्य खनिज लवणों की कमी हो जाने से शरीर में अनेकानेक जटिलताएँ उत्पन्न हो जाती है। इसके अतिरिक्त उलटी होने का मूल कारण मालूम करके उसका भी त्वरित एवं उचित उपचार आवश्यक है। अनावश्यक रूप से अंग्रेजी औषधियों का प्रयोग न करें।
- औषधियों से होने वाली उलटियों से बचाव तथा उपचार के लिए अच्छा तो यही रहेगा कि इन दवाओं को सेवन अनावश्यक रूप से न करें। साथ ही उत्तरदायी दवा का सेवन रोक दें तथा अपने को डॉक्टर की देखरेख में रखें।
- विषैला पदार्थ खाने या पीने पर खून की उलटी होने पर तथा आमाशय और आँत में रुकावट के लक्षण मालूम होते ही रोगी को अस्पताल ले जाना चाहिए। मस्तिष्क का अथवा उसके चारों ओर की झिल्ली में सूजन का संदेह होते ही तुरंत उचित जाँच करानी चाहिए, जिससे रोगी का प्रारंभिक दशा में ही उचित उपचार हो सके।
- बेहोश रोगी में मुँह से एक बूँद भी पानी न दें तथा उसे एक करवट से लिटाएँ। उलटी (vomiting meaning in Hindi) से निकले पदार्थ को सँभाल कर रखना चाहिए ताकि चिकित्सक उसका परीक्षण कर सकें। चूँकि अपक्ध भोजन, रक्त व पित्त वमन के कारण को स्पष्ट करने में सहायक है। कत्थे के रंग या मटमैला रक्त. उलटी में निकलना गंभीरता का द्योतक है, ऐसी दशा में बिना किसी संशय के चिकित्सक से संपर्क करें। मामूली-सा रक्त आ जाए, तो विशेष चिंता की बात नहीं।
- उलटी आने की दशा में बिना घबराए मरीज की पीठ सहलाएँ, सांत्वना दें व ठंडी हवा में लिटा दें। कपूर के सत की 6 बूँद थोड़े से पानी में डालकर किसी भी प्रकार की उलटी में पिला दें। इससे रोगी को अवश्य आराम आयेगा। छोटी इलायची दो चार चबाकर निगलने दें। मुँह, चेहरा धोकर नाक अवश्य साफ करें।
- दो चार छः उलटी आने की दशा में कुल्ला शरीर से जलयांश निकल जाता है, इस हेतु पुनर्जली घोल 1 लीटर पानी में दो बड़े चम्मच शकर, चौथाई चम्मच खाने वाला सोड़ा आदि का घोल घंटे आध घंटे पर देते रहें। इससे शरीर की कमजोरी दूर होवमन का स्पष्ट कारण न मिलने पर-‘कपूर का अर्क’ चीनी डालकर पिलाने से उलटी, जो किसी भी कारण से क्यों न हो रही हों, एकदम शांत हो जाती हैं।
- यदि उलटी (vomiting meaning in Hindi) का कारण कब्ज है, तो इससे बचाव के लिए चोकर सहित आटे की रोटी लें, फल तथा हरी- पत्तेदार सब्जियाँ लें। मानसिक तनाव से बचें, उचित एवं नियमित व्यायाम करें। यदि कब्ज किसी रोग जैसे टी. बी., कैंसर, डायबिटीज, अमीबा, आदि के कारण है, तो उसका उचित उपचार आवश्यक है।
- अमृतधारा भी चीनी के साथ प्रयोग करने से लाभ होता है। जल में जायफल को घिसकर प्रयोग कराने से भी वमन/उलटी पर रोक लग जाती है। यदि रोगी को सूखी वमन आ रही हो, तो उसको पेट भरकर पानी पिला देने से आशातीत लाभ होता है। वमन में सोडा वाटर और दूध मिलाकर प्रयोग कराने से भी लाभ हो जाता है।
- उलटी (vomiting meaning in Hindi) की चिकित्सा में चिकित्सक को सबसे पहले रोगी की स्थिति का अध्ययन करना चाहिए। यदि रोगी में निराशा दिखाई दे रही हो, तो उसको हिम्मत बधायें। रक्तचाप गिर रहा हो तो तत्काल उसकी व्यवस्था करें।.
यदि अत्यधिक वमन हो रहा हो, तो सर्वप्रथम नार्मल सैलाइन, डेक्स्ट्रोज आदि की व्यवस्था करें। - तत्पश्चात- रोग क्यों और किसलिए हो रहा है, इसकी जाँच-पड़ताल कर समुचित चिकित्सा व्यवस्था करें। जब तक उलटी होती रहें, रोगी को नींबू मिला पानी अथवा ग्लूकोज के अतिरिक्त कुछ भी प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
वमन का रोग यदि पुराना हो जाए, तो पूर्ण सर्तकता के साथ मूल कारण का पता पहले करना चाहिए। उसके पश्चात् चिकित्सा व्यवस्था (vomiting treatment at home) में जुट जाना चाहिए । - वमन (vomiting meaning in Hindi) होते समय गुनगुना जल न देकर तीव्र गर्म जल (जो आसानी से पिया जा सके) देना चाहिए। गुनगुना जल वमन बंद नहीं करता, बल्कि वमन कराता है।
- जब आपको मितली का एहसास होता है तो अजीब-सी उलझन महसूस होती है। इस अवस्था में कोशिश यह करें कि वमन जल्द हो जाए, क्योंकि जब तक वमन नहीं होगी तब तक आप उलझन में रहेंगे। मितली की दशा में उलटीरोधक दवा (Antiemetic drugs) न लें (बिना परामर्श)।
- नोट- • जब तक पूर्ण विष नहीं निकल जाता, रोगी को पूर्ण शांति नहीं मिलती है। यदि वमन अजीर्ण के कारण हो रहा हो, तो इस स्थिति में मंदाग्नि की चिकित्सा की ओर ध्यान देना हितकर है। यदि अम्लता की वमन/उलटी(vomiting meaning in Hindi) हो, तो एक-दो गिलास शीतल जल पीने से ही लाभ हो जाता है। बर्फ चूसने से भी लाभ होता है।
- कृमि रोग के कारण यदि वमन उत्पन्न हो रही हो, तो सबसे पहले कृमिनाशक औषधियों का प्रयोग करना चाहिए।
हवाई जहाज, पानी का जहाज, पहाड़ का चढ़ना अथवा बस यात्रा में यदि वमन हो रहा हो तो-भोजन बंद करके केवल फलों का रस देना ही अधिक उपयुक्त रहता है। - यदि उलटी (vomiting meaning in Hindi)का कारण लिवर सिरोसिस है, तो शराब का सेवन कभी न करें। विषाणुजनित यकृत की सूजन हो, तो इसकी समुचित और शीघ्रताशीघ्र चिकित्सा आवश्यक है।
- यदि उलटी(vomiting meaning in Hindi)का कारण आधाशीशी का दर्द है, तो ऐसे रोगी को तनाव से बचना चाहिए। सादा व सुपाच्य भोजन और भरपूर नींद लेनी चाहिए। चिकित्सकीय परामर्श से उपचार कराएँ अथवा परामर्श- लेकर सावधानी से दर्द निवारक दवाएँ ले सकते हैं।
- यदि उलटी(vomiting meaning in Hindi) का कारण गुर्दों के रोग हैं, तो ऐसे रोगियों में ग्लूकोज, चावल, चीनी लाभदायक रहते हैं। डायालिसिस एवं गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ सकती है।
- यदि उलटी(vomiting meaning in Hindi) का कारण हार्ट फेल्योर है, तो ऐसे रोगियों को नमक कम मात्रा में दें, आराम कराएँ, पर हाथ पैरों को हिलाते डुलाते रहें, जिससे उनकी शिराओं में रक्त न जमने पाए।
- यदि रोग का कारण आग्नाशय की सूजन है, तो ऐसे रोगी को मुँह से कुछ न देकर दर्द निवारक
दवाएँ सूचीवेध द्वारा नमक का घोल तथा कैल्शियम का घोल शिरा द्वारा सावधानी के साथ दें, जिनके लिए किसी योग्य चिकित्सक से अविलंब परामर्श करना आवश्यक होता है। - यदि उलटी(vomiting meaning in Hindi) का कारण जलक्षय (डिहाइड्रेशन) के कारण है, तो हर आधे-एक घंटे में ग्लूकोज अथवा नार्मल सैलाइन नस में चढ़ाना चाहिए। ऐसा उपचार उस समय भी करें, जब पेट में कुछ भी थम न रहा हो। भोजन बिलकुल भी न दें। फलों का रस दिया जा सकता है।
- शरीर ठंडा पड़ रहा हो, नाड़ी गुम हो गई हो, तो ऐसे में ‘निकेथामाइड’ इंजेक्शन का प्रयोग करें। प्लाज्मासान अथवा प्लाज्मा का भी प्रयोग किया जा सकता है।
- यदि खाँसी के तीव्र वेग से वमन/उलटी हो रही हो, तो सर्वप्रथम खाँसी के कारणों की चिकित्सा करें। खाँसी थमते ही वमन भी थम जायेगी।
- वमन (vomiting after eating food) का कारण यदि यात्राजन्य हो, तो एंटीएमिटिक औषधियाँ अथवा उससे निर्मित पेटेंट योग आवश्यकतानुसार दें।
- यदि वमन का कारण आमाशय एवं सेंद्रिय विषों के संचय के कारण है, तो इस अवस्था में वमन या आमाशय प्रक्षालन के द्वारा शीघ्र लाभ होता है अथवा गुनगुने पानी में सोडा बाईकार्ब मिलाकर पिलाना चाहिए। अथवा सुखपूर्वक वमन प्रवृत्ति न होने पर राइल्सट्यूब द्वारा आमाशय का शोधन करना चाहिए।
- रक्त विषमयता जन्य उलटी(vomiting meaning in Hindi) में-मूल व्याधि के कारणों का उपचार करने के अतिरिक्त शिरामार्ग से 5% ग्लूकोज का घोल समलवण जल मिलाकर बूँद-बूँद द्वारा (1 मिनट में 30-40 बूँद) 1 पाइंट की मात्रा में देना चाहिए इससे विषों का शोधन तथा विषमयता का शमन होता है और परिणाम में उलटी भी शांत हो जाती है।
- मोर पंख की राख (पंख को आग में जलाकर भस्म बना लें) 125 मि.ग्रा. की मात्रा में दिन में 4 बार, शहद में मिलाकर रोगी को देने से उलटी आना रुकती है-परीक्षित है।
- पीपल की छाल को जलाकर राख कर लें, फिर उसे उसी समय पानी में भिगों दें। इस पानी को निथाकर छान लें। 20-20 मि.ली. पीने से अत्यंत कष्टदायक वमन का शमन हो जाता है-परीक्षित है। प्याज का रस और अदरक का रस समान मात्रा में प्रयोग कराने से वमन पर तुरन्त रोक लग जाती है।
- वमन का स्पष्ट कारण न मिलने पर-‘कपूर का अर्क’ चीनी डालकर पिलाने से उलटी, जा3. पोदीना की 40 पत्तियाँ, कालीमिर्च 5 नग, काला नमक 2 ग्राम, बड़ी इलाचयी भुनी हुई 2 नग, कच्ची या पक्की इमली 3 ग्राम-इन सबको पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी के चाटने से सब तरह की वमन और अरुचि नष्ट हो जाती है। यह नुस्खा कभी-फेल नहीं होता है, पूर्ण परीक्षित है।
- पीपर 20 ग्राम, अनारदाना 40 ग्राम, जबाखार 6 ग्राम, काली मिर्च 50 ग्राम-इन सबको कूट-पीसकर गुड़ में सान लें और जंगली बेर समान (लगभग 125 मि.ग्रा.) की गोलियाँ बना लें। मात्रा – 4-4 ग्राम सुबह शाम खाने से वमन नष्ट होकर भूख लगती है और खाना भली प्रकार हजम होता है।
- बिजौर नींबू का रस 6 ग्राम, शहद 1 ग्राम और पीपर 1 ग्राम-इन सबको मिलाकर चाटने से वमन नष्ट हो जाती है, बहुत बार का परीक्षित है।
- यदि गर्भवती को उबकाई आ रही हो, तो पिसा-छना धनिया 3 ग्राम और मिश्री 6 ग्राम मिलाकर दें। ऊपर से चावलों को धोवन पिलायें । परीक्षित हैं।
- सफेद जीरा, कालानमक, मिश्री और कालीमिर्च इन सबको बराबर-बराबर लेकर महीन पीस-छान लें। इस चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से उलटी उलटी(vomiting meaning in Hindi) के लक्षणतत्काल बंद हो जाती है। इसमें जरा भी शक नहीं है। परीक्षित हैं।
- बड़ी इलायची के बीज का चूर्ण 4 भाग, स्वर्ण गैरिक चूर्ण 1 भाग, कपूर कचरी चूर्ण 1 भाग-इन सबको कूट-पीसकर छानकर रख लें। मात्रा-125 से 500 मि.ग्रा. अवस्थानुसार दिन में 1 या अनेक बार आवश्यकतानुसार दें। औषधि प्रति 10-10 मिनट पर मधु, शर्बत या दूध के साथ दें।
- छोटी इलाइची का चूर्ण 10 ग्राम, प्रवालपिष्टी 10 ग्राम, अकीक पिष्टी 10 ग्राम, जहरमोहरा पिष्टी 10 ग्राम, अमृतासत्व 10 ग्राम, ग्लूकोज या देशी बूरा 60 ग्राम-इन सबको मिलाकर शीशी में भरकर रख लें। मात्रा 2-3 ग्राम मधु या जल के साथ दें। यह पित्त जनित उलटी (vomiting meaning in Hindi)में विशेष लाभकारी है।
- उलटी के अतिरिक्त यह अनुभत योग अम्ल पित्त, दाह, चक्कर, हृदय की धड़कन वृद्धि, पित्तज
- बादाम 6 नग, मुनक्का 9 नग, मगज खरबूजा 4 ग्राम, छोटी इलायची 2 नग, मिश्री 10 ग्राम। इस योग को ठंडाई की तरह घोंटकर 1/2 कप पानी में मिलाकर देने से रोगी को चमत्कार दिखाता है।
- जब यकृत के नीचे दर्द हो. साथ में वमन होने पर कुछ आराम मिले, पुनः दर्द हो और दर्द बराबर बना रहे, मलावरोध हो तथा यकृत के स्थान पर दबाने से पीड़ा हो, तब योग देना शुभलाभकारी होता है, परीक्षित है।
- सूतशेखर (स्वर्ण युक्त) 1 गोली, प्रवालपंचामृत (मोती युक्त) 250 मि.ग्रा., स्वर्ण माक्षिक भस्म 250 मि.ग्रा., जहर मोहरा पिष्टी 250 मि.ग्रा.-इन सबका मिश्रण आवश्यकतानुसार दिन रात में 4 मात्रा तक दी जा सकती है।
- नोट-यदि उक्त योग मँहगा पड़े, तो साधारण सूतशेखर, मोती रहित प्रवाल पंचामृत का सेवन भी उलटी उलटी(vomiting meaning in Hindi) के लक्षण मे लाभदायक सिद्ध होता है।
- ताजा, हरा पोदीना, नींबू, अदरक, काला नमक, शकर तथा नौसादर-सबसे पहले पुदीना, नींबू तथा अदरक का रस अलग-अलग साफ बर्तनों में निकाल लेते हैं। इसके बाद के चौथे बर्तन में एक चम्मच पुदीने का रस, एक चम्मच नींबू का रस तथा एक चम्मच आदरक का रस डालकर मिला लेते हैं। इसी मिश्रण में एक चुटकी काला नमक, एक चुटकी शकर तथा एक चुटकी नौसादर मिलाकर पुनः घोल लेते हैं। यह घोल एक खुराक है।
- यह दवा अत्यंत स्वादिष्ट होती है। अतः गर्भवती स्त्रियों को उलटियाँ होने पर यह योग अवश्य देना चाहिए, किन्तु गर्भवती को देने के लिए उसमें नौसादर नहीं मिलाना चाहिए तैयार दवा को 30 मिनट के बाद प्रयोग के लिए नहीं रखना चाहिए। फ्रिज में इसे 1 घंटे तक रखा जा सकता है।
- यदि ताजा हरा पुदीना न मिल तो पुदीन हरा या सुखाए गए पुदीने के पाउडर का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसी तरह ताजा अदरक न मिलने पर सोंठ के पाउडर का प्रयोग करें। यह उलटी/वमननाशक (vomiting meaning in Hindi)अत्यंत उपयोगी योग हैं।
- लीला विलास रस 120 मि.ग्रा., सूतशेखर 120 मि.ग्रा., मयूरपिच्छ भस्म 500 मि.ग्रा., मुक्तापिष्टी 60 मि.ग्रा., पिप्पली चूर्ण 250 मि.ग्रा. । यह एक मात्रा है।
- भुनी बड़ी इलायची का चूर्ण 1-4 ग्राम + कचूर का चूर्ण 500 मि.ग्रा., मिलाकर मधु के साथ 4-6 घंटे के अन्तर पर दें। यह वमन(vomiting meaning in Hindi) के दुर्निवार वेगों में परम लाभकारी है।
- कामदुधा रस, वराटिका भस्म, हर्र का चूर्ण/प्रत्येक बार 2-2 ग्राम देने से उलटी समाप्त हो जाती है-अनुभूत हैं ।
- छोटे इलायची 10 नग, मुनक्का 10 नग, कालीमिर्च 15 नग, लौंग 10 नग, सेंधानमक 3 ग्राम, अदरक, मिश्री और भुना हुआ जीरा 12 ग्राम- इन सब वस्तुओं को महीन कूट-पीस कर 240 ग्राम सौंफ या पोदीना के अर्क में मिलाकर रख दें। कुछ समय के बाद सफेद कपड़े से छानकर बोतल में भर लें। वमन होने पर इस पानी को 12 ग्राम की मात्रा में रोगी को पिलाने से कै/उलटी (vomiting meaning in Hindi)फौरन बंद हो जाती है।
- लौंग 7 नग, छोटी इलायची के छिलके 7 नग और अदरक 12 ग्राम को जल के साथ खूब महीन पीसकर उसमें 24 ग्राम मिश्री मिला दें। तत्पश्चात् 250 ग्राम पानी में मिलाकर गर्म करें। औटाने पर छानकर दूसरे पात्र में रख लें। इस पात्र को जरा-सा गर्म रखें। 5-10 मिनट के अन्तर से 1-1 चम्मच रोगी को पिलाने से सूखी कै तत्काल बंद हो जाती है। वृमन में भी फायदा होता है।
- ध्यान रहे- रोगी को दिया जाने वाला यह जल निरंतर गर्म ही रहें, ठंडा न होने पावे-परीक्षित है। • वमन रोग में केवल वमन/उलटी(vomiting meaning in Hindi) बंद करने की दवा देने मात्र से ही कार्य सिद्ध नहीं होता। कारण पर ध्यान रखकर चिकित्सा करने से सफलता मिलती है।
- ध्यान रहे- रोगी को दिया जाने वाला यह जल निरंतर गर्म ही रहें, ठंडा न होने पावे-परीक्षित है। • वमन रोग में केवल वमन/उलटी बंद करने की दवा देने मात्र से ही कार्य सिद्ध नहीं होता। कारण पर ध्यान रखकर चिकित्सा करने से सफलता मिलती है। विष या विष चीजों के खाने के कारण वमन हो, तो वमन व दस्त कराएँ। इससे विष बाहर होकर शांति मिलेगी।
- अम्ल-पित्त, कृमि, यकृत की पीड़ा आदि से उलटी होने पर मूल रोग का इलाज करें। मूल रोग अच्छा होने पर उलटी(vomiting meaning in Hindi) खुद ही अच्छी हो जायेगी ।
- गर्भ के कारण होने वाला वमन समय पर खुद ही ठीक हो जाता है ।
- रेल आदि में यात्रा करने के कारण उलटी होने पर रोगी को कुछ नहीं देना चाहिए, केवल फलों का रस एवं फल दे सकते हैं।
- तेज गर्मी के प्रभाव से उत्पन्न उलटीउलटी(vomiting meaning in Hindi) के लक्षण में- धनियाँ 12 ग्राम (3 चम्मच) के चूर्ण को 250 ग्राम पानी में। घंटे के लिए भिगों दें । स्वाद के लिए 1 चम्मच मिश्री का चूर्ण भी मिला सकते हैं। एक घंटे बाद छानकर युवकों को 3-3 चम्मच तथा बच्चों को 1-1 चम्मच हर घंटे पर देते रहने से उलटी में आशातीत लाभ होता है। गर्मी से चक्कर, उलटी, दिल धड़कना आदि शिकायतें मिटती हैं। गर्भवती की उलटी(vomiting meaning in Hindi) भी ठीक होती है।
- हरे धनियों का पानी थोड़ी-थोड़ी देर के अन्तर से 1-1 बूँद पिलाना चाहिए। किसी भी कारण से के आ रही हो, तुरन्त बंद हो जायेगी।
- आधे नींबू का रस, पानी 30 मि.ली., जीस ग्राम, छोटी इलायची 1 ग्राम-इन सबको पीसकर पिलावे आवश्यकता पड़ने पर पुनः 2 घंटे बाद पिला सकते हैं। यह उलटी बंद करने का एक उत्तम योग है। 20. सोंठ का चूर्ण घी में पकाकर उसमें बताशा मिलाकर चटाने से बच्चों का दूध डालना बंद हो जाता है। वयस्कों में भी इसके सेवन से उलटी आनी बंद होती है।
- सत अजवायन, सत पोदीना, सत पिपरमेंट और कपूर मिलाकर 1-1 बूँद देने से वमन तत्काल रुकती है
- प्याज का रस 10 मि.ली. (2 चम्मच), पोदीने का रस 10 मि.ली. चीनी 10 ग्राम को मिलाकर दिन में 3 बार देने से वमन/उलटी(vomiting meaning in Hindi), अतिसार तथा हैजा ठीक हो जाता है। प्रयोग 3 दिन तक जारी रखें।
- हरड़ कालीमिर्च, सोंठ, पीपर, धनियाँ और सफेद जीरा-इनका चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पित्त की उलटी तथा तीनों दोषों से हुई मितली, वमन व उलटी शांत हो जाती है, परीक्षित है।
- स्वर्ण सूतशेखर रस 125 मि.ग्रा., मोहरा खताई पिष्टि 250 मि.ग्रा. । ऐसी एक मात्रा दिन में 4 बार मधु के साथ दें।
- खट्टे अनार का रस 12 ग्राम, मुनक्का बीज रहित 12 ग्राम, जीरा सफेद भुना हुआ 3 ग्राम-इन सबको पीसकर खिलायें, अनुभूत है।
- हल्दी की गाँठ आग में डालकर जलाएँ फिर पानी में बुझाने के बाद उस पानी को पिलाये। उलटी(vomiting meaning in Hindi) में तत्काल लाभ होता है। यह योग राजवैद्य पं. सुरेन्द्रनाथ दीक्षित का है।
- शुद्ध गंधक, कालीमिर्च, वायविडंग, पीपरि छोटी, कालानमक 20-20 ग्राम-सबको कूट-पीस छानकर नींबू के रस में घोंटकर चना बराबरं गोली बनाकर सुखा लें। 2-2 गोली दिन में 3-4 बार दें।
- मोरेठी, मुनक्का और सोंठ थोड़ी-थोड़ी लेकर दूध में पकते समय डाल दें। फिर उस दूध को छानकर पिलावें, उलटी (vomiting meaning in Hindi)में लाभकारी है।
- दालचीनी का चूर्ण 4 ग्राम, इलायची का चूर्ण 4 ग्राम, सोंठ का चूर्ण 4 ग्राम-तीनों को अच्छी तरह मिला लिया जाए। मात्रा-10 से 15 ग्राम दिन में 3 बार ।
उलटी की औषधीया (vomiting tablet )
- सूत शेखर रस 2 गोली दिन मे 2 बार
- लघु सूत शेखर रस -2 गोली दिन मे 2 बार
- Amlant tab-2 गोली दिन मे 2 बार
- लीलाविलास रस-1गोली दिन मे 2 बार
- कामदूधा रस -2 गोली दिन मे 2 बार
- अविपत्तिकर चूर्ण-10 gm दिन मे 2 बार
- शंख वटी-2 गोली दिन मे 2 बार
- Digestive Care Capsules -10 ml दिन मे 2 बार
- Gut Health Juice-10 ml दिन मे 2 बार
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