उल्टी (वमन) की समस्या: विस्तृत परिचय
उल्टी क्या है? (What is Vomiting?)
उल्टी (Vomiting), जिसे वमन या कै (Emesis) भी कहा जाता है, एक शारीरिक प्रक्रिया है जिसमें पेट के अंदर का भोजन या द्रव मुंह के रास्ते बाहर निकल जाता है। यह शरीर की एक सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया है जो हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। हालांकि, बार-बार उल्टी होने से शरीर में पानी और पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे डिहाइड्रेशन और कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
उल्टी एक सामान्य समस्या है जो कई कारणों से हो सकती है। अधिकांश मामलों में यह अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन यदि लक्षण गंभीर हों तो डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। इस लेख में आगे हम उल्टी के 50 प्रभावी घरेलू उपचार और आयुर्वेदिक दवाओं (Vomiting Tablet) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
उल्टी के प्रकार (Types of Vomiting)
उल्टी कई प्रकार की हो सकती है, जो इसके कारणों पर निर्भर करती है:
- तीव्र उल्टी (Acute Vomiting) – अचानक शुरू होने वाली उल्टी, जो आमतौर पर फूड पॉइजनिंग, संक्रमण या मोशन सिकनेस के कारण होती है।
- पुरानी उल्टी (Chronic Vomiting) – लंबे समय तक बनी रहने वाली उल्टी, जो पेट के अल्सर, गैस्ट्रिक समस्याओं या गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकती है।
- प्रोजेक्टाइल वमन (Projectile Vomiting) – तेजी से और जोरदार ढंग से होने वाली उल्टी, जो अक्सर शिशुओं में पाइलोरिक स्टेनोसिस (Pyloric Stenosis) जैसी समस्याओं के कारण होती है।
- रक्तयुक्त उल्टी (Hematemesis) – उल्टी में खून आना, जो पेट के अल्सर या गैस्ट्रिक ब्लीडिंग का संकेत हो सकता है।
उल्टी क्यों होती है? (Why Does Vomiting Occur?)
उल्टी मस्तिष्क के वोमिटिंग सेंटर (Vomiting Center) द्वारा नियंत्रित होती है, जो विभिन्न संकेतों के आधार पर उल्टी को ट्रिगर करता है। यह संकेत निम्नलिखित स्रोतों से मिल सकते हैं:
- पेट और आंतों में जलन (जैसे संक्रमण, फूड पॉइजनिंग)।
- मस्तिष्क से सीधे संकेत (जैसे माइग्रेन, मोशन सिकनेस)।
- रक्त में विषाक्त पदार्थों की मौजूदगी (जैसे शराब, कीमोथेरेपी दवाएं)।
- हार्मोनल बदलाव (जैसे गर्भावस्था में मॉर्निंग सिकनेस)।
उल्टी के साथ अन्य संबंधित लक्षण
उल्टी अक्सर अन्य लक्षणों के साथ होती है, जैसे:
- मतली (Nausea) – उल्टी से पहले बेचैनी और उबकाई आना।
- पेट दर्द – अपच, गैस या संक्रमण के कारण।
- सिरदर्द – माइग्रेन या डिहाइड्रेशन के कारण।
- बुखार – वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन का संकेत।
- दस्त (Diarrhea) – फूड पॉइजनिंग या गैस्ट्रोएंटराइटिस के साथ।
- कब डॉक्टर से संपर्क करें? (When to See a Doctor?)
- निम्नलिखित स्थितियों में तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए:
- ✔ उल्टी में खून या काला पदार्थ आना।
- ✔ तीव्र पेट दर्द के साथ उल्टी होना।
- ✔ 24 घंटे से अधिक समय तक उल्टी जारी रहना।
- ✔ गर्भवती महिलाओं में अत्यधिक उल्टी (Hyperemesis Gravidarum)।
- ✔ शिशुओं में बार-बार उल्टी
उल्टी (वमन) के कारण – विस्तृत विवरण
(Causes of Vomiting in Detail – in Hindi)

उल्टी एक सामान्य लेकिन कष्टदायक समस्या है जो कई शारीरिक और मानसिक कारणों से हो सकती है। यह शरीर की एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है जो हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। आइए, उल्टी के विभिन्न कारणों को विस्तार से समझते हैं:
- 1. पाचन तंत्र संबंधी कारण (Gastrointestinal Causes)-पेट और आंतों से जुड़ी समस्याएं उल्टी का सबसे आम कारण हैं:
- फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning)
- दूषित भोजन या पानी में मौजूद बैक्टीरिया (साल्मोनेला, ई. कोलाई), वायरस या टॉक्सिन्स के कारण उल्टी होती है।
- लक्षण: तेज पेट दर्द, दस्त, बुखार।
- गैस्ट्रोएंटराइटिस (Stomach Flu)
- आमतौर पर नोरोवायरस या रोटावायरस के कारण होता है।
- लक्षण: पानी जैसी उल्टी, दस्त, ऐंठन।
- अपच (Indigestion) या अधिक भोजन (Overeating)
- ज्यादा तला-भुना या मसालेदार भोजन खाने से पेट में गड़बड़ी हो सकती है।
- गैस्ट्रिक समस्याएं (Gastric Issues)
- एसिडिटी (Acidity) – पेट में अम्ल की अधिकता से जी मिचलाना।
- गैस्ट्रिक अल्सर (Peptic Ulcer) – पेट या ग्रहणी (Duodenum) में घाव होने पर उल्टी में खून आ सकता है।
- गैलस्टोन (Gallstones) – पित्ताशय में पथरी होने पर पीलिया और उल्टी हो सकती है।
- आंतों में रुकावट (Intestinal Obstruction)
- हर्निया या ट्यूमर के कारण आंतों में ब्लॉकेज होने पर प्रोजेक्टाइल उल्टी होती है।
- फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning)
- 2. संक्रमण (Infections)-कई प्रकार के संक्रमण उल्टी को ट्रिगर कर सकते हैं:
- (A) वायरल बुखार (Viral Fever)
- डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसे संक्रमणों में उल्टी एक सामान्य लक्षण है।
- (B) मेनिनजाइटिस (Meningitis)
- मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में सूजन होने पर गंभीर उल्टी होती है।
- (C) कान का संक्रमण (Ear Infection)
- मध्य कान में संक्रमण (Labyrinthitis) से चक्कर और उल्टी आ सकती है।
- (D) यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI)
- गुर्दे के संक्रमण (Pyelonephritis) में भी उल्टी हो सकती है।
- (A) वायरल बुखार (Viral Fever)
- 3. मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र से जुड़े कारण (Neurological Causes)
- (A) माइग्रेन (Migraine)
- तेज सिरदर्द के साथ उल्टी और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता हो सकती है।
- (B) मोशन सिकनेस (Motion Sickness)
- कार, बस या नाव में यात्रा के दौरान असंतुलन के कारण उल्टी होती है।
- (C) ब्रेन ट्यूमर या चोट (Brain Injury/Tumor)
- दिमाग पर दबाव पड़ने से लगातार उल्टी हो सकती है।
- (D) मिर्गी (Epilepsy)
- कुछ मिर्गी के दौरे उल्टी का कारण बन सकते हैं।
- (A) माइग्रेन (Migraine)
- 4. हार्मोनल और मेटाबोलिक कारण (Hormonal & Metabolic Causes)
- (A) गर्भावस्था (Pregnancy – Morning Sickness)
- प्रेगनेंसी के पहले तीन महीनों में एस्ट्रोजन और hCG हार्मोन के बढ़ने से उल्टी होती है।
- (B) डायबिटीज केटोएसिडोसिस (Diabetic Ketoacidosis)
- ब्लड शुगर अत्यधिक बढ़ने पर शरीर में केटोन्स बनते हैं, जिससे उल्टी हो सकती है।
- (C) थायराइड डिसऑर्डर (Thyroid Disorders)
- हाइपरथायरॉइडिज्म (Hyperthyroidism) में भी उल्टी की समस्या हो सकती है।
- (A) गर्भावस्था (Pregnancy – Morning Sickness)
- 5. दवाओं और विषाक्त पदार्थों के कारण (Drugs & Toxins)
- (A) कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
- कैंसर की दवाएं मस्तिष्क के वोमिटिंग सेंटर को सक्रिय कर देती हैं।
- (B) अधिक शराब पीना (Alcohol Poisoning)
- शराब में मौजूद टॉक्सिन्स लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे उल्टी होती है।
- (C) भारी धातु विषाक्तता (Heavy Metal Poisoning)
- लेड (सीसा) या आर्सेनिक के संपर्क में आने से उल्टी हो सकती है।
- (A) कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
- 6. मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological Causes)
- (A) तनाव और चिंता (Anxiety & Stress)
- अत्यधिक घबराहट या डर के कारण उल्टी हो सकती है।
- (B) बुलिमिया नर्वोसा (Bulimia Nervosa)
- खाने के बाद जानबूझकर उल्टी करना (एक इटिंग डिसऑर्डर)।
- (A) तनाव और चिंता (Anxiety & Stress)
- 7. अन्य कारण (Other Causes)
- सनस्ट्रोक (Heatstroke) – अधिक गर्मी में डिहाइड्रेशन से उल्टी।
- एपेंडिसाइटिस (Appendicitis) – पेट के निचले हिस्से में दर्द के साथ उल्टी।
- हार्ट अटैक (Heart Attack) – कभी-कभी सीने में दर्द के साथ उल्टी हो सकती है।
उल्टी के कारणों को समझकर ही सही उपचार किया जा सकता है। यदि उल्टी 24 घंटे से अधिक समय तक रहे या खून आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगले भाग में हम उल्टी रोकने के 50 घरेलू उपाय और आयुर्वेदिक इलाज पर चर्चा करेंगे।
उल्टी (वमन) के लक्षण – पूरी जानकारी
(Symptoms of Vomiting in Detail – in Hindi)
उल्टी केवल एक लक्षण नहीं बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकती है। यह अक्सर अन्य शारीरिक प्रतिक्रियाओं के साथ होती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि उल्टी के साथ कौन-कौन से लक्षण प्रकट हो सकते हैं और वे क्या संकेत देते हैं:
1. उल्टी से पहले के लक्षण (Premonitory Symptoms)
- (A) मतली (Nausea)
- उल्टी से पहले जी मिचलाने की भावना होती है
- मुंह में लार बढ़ जाती है
- निगलने में तकलीफ महसूस हो सकती है
- (B) पेट में असुविधा (Abdominal Discomfort)
- पेट के ऊपरी हिस्से में भारीपन
- पेट फूलने की अनुभूति
- हल्की ऐंठन या दर्द
- (C) अन्य शारीरिक प्रतिक्रियाएं
- चेहरे का पीला पड़ना
- ठंडा पसीना आना
- हृदय गति बढ़ना (Tachycardia)
2. उल्टी के दौरान के लक्षण (Symptoms During Vomiting)
- (A) उल्टी की प्रकृति
- सामान्य उल्टी: भोजन या पानी जैसा द्रव निकलना
- प्रोजेक्टाइल वमन: तेज दबाव के साथ उल्टी का फेंकना
- सूखी उल्टी (Dry Heaving): उल्टी का आभास होना पर कुछ न निकलना
- (B) उल्टी के पदार्थ का रंग और बनावट
- हरा/पीला: पित्त (Bile) की उपस्थिति
- भूरा/काला: पेट में रक्तस्राव (Coffee-ground vomiting)
- लाल रक्त: ताजा रक्तस्राव
- अधजला भोजन: अपच की स्थिति
3. उल्टी के बाद के लक्षण (Post-Vomiting Symptoms)
- (A) तुरंत बाद की प्रतिक्रियाएं
- मुंह में कड़वा या खट्टा स्वाद
- गले में जलन
- शरीर में कमजोरी
- (B) दीर्घकालिक प्रभाव (यदि बार-बार उल्टी हो)
- निर्जलीकरण (Dehydration)
- वजन घटना
- दांतों के इनेमल को नुकसान (एसिडिक उल्टी से)
4. संबंधित लक्षण (Associated Symptoms)
- (A) पाचन तंत्र से जुड़े
- दस्त (Diarrhea)
- पेट में मरोड़
- सीने में जलन (Heartburn)
- (B) स्नायु तंत्र से जुड़े
- चक्कर आना
- सिरदर्द (विशेषकर माइग्रेन में)
- दृष्टि धुंधली होना
- (C) सामान्य लक्षण
- बुखार
- शरीर में दर्द
- भूख न लगना
5. गंभीर लक्षण जो खतरे का संकेत देते हैं (Red Flag Symptoms)
लक्षण | संभावित कारण |
---|---|
उल्टी में खून आना | पेप्टिक अल्सर, गैस्ट्रिक कैंसर |
तेज पेट दर्द | एपेंडिसाइटिस, आंतों में रुकावट |
गंभीर सिरदर्द | मेनिनजाइटिस, ब्रेन हेमरेज |
24 घंटे से अधिक उल्टी | गंभीर संक्रमण, आंतों की बीमारी |
पीलिया के साथ उल्टी | लीवर या पित्ताशय की समस्या |
6. विशेष स्थितियों में लक्षण
- (A) गर्भावस्था में उल्टी
- सुबह के समय अधिक तकलीफ (Morning sickness)
- कुछ विशिष्ट गंधों से उबकाई आना
- आमतौर पर चौथे महीने तक कम हो जाती है
- (B) शिशुओं में उल्टी
- दूध पिलाने के तुरंत बाद फेंकना (Spitting up)
- फव्वारे की तरह उल्टी (Pyloric stenosis)
- रोने के साथ उल्टी (Intussusception)
उल्टी के लक्षणों को समझकर आप इसके अंतर्निहित कारण का पता लगा सकते हैं। यदि उल्टी के साथ कोई गंभीर लक्षण दिखाई दे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। सामान्य मामलों में घरेलू उपचार और आयुर्वेदिक दवाओं से राहत मिल सकती है, जिसके बारे में हम अगले भाग में चर्चा करेंगे।
उल्टी रोकने के 50 प्रभावी घरेलू उपाय
(50 Effective Home Remedies for Vomiting in Hindi)

उल्टी की समस्या होने पर कुछ सरल घरेलू नुस्खे आराम दिला सकते हैं। यहां उल्टी को तुरंत नियंत्रित करने के 50 प्राकृतिक उपाय दिए गए हैं:
- 1. अदरक (Ginger)
- उपयोग: 1 इंच अदरक को कूटकर 1 कप पानी में उबालें, छानकर धीरे-धीरे पिएं।
- लाभ: अदरक में मौजूद जिंजरोल पाचन तंत्र को शांत करता है।
- 2. पुदीना (Mint)
- उपयोग: 5-6 पुदीने की पत्तियां चबाएं या पुदीने की चाय बनाकर पिएं।
- लाभ: मेंथॉल पेट की मांसपेशियों को आराम देता है।
- 3. जीरा (Cumin)
- उपयोग: 1 चम्मच भुना जीरा पाउडर गुनगुने पानी के साथ लें।
- लाभ: पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करता है।
- 4. सौंफ (Fennel)
- उपयोग: 1 चम्मच सौंफ चबाएं या इसका पानी पिएं।
- लाभ: एंटीस्पास्मोडिक गुणों से उल्टी रोकता है।
- 5. नींबू (Lemon)
- उपयोग: नींबू के रस में शहद मिलाकर चाटें या सूंघें।
- लाभ: विटामिन सी और एसिड मतली कम करते हैं।
- 6. लौंग (Clove)
- उपयोग: 2-3 लौंग चबाएं या लौंग का तेल सूंघें।
- लाभ: एंटीबैक्टीरियल गुण संक्रमण से बचाते हैं।
- 7. इलायची (Cardamom)
- उपयोग: 2 इलायची पीसकर गर्म पानी में मिलाकर पिएं।
- लाभ: पेट की गैस और ऐंठन दूर करता है।
- 8. ठंडा पानी (Cold Water)
- उपयोग: मुंह पर ठंडे पानी के छींटे मारें या घूंट-घूंट कर पिएं।
- लाभ: शरीर का तापमान कम करता है।
- 9. तुलसी (Basil)
- उपयोग: 10 तुलसी पत्तों का रस निकालकर 1 चम्मच शहद में मिलाकर लें।
- लाभ: एंटीमाइक्रोबियल गुण संक्रमण से लड़ते हैं।
- 10. सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar)
- उपयोग: 1 चम्मच ACV + 1 गिलास पानी में मिलाकर पिएं।
- लाभ: पेट के pH संतुलन को ठीक करता है।
- 11-20: अन्य प्रभावी उपाय
- दालचीनी चाय (Cinnamon Tea) – पेट की जलन शांत करे
- चावल का मांड – उबले चावल का पानी पिएं
- अजवाइन (Carom Seeds) – 1 चम्मच अजवाइन गर्म पानी के साथ
- कच्चा आलू – आलू का रस (1 चम्मच)
- प्याज का रस – 1 चम्मच शहद के साथ
- केला – पोटेशियम की कमी दूर करे
- नारियल पानी – इलेक्ट्रोलाइट्स बहाल करे
- योगर्ट – प्रोबायोटिक्स से पाचन ठीक करे
- हींग – 1 चुटकी हींग गर्म पानी में
- धनिया बीज – 1 चम्मच भिगोकर पानी पिएं
21-30: आयुर्वेदिक नुस्खे
- एलोवेरा जूस – 2 चम्मच सुबह-शाम
- अश्वगंधा चूर्ण – दूध के साथ
- त्रिफला चूर्ण – रात को गर्म पानी में
- शतावरी – हार्मोनल उल्टी में उपयोगी
- यष्टिमधु (मुलेठी) – एसिडिटी दूर करे
- गिलोय का रस – इम्युनिटी बढ़ाए
- आंवला पाउडर – विटामिन सी से भरपूर
- हरड़ का चूर्ण – पाचन सुधारे
- पिप्पली चूर्ण – कफजन्य उल्टी में
- सोंठ का काढ़ा – गर्भावस्था में सुरक्षित
31-40: सरल तरीके
- गहरी सांस लें – तनाव कम करे
- एक्यूप्रेशर – कलाई के नीचे दबाव बिंदु मसाज करें
- ठोस भोजन से परहेज – केवल तरल पदार्थ लें
- कमरे को ठंडा रखें – गर्मी उल्टी बढ़ा सकती है
- तेज गंध से दूर रहें – परफ्यूम, कूकिंग स्मेल आदि
- करेले का जूस – 1 चम्मच सुबह खाली पेट
- अनार का रस – एसिडिटी कम करे
- मेथी के बीज – रातभर भिगोकर पानी पिएं
- गाजर का सूप – पोषण प्रदान करे
- छाछ – नमक और जीरा मिलाकर पिएं
41-50: अतिरिक्त उपचार
- लहसुन – 1 कली शहद के साथ
- शहद और दालचीनी – गर्म पानी में मिलाकर
- संतरे का छिलका – सूंघने से मतली कम हो
- काली मिर्च पाउडर – नींबू रस में मिलाकर
- तरबूज – हल्का और पचने में आसान
- अंगूर का रस – एसिडिक उल्टी में राहत
- बर्फ के टुकड़े चूसें – डिहाइड्रेशन रोके
- पपीता – पपेन एंजाइम से पाचन सुधारे
- सौंठ और गुड़ – गर्म पानी में मिलाकर
- लिकोरिस टी – पेट की सूजन कम करे
अगले भाग में हम उल्टी के आयुर्वेदिक इलाज पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
आयुर्वेद में उल्टी (छर्दि) को पित्त दोष के असंतुलन का प्रमुख लक्षण माना जाता है। यहां हम उल्टी के आयुर्वेदिक कारण, निदान और उपचार की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं:
आयुर्वेद के अनुसार उल्टी के प्रकार
आयुर्वेद में उल्टी को 5 प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
- वातज छर्दि
- लक्षण: सूखी उल्टी, पेट में दर्द, ऐंठन
- कारण: अनियमित खानपान, अधिक शुष्क भोजन
- पित्तज छर्दि
- लक्षण: पीली/हरी उल्टी, जलन, बुखार
- कारण: तीखा/गर्म भोजन, पित्त प्रकोप
- कफज छर्दि
- लक्षण: सफेद चिपचिपी उल्टी, मुंह में मिठास
- कारण: भारी/ठंडा भोजन, कफ दोष
- त्रिदोषज छर्दि
- लक्षण: मिश्रित लक्षण, गंभीर स्थिति
- आगंतुज छर्दि
- कारण: विषाक्त पदार्थ, चोट या भय के कारण
उल्टी के लिए प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएं
(Best Ayurvedic Medicines for Vomiting in Hindi)
आयुर्वेद में उल्टी (छर्दि) के उपचार के लिए कई प्रभावी औषधियां उपलब्ध हैं। यहां उल्टी रोकने वाली प्रमुख आयुर्वेदिक दवाओं की सूची दी जा रही है:
1. क्लासिक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन
A. चूर्ण (पाउडर)
दवा का नाम | प्रमुख घटक | उपयोग विधि |
---|---|---|
हिंग्वाष्टक चूर्ण | हींग, अजवाइन, सोंठ | 1-3 ग्राम गर्म पानी के साथ |
पंचकोल चूर्ण | पिप्पली, चित्रक, सोंठ | 2-3 ग्राम छाछ के साथ |
लवण भास्कर चूर्ण | सैंधा नमक, अजवाइन | 1-2 ग्राम गर्म पानी में |
सितोपलादि चूर्ण | मिश्री, वंशलोचन | 1-3 ग्राम शहद के साथ |
B. गोलियां (वटी/गुटिका)
दवा का नाम | प्रमुख घटक | उपयोग विधि |
---|---|---|
संजीवनी वटी | विडंग, सोंठ, पिप्पली | 1-2 गोली पानी के साथ |
हिंगु गुटिका | हींग, सोंठ, सैंधा नमक | 1 गोली भोजन के बाद |
चित्रकादि वटी | चित्रक, पिप्पली | 1-2 गोली त्रिफला क्वाथ के साथ |
लगु सूतशेखर रस | शुद्ध पारा, गंधक | 125-250 मिग्रा शहद के साथ |
C. काढ़े एवं अरिष्ट
दवा का नाम | प्रमुख घटक | उपयोग विधि |
---|---|---|
छर्दिहर कषाय | मुस्ता, नागरमोथा | 10-20 मिली सुबह-शाम |
पटोलादि क्वाथ | पटोल, नीम छाल | 15-30 मिली काढ़ा |
अमृतारिष्ट | गुडूची, हरिद्रा | 15-30 मिली समान जल के साथ |
2. रस औषधियां (मिनरल बेस्ड)
दवा का नाम | प्रमुख घटक | विशेष उपयोग |
---|---|---|
शंख भस्म | शंख का भस्म | अम्लपित्त जन्य उल्टी |
प्रवाल पिष्टी | प्रवाल भस्म | गर्भावस्था में उल्टी |
कामदुधा रस | स्वर्ण भस्म, मुक्ता | क्रोनिक उल्टी |
सूतशेखर रस | शुद्ध पारद | माइग्रेन से उल्टी |
3. विशेष स्थितियों के लिए दवाएं
गर्भावस्था में उल्टी
- शतावरी चूर्ण – 3-5 ग्राम दूध के साथ
- बादाम पाक – 1 चम्मच सुबह-शाम
- प्रवाल पंचामृत – 125 मिग्रा मिश्री के साथ

4. आयुर्वेदिक टॉनिक एवं अन्य
- च्यवनप्राश – 1 चम्मच सुबह (प्रतिरक्षा बढ़ाने हेतु)
- अमृत कलश – 5-10 मिली (पाचन सुधारने हेतु)
- द्राक्षासव – 15-30 मिली (कमजोरी दूर करने हेतु)
उपयोग करने की सामान्य विधि
- अधिकांश चूर्ण: 1-3 ग्राम गर्म जल/छाछ के साथ
- गोलियां: 1-2 गोली (आमतौर पर 125-500 मिग्रा)
- काढ़े: 10-30 मिली सुबह-शाम
- भस्म/पिष्टी: 30-125 मिग्रा शहद/घी के साथ
सावधानियां
- रस औषधियों का प्रयोग केवल आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में करें
- गर्भावस्था में किसी भी दवा का प्रयोग विशेषज्ञ से पूछकर ही करें
- धातु/खनिज आधारित दवाएं (भस्म) लंबे समय तक बिना परामर्श के न लें
आयुर्वेदिक डाइट (आहार विधि)
खाने के नियम
✔ सेवन करें:
- मूंग दाल की खिचड़ी
- जौ का पानी
- पुराने चावल
- छाछ (सौंफ मिलाकर)
✖ परहेज:
- दूध और दही
- भारी तले भोजन
- खट्टे फल
पंचकर्म चिकित्सा
गंभीर मामलों में विशेष उपचार:
- वमन कर्म: औषधीय उल्टी कराकर पित्त शुद्धि
- नस्यम: अंजन और नस्य (घी की बूंदें)
- पेट पर लेप: सौंठ+हरिद्रा का उबटन
योग और प्राणायाम
- वज्रासन: भोजन के बाद 10 मिनट
- शीतली प्राणायाम: पित्त शांत करने हेतु
- कपालभाति: पाचन सुधारने के लिए
गर्भावस्था में उल्टी का आयुर्वेदिक इलाज
- इमली का पानी: छोटी इमली+गुड़+जीरा उबालकर पिएं
- एलाची दूध: 1 इलायची उबले दूध में
- नारियल पानी: सुबह खाली पेट
बच्चों के लिए सुरक्षित उपचार
- बादाम पाक: 1 चम्मच सुबह-शाम
- धात्री लौह: 10-20 मिग्रा शहद के साथ
सावधानियाँ
• 48 घंटे से अधिक उल्टी होने पर वैद्य से परामर्श लें
• स्व-चिकित्सा से बचें विशेषकर गर्भावस्था में
🩺 भारत में उल्टी की 20 प्रमुख दवाएँ (Vomiting Tablets in India)

क्र. | ब्रांड नाम (Brand) | सक्रिय तत्व (Active Ingredient) | उपयोग |
---|---|---|---|
1 | Emeset | Ondansetron | कीमोथेरेपी, गर्भावस्था, फूड पॉइजनिंग में उल्टी |
2 | Ondem | Ondansetron | मतली और उल्टी की रोकथाम |
3 | Domstal | Domperidone | गैस्ट्रिक परेशानी, मतली |
4 | Vomikind | Ondansetron | बच्चों और वयस्कों में उल्टी रोकने हेतु |
5 | Perinorm | Metoclopramide | डाइजेशन से जुड़ी उल्टी में |
6 | Razo D | Rabeprazole + Domperidone | गैस्ट्रिक उल्टी, एसिड रिफ्लक्स |
7 | Granicip | Granisetron | कीमोथेरेपी के कारण उल्टी |
8 | Navidoxine | Doxylamine + Pyridoxine | गर्भावस्था की उल्टी |
9 | Meclizine | Meclizine Hydrochloride | सफर में होने वाली उल्टी (मोशन सिकनेस) |
10 | Avomine | Promethazine | ट्रैवल सिकनेस, मिचली में असरदार |
11 | Emset-L | Ondansetron + Levosulpiride | जी मिचलाना और मतली दोनों |
12 | Vomistop | Domperidone | भोजन के बाद मिचली और गैस्ट्रिक डिसऑर्डर |
13 | Doxinate | Doxylamine + Pyridoxine + Folic Acid | प्रेगनेंसी में मिचली और उल्टी |
14 | Mosegor | Pizotifen | सिरदर्द के साथ मिचली |
15 | Vertin | Betahistine | वर्टिगो और मतली के लिए |
16 | Zofer | Ondansetron | उल्टी रोकने में उपयोगी |
17 | Itopride | Itopride Hydrochloride | जी मिचलाने और अपच के कारण उल्टी |
18 | Sizodon Plus | Risperidone + Trihexyphenidyl | मानसिक रोगों में मिचली के साइड इफेक्ट कम करने |
19 | Cyclopam | Dicyclomine + Paracetamol | पेट दर्द के साथ मतली में असरदार |
20 | Emquil | Chlorpromazine | गंभीर उल्टी और मिचली |
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