(औरतों का पेटदर्द )what causes lower abdominal pain in females

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(औरतों का पेटदर्द )what causes lower abdominal pain in females

परिचय

महिलाओं में निचले पेट में दर्द (Lower Abdominal Pain) एक आम समस्या है, जो कई कारणों (what causes lower abdominal pain in females) से हो सकती है। यह दर्द हल्का या तेज, स्थायी या आवधिक हो सकता है। कुछ मामलों में यह सामान्य होता है, जैसे मासिक धर्म के दौरान, लेकिन कभी-कभी यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत भी दे सकता है। इस लेख में हम महिलाओं में निचले पेट दर्द के प्रमुख कारणों, लक्षणों, घरेलू उपचार और आयुर्वेदिक इलाज के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

महिलाओं में निचले पेट दर्द के मुख्य कारण (Causes of Lower Abdominal Pain in Females)

पेट दर्द के प्रकार - महिला

महिलाओं में पेट दर्द को समझना

महिलाओं को होने वाले पेट दर्द के विभिन्न प्रकारों को समझना निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण है। पेट दर्द कई कारकों के कारण हो सकता है, जिसमें पाचन संबंधी समस्याओं से लेकर प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ शामिल हैं। यह लेख महिलाओं में होने वाले पेट दर्द के विभिन्न प्रकारों, उनके संभावित कारणों और उनसे जुड़े लक्षणों के बारे में विस्तार से बताएगा।

कब्ज दर्द

 यह एक आम पाचन समस्या है जिसके परिणामस्वरूप मल त्याग में अनियमितता, कठिनाई या दर्द होता है। हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण, महिलाएँ विशेष रूप से कब्ज की शिकार होती हैं, जिसे अक्सर पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द या ऐंठन के रूप में वर्णित किया जाता है।

लक्षण

  • अनियमित मल त्याग (सप्ताह में तीन बार से कम)
  • कठोर या गांठदार मल
  • मल त्याग के दौरान तनाव
  • अधूरे निकासी की भावना

कारण

  • कम फाइबर आहार
  • निर्जलीकरण
  • शारीरिक गतिविधि का अभाव
  • कैल्शियम या एल्युमीनियम युक्त ओपिओइड और एंटासिड जैसी दवाएं

एंडोमेट्रियोसिस दर्द

एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय के अंदर की परत के समान ऊतक गर्भाशय के बाहर बढ़ता है, जिससे दर्द होता है और संभावित रूप से बांझपन हो सकता है। एंडोमेट्रियोसिस से जुड़ा दर्द अक्सर गंभीर होता है और यह दुर्बल करने वाला हो सकता है।

लक्षण

  • दर्दनाक मासिक धर्म ऐंठन
  • पुरानी श्रोणि दर्द
  • संभोग के दौरान दर्द
  • मासिक धर्म के दौरान दर्दनाक मल त्याग या पेशाब

कारणों

एंडोमेट्रियोसिस का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन इसमें आनुवंशिक, प्रतिरक्षात्मक और हार्मोनल कारक शामिल हो सकते हैं।

पेट के अल्सर का दर्द

पेप्टिक अल्सर के नाम से भी जाना जाने वाला यह एक खुला घाव है जो पेट की अंदरूनी परत पर विकसित होता है। पेट के अल्सर से जुड़े दर्द को अक्सर ऊपरी पेट में जलन या चुभन के रूप में वर्णित किया जाता है।

लक्षण

  • जलन पेट दर्द
  • सूजन
  • नाराज़गी
  • उलटी अथवा मितली
  • गंभीर मामलों में, खून की उल्टी या काले रंग का मल आना

कारणों

  • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच. पाइलोरी) से संक्रमण
  • NSAIDs (गैर-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) का दीर्घकालिक उपयोग
  • अत्यधिक शराब का सेवन
  • धूम्रपान

मासिक धर्म ऐंठन

महिलाओं में पेट दर्द का एक आम कारण डिसमेनोरिया भी है। यह दर्द आमतौर पर पेट के निचले हिस्से में होता है और हल्का से लेकर गंभीर तक हो सकता है।

लक्षण

  • पेट के निचले हिस्से में धड़कन या ऐंठन वाला दर्द
  • दर्द जो पीठ के निचले हिस्से और जांघों तक फैलता है
  • मतली
  • दस्त

कारणों

मासिक धर्म के दौरान गर्भाशय की मांसपेशियों के संकुचन के कारण गर्भाशय की परत बाहर निकल जाती है, जिससे मासिक धर्म में ऐंठन होती है।

डिम्बग्रंथि पुटी दर्द( ovarian cyst )

डिम्बग्रंथि पुटी तरल पदार्थ से भरी थैली होती है जो अंडाशय पर या उसके अंदर विकसित होती है। जबकि कई डिम्बग्रंथि पुटी हानिरहित होती हैं और कोई लक्षण पैदा नहीं करती हैं, कुछ गंभीर दर्द और जटिलताओं का कारण बन सकती हैं।

लक्षण

  • अचानक, गंभीर पेट दर्द
  • सूजन
  • दर्दनाक संभोग
  • लगातार पेशाब आना

कारणों

  • हार्मोनल असंतुलन
  • अन्तर्गर्भाशय – अस्थानता
  • गर्भावस्था
  • गंभीर पैल्विक संक्रमण

आई बी यस

IBS यह एक दीर्घकालिक स्थिति है जो बड़ी आंत को प्रभावित करती है और पेट दर्द सहित अनेक जठरांत्रीय लक्षण पैदा कर सकती है।

लक्षण

  • पेट में ऐंठन या दर्द
  • सूजन
  • गैस
  • दस्त या कब्ज, या दोनों के बीच बारी-बारी से बदलाव

कारणों

आईबीएस का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसमें आंत-मस्तिष्क अक्ष व्यवधान, जीवाणु असंतुलन और आंत की अतिसंवेदनशीलता का संयोजन शामिल है।

पेडू में दर्द (PELVIC INFLAMATORY DISEASE)

पैल्विक दर्द कई स्थितियों के कारण हो सकता है, जिसमें स्त्री रोग, मूत्र संबंधी और जठरांत्र संबंधी समस्याएं शामिल हैं। यह क्रोनिक या तीव्र हो सकता है और पीठ के निचले हिस्से या जांघों तक फैल सकता है।

लक्षण

  • पेट के निचले हिस्से में हल्का या तेज़ दर्द
  • संभोग के दौरान दर्द
  • मूत्र त्याग करने में दर्द
  • अनियमित मासिक धर्म

कारणों

  • अन्तर्गर्भाशय – अस्थानता
  • श्रोणि सूजन की बीमारी (PID)
  • मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई)
  • फाइब्रॉएड

गैस्ट्राइटिस के लक्षण

गैस्ट्राइटिस पेट की परत की सूजन है और इससे काफी असुविधा हो सकती है। गैस्ट्राइटिस से जुड़े दर्द को अक्सर ऊपरी पेट में चुभन या जलन के रूप में वर्णित किया जाता है।

लक्षण

  • ऊपरी पेट में दर्द
  • मतली
  • उल्टी
  • भूख में कमी
  • सूजन

कारणों

  • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच. पाइलोरी) से संक्रमण
  • NSAIDs का दीर्घकालिक उपयोग
  • अत्यधिक शराब का सेवन
  • तनाव

उदरीय सूजन

यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें जठरांत्र संबंधी मार्ग में गैस के निर्माण के कारण पेट भरा हुआ और कड़ा महसूस होता है। पेट फूलने से पेट में असुविधा और दर्द हो सकता है।

लक्षण

  • पेट में भरापन या जकड़न महसूस होना
  • पेट में सूजन दिखना
  • अत्यधिक गैस
  • डकार

कारणों

  • ज्यादा खा
  • हवा निगलना
  • कुछ खाद्य पदार्थ खाना (जैसे, बीन्स, दालें, कार्बोनेटेड पेय)
  • पाचन विकार (जैसे, आईबीएस, सीलिएक रोग)

महिलाओं को होने वाले पेट दर्द के विभिन्न प्रकारों को समझना सटीक निदान और प्रभावी उपचार के लिए आवश्यक है। कब्ज और मासिक धर्म में ऐंठन से लेकर एंडोमेट्रियोसिस और आईबीएस जैसी अधिक जटिल स्थितियों तक, प्रत्येक प्रकार के दर्द की अलग-अलग विशेषताएं और कारण होते हैं। यदि आपको लगातार या गंभीर पेट दर्द का अनुभव होता है, तो अंतर्निहित कारण की पहचान करने और उचित उपचार प्राप्त करने के लिए चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है। पेट दर्द के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानकारी होने से, महिलाएं अपने स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए सक्रिय कदम उठा सकती हैं।

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1. मासिक धर्म से संबंधित कारण

  • डिसमेनोरिया (Dysmenorrhea): मासिक धर्म के दौरान गर्भाशय के संकुचन से तेज दर्द होता है।
  • एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis): गर्भाशय की परत बाहर बढ़ने लगती है, जिससे पेट और पीठ में दर्द होता है।
  • पीसीओएस (PCOS): हार्मोनल असंतुलन से ओवरी में सिस्ट बन सकते हैं, जिससे दर्द होता है।

2. प्रजनन प्रणाली से जुड़े रोग

  • पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (PID): यौन संचारित संक्रमण से गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब या अंडाशय में सूजन हो सकती है।
  • ओवेरियन सिस्ट (Ovarian Cyst): अंडाशय में द्रव से भरी थैली बनने से दर्द होता है।
  • फाइब्रॉएड (Fibroids): गर्भाशय में गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर से दबाव और दर्द हो सकता है।

3. गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं

  • एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy): भ्रूण गर्भाशय के बाहर विकसित होता है, जिससे तेज दर्द होता है।
  • गर्भपात (Miscarriage): गर्भावस्था के शुरुआती चरण में दर्द और रक्तस्राव हो सकता है।

4. पाचन संबंधी समस्याएं

  • कब्ज (Constipation): मल सख्त होने से पेट में दर्द और सूजन हो सकती है।
  • गैस (Gas): अपच या गलत खानपान से गैस बनती है, जिससे दर्द होता है।
  • आंत्रशोथ (Gastroenteritis): पेट में संक्रमण से दर्द, दस्त और उल्टी हो सकती है।

5. मूत्र प्रणाली से जुड़े रोग

  • यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI): मूत्रमार्ग में संक्रमण से पेट के निचले हिस्से में जलन और दर्द होता है।
  • किडनी स्टोन (Kidney Stones): पथरी के कारण पेट और कमर में तेज दर्द हो सकता है।

6. अन्य कारण

  • एपेंडिसाइटिस (Appendicitis): अपेंडिक्स में सूजन से दाहिनी तरफ तेज दर्द होता है।
  • आंतों में रुकावट (Bowel Obstruction): आंत्र मार्ग अवरुद्ध होने से पेट में ऐंठन होती है।
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निचले पेट दर्द के लक्षण (Symptoms of Lower Abdominal Pain)

  • तेज ऐंठन या हल्का दर्द
  • पेट फूलना या गैस बनना
  • मतली या उल्टी आना
  • बुखार या ठंड लगना
  • पेशाब करते समय जलन
  • योनि से असामान्य स्राव
  • मासिक धर्म में अनियमितता

निचले पेट दर्द के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies for Lower Abdominal Pain)

महिलाओं में निचले पेट में दर्द (Lower Abdominal Pain) होना एक आम समस्या है, जो मासिक धर्म, गैस, संक्रमण या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण हो सकता है। अगर आप भी इस दर्द से परेशान हैं, तो ये 30 प्राकृतिक घरेलू उपाय आपको तुरंत आराम दिला सकते हैं।

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  1. गर्म पानी की थैली (Hot Water Bag)
    • पेट के निचले हिस्से पर गर्म पानी की थैली रखने से मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द कम होता है।
  2. अदरक की चाय (Ginger Tea)
    • अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो दर्द और सूजन को कम करते हैं।
  3. हींग (Asafoetida)
    • हींग को गर्म पानी में मिलाकर पीने से गैस और पेट दर्द में आराम मिलता है।
  4. पुदीने की चाय (Peppermint Tea)
    • पुदीना पाचन तंत्र को शांत करता है और ऐंठन कम करता है।
  5. योग और व्यायाम (Yoga & Exercise)
    • पवनमुक्तासन, बालासन और भुजंगासन जैसे योगासन पेट दर्द से राहत दिलाते हैं।
  6. हरड़ (Haritaki)
    • हरड़ पाचन को दुरुस्त करती है और पेट दर्द से राहत देती है।
  7. अशोक (Ashoka)
    • अशोक की छाल महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है और मासिक धर्म के दर्द को कम करती है।
  8. शतावरी (Shatavari)
    • शतावरी हार्मोनल संतुलन बनाए रखती है और पीसीओएस जैसी समस्याओं में लाभदायक है।
  9. कासनी (Chicory Root)
    • कासनी का काढ़ा पेट की सूजन और दर्द को कम करता है।
  10. त्रिफला (Triphala)
    • त्रिफला चूर्ण कब्ज दूर करके पेट दर्द से राहत दिलाता है।
  11. एलोवेरा जूस (Aloe Vera Juice)
    • ताजा एलोवेरा जूस पिएं, यह पेट की जलन और सूजन को कम करता है।
  12. सौंफ का पानी (Fennel Water)
    • एक चम्मच सौंफ रातभर पानी में भिगोकर सुबह पिएं।
    • यह पेट की गैस और दर्द को दूर करता है।
  13. जीरा पानी (Cumin Water)
    • एक चम्मच जीरा भूनकर पानी में उबालें और छानकर पिएं।
    • यह पाचन को ठीक करता है और दर्द से राहत देता है।
  14. दही (Curd/Yogurt)
    • दही में पाए जाने वाले प्रोबायोटिक्स पेट के संक्रमण को ठीक करते हैं।
  15. नारियल पानी (Coconut Water)
    • नारियल पानी पीने से पेट की गर्मी और दर्द शांत होता है।
  16. लहसुन (Garlic)
    • 2-3 कच्चे लहसुन की कलियाँ गर्म पानी के साथ लें।
    • यह पेट के कीड़े और संक्रमण को दूर करता है।
  17. सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar)
    • 1 चम्मच सेब का सिरका गर्म पानी में मिलाकर पिएं, यह पेट दर्द में आराम देता है।
  18. केला (Banana)
    • केले में पोटैशियम होता है, जो पेट की ऐंठन को कम करता है।
  19. मेथी के बीज (Fenugreek Seeds)
    • मेथी के बीजों को पानी में उबालकर पिएं, यह मासिक धर्म के दर्द में आराम देता है।
  20. कैमोमाइल चाय (Chamomile Tea)
    • कैमोमाइल चाय पीने से पेट की मांसपेशियाँ शांत होती हैं।
  21. नींबू पानी (Lemon Water)
    • गर्म पानी में नींबू और शहद मिलाकर पिएं, यह पाचन को दुरुस्त करता है।
  22. अजमोद (Parsley Tea)
    • अजमोद की पत्तियों को उबालकर चाय पिएं, यह पेट दर्द में आराम देती है।
  23. ओटमील (Oatmeal)
    • ओटमील खाने से पेट की सूजन कम होती है।
  24. अंजीर (Figs)
    • अंजीर को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाएं, यह कब्ज दूर करता है।
  25. अलसी के बीज (Flaxseeds)
    • अलसी के बीजों को पानी में भिगोकर खाएं, यह फाइबर से भरपूर है।
  26. गुड़ और अदरक (Jaggery with Ginger)
    • गुड़ और अदरक का सेवन करने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
  27. लौंग का तेल (Clove Oil)
    • लौंग के तेल की कुछ बूंदें पानी में मिलाकर पिएं, यह दर्द निवारक है।
  28. पपीता (Papaya)
    • पपीता खाने से पाचन ठीक रहता है और दर्द कम होता है।
  29. तिल का तेल (Sesame Oil Massage)
    • निचले पेट पर तिल का तेल लगाकर हल्की मालिश करें।
  30. धनिया का पानी (Coriander Water)
    • धनिया के बीज उबालकर पानी पिएं, यह पेट की गर्मी शांत करता है।
  31. गाजर का जूस (Carrot Juice)
    • गाजर का जूस पिएं, यह पेट के लिए बहुत फायदेमंद है।
  32. मुलेठी (Licorice Root Tea)
    • मुलेठी की चाय पेट की जलन और दर्द को कम करती है।
  33. काली मिर्च और शहद (Black Pepper with Honey)
    • काली मिर्च पाउडर को शहद के साथ लें, यह पेट दर्द में आराम देता है।

ये 33 घरेलू उपाय महिलाओं में निचले पेट दर्द को प्राकृतिक रूप से ठीक करने में मदद करते हैं। अगर दर्द गंभीर या लगातार बना रहता है, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

आयुर्वेदिक उपचार: महिलाओं में निचले पेट दर्द का स्थाई समाधान

महिलाओं में निचले पेट दर्द (Lower Abdominal Pain) के लिए आयुर्वेद एक प्रभावी और प्राकृतिक उपचार प्रदान करता है। आयुर्वेद के अनुसार, पेट दर्द “वात”, “पित्त” और “कफ” दोषों के असंतुलन के कारण होता है। इस लेख में हम निचले पेट दर्द के लिए आयुर्वेदिक दवाएं, जड़ी-बूटियाँ, आहार और जीवनशैली के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

1. निचले पेट दर्द के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ (Ayurvedic Herbs)

  • अशोक (Ashoka)
    • गुण: रक्तशोधक, गर्भाशय टॉनिक
    • लाभ: मासिक धर्म के दर्द, एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस में फायदेमंद
    • उपयोग: अशोक की छाल का काढ़ा बनाकर पिएं।
  • शतावरी (Shatavari)
    • गुण: हार्मोन बैलेंसर, रिप्रोडक्टिव हेल्थ टॉनिक
    • लाभ: हार्मोनल असंतुलन, ओवेरियन सिस्ट और पेल्विक दर्द में लाभकारी
    • उपयोग: 1 चम्मच शतावरी पाउडर गर्म दूध के साथ लें।
  • हरड़ (Haritaki)
    • गुण: पाचन शक्ति बढ़ाने वाली, कब्ज निवारक
    • लाभ: गैस, कब्ज और पेट फूलने से राहत
    • उपयोग: हरड़ चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लें।
  • अश्वगंधा (Ashwagandha)
    • गुण: एंटी-इंफ्लेमेटरी, तनाव निवारक
    • लाभ: तनाव से होने वाले पेट दर्द में आराम
    • उपयोग: 1 चम्मच अश्वगंधा पाउडर दूध के साथ लें।
  • गुडुची (Giloy)
    • गुण: इम्यूनिटी बूस्टर, एंटी-बैक्टीरियल
    • लाभ: पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (PID) और यूटीआई में फायदेमंद
    • उपयोग: गुडुची का रस या काढ़ा पिएं।

2. निचले पेट दर्द के लिए आयुर्वेदिक दवाएं (Ayurvedic

Medicines)

  • हिंग्वाष्टक चूर्ण (Hingwashtak Churna)
    • लाभ: गैस, अपच और पेट दर्द में राहत
    • उपयोग: 1/2 चम्मच चूर्ण गर्म पानी के साथ लें।
  • कुमारी आसव (Kumari Asava)
    • लाभ: मासिक धर्म अनियमितता और पेट दर्द में उपयोगी
    • उपयोग: 2 चम्मच आसव को पानी में मिलाकर पिएं।
  • पुनर्नवा मंडूर (Punarnava Mandoor)
    • लाभ: पेट की सूजन और दर्द में आराम
    • उपयोग: डॉक्टर की सलाह से लें।
  • चंद्रप्रभा वटी (Chandraprabha Vati)
    • लाभ: यूटीआई, किडनी स्टोन और पेट दर्द में लाभकारी
    • उपयोग: 1-2 गोली गर्म पानी के साथ लें।
  • दशमूलारिष्ट (Dashmularishta)
    • लाभ: पेल्विक दर्द और महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
    • उपयोग: 2 चम्मच आरिष्ट को पानी में मिलाकर पिएं।

3. निचले पेट दर्द के लिए आयुर्वेदिक आहार (Ayurvedic Diet)

  • पाचन को दुरुस्त रखने वाले आहार:
    • हल्का और गर्म भोजन (खिचड़ी, दलिया)
    • घी (पाचन शक्ति बढ़ाता है)
    • मूंग दाल (आसानी से पचने वाली)
    • पुराने चावल (वात शांत करते हैं)
  • परहेज करने वाले आहार:
    • ठंडे पेय (वात बढ़ाते हैं)
    • तला-भुना और मसालेदार भोजन
    • अधिक नमक और चीनी
    • प्रोसेस्ड फूड

4. निचले पेट दर्द के लिए आयुर्वेदिक जीवनशैली (Ayurvedic Lifestyle Tips)

  • योग और प्राणायाम:
    • पवनमुक्तासन (गैस और पेट दर्द में आराम)
    • भुजंगासन (पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है)
    • नाड़ी शोधन प्राणायाम (तनाव कम करता है)
  • अन्य उपाय:
    • अभ्यंग (तेल मालिश): नारियल या तिल के तेल से पेट की मालिश करें।
    • उष्णोपचार (गर्म सिंकाई): गर्म पानी की थैली से सिकाई करें।
    • पंचकर्म चिकित्सा: वमन, विरेचन जैसे उपचार लें (विशेषज्ञ की देखरेख में)।

5. विशेष स्थितियों के लिए आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Remedies for Specific Conditions)

  • मासिक धर्म में दर्द (Dysmenorrhea)
    • उपाय: अशोक का काढ़ा + दशमूलारिष्ट
    • आहार: गुड़ और अदरक का सेवन
  • पीसीओएस (PCOS) और ओवेरियन सिस्ट
    • उपाय: शतावरी + चंद्रप्रभा वटी
    • आहार: मेथी दाना, अलसी
  • यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI)
    • उपाय: गोक्षुरा चूर्ण + चंद्रप्रभा वटी
    • आहार: नारियल पानी, जौ का पानी
  • कब्ज और गैस (Constipation & Gas)
    • उपाय: त्रिफला चूर्ण + हिंग्वाष्टक चूर्ण
    • आहार: अंजीर, पपीता
  • त्रिफला चूर्ण
    • त्रिफला कब्ज और पाचन विकारों को दूर करता है। इससे पेट साफ रहता है और दर्द कम होता है।
  • अशोका की छाल
    • अशोका स्त्री रोगों में विशेष रूप से उपयोगी है। इसकी छाल से बनी दवा मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द में राहत देती है।
  • कुमारी रस (Aloe Vera)
    • कुमारी रस मासिक धर्म के दौरान गर्भाशय को संतुलित करता है और सूजन को कम करता है।
  • पंचकर्म चिकित्सा
    • (a) बस्ती कर्म:
      • बस्ती यानी एनिमा थेरेपी, वात दोष को संतुलित कर पेट दर्द में राहत देती है।
    • (b) पिंडस्वेद:
      • यह आयुर्वेदिक मसाज थेरेपी है, जो मांसपेशियों के दर्द में उपयोगी होती है।
  • योग और प्राणायाम
    • भुजंगासन और पवनमुक्तासन निचले पेट की मांसपेशियों को आराम देते हैं।
    • अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मानसिक और शारीरिक संतुलन बना रहता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

आयुर्वेद निचले पेट दर्द का प्राकृतिक और स्थाई समाधान प्रदान करता है। जड़ी-बूटियाँ, आहार और जीवनशैली में बदलाव करके इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यदि समस्या गंभीर हो, तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें। पेटदर्द के बारे मे और जानने के लिए –https://enlightayurveda.com/abdominal-pain-meaning-in-hindi/ क्लिक करे ।

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